कोरबा@M4S:वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने किसानों को हरेली त्योहार के दौरान सिस्टम फॉर राइस इंटेंसिफिकेशन (एसआरआई) पर प्रशिक्षण देकर रोपाई विधि को आसान बनाया। प्रोजेक्ट मोर जल मोर माटी के तहत कंपनी ने 600 से अधिक किसानों को टिकाऊ और उन्नतशील चावल की खेती के विधि से सशक्त बनाया जिससे पैदावार में वृद्धि और कृषक समुदायों के लिए बेहतर आजीविका सुनिश्चित हुई।
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छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में हरेली त्यौहार कृषि चक्र की शुरुआत का प्रतीक है जो मुख्य रूप से चावल की खेती पर केंद्रित है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए बहुत महत्वपूर्ण जो मानसून के आगमन पर अपने खेतों में धान की रोपाई करते हैं।
धान के फसल में पानी की अधिक जरूरत होती है। इस क्षेत्र में धान के खेत में खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए अक्सर पारंपरिक रोपाई पर निर्भर रहते हैं। पारंपरिक तरीकों से खरपतवार, पोषक तत्वों, पानी और सूरज की रोशनी के लिए उपज में बाधा उत्पन्न तथा कीट और बीमारी की समस्याएं पैदा होती हैं जिससे किसानों को नुकसान हुआ है।
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किसानों को नुकसान से बचाने के लिए बालको ने स्वयं सेवी संगठन एक्शन फॉर फूड प्रोडक्शन (एएफपीआरओ) के साथ मिलकर किसानों के लिए सिस्टम फॉर राइस इंटेंसिफिकेशन का प्रशिक्षिण दिया गया। एसआरआई चावल उत्पादन के लिए टिकाऊ और विज्ञान-आधारित दृष्टिकोण के रूप में सहायक है जो अधिकतम पैदावार पर केंद्रित था। एसआरआई के साथ किसानों को सावधानीपूर्वक दूरी वाले ग्रिड पैटर्न में एकल पौधों को प्रत्यारोपित करने के लिए कहा गया जिससे धान की अधिकतम उत्पादन और गुणवत्तापूर्ण खेती सुनिश्चित हुई।
कृषकों को धान में पंक्तियों के महत्व के बारे में भी अवगत कराया गया जिससे प्रभावी खरपतवार प्रबंधन हुआ और हाथ और रोटरी निराई के लिए जगह मिली। 600 से अधिक प्रतिभागी किसानों ने इस प्रणाली को अपनाया था, जिससे छोटी पौध के उपयोग के साथ खेती की अवधि कम हो गई तथा अधिकांश मिट्टी को बनाए रखने के साथ पानी का उपयोग कम हो गया। किसानों द्वारा कृषि पद्धतियों में एसआरआई अपनाने से इस वर्ष 600 एकड़ से अधिक कृषि भूमि में उत्पादकता में वृद्धि होगी।
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बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक राजेश कुमार ने कहा कि बालको की प्रतिबद्धता किसानों को सशक्त बनाने और सामुदायिक विकास को बढ़ावा देने के कार्य किया है। एसआरआई तकनीक जैसी आधुनिक कृषि पद्धतियों की शुरूआत के माध्यम से हम किसानों को आवश्यक ज्ञान, संसाधन और टिकाऊ तरीके के प्रति जागरूक करते हैं। तकनीकी सहायता और शैक्षिक पहलों के माध्यम से कृषक समुदाय को हमारा निरंतर समर्थन किसानों की भलाई के प्रति हमारी कटिबद्धता का प्रमाण है। हमारा लक्ष्य स्थानीय समुदायों के जीवन में बदलाव लाना है जिसमें कृषि और टिकाऊ आजीविका के साथ-साथ शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और बुनियादी ढांचे के विकास भी शामिल है।
बालको की में मोर जल मोर माटी परियोजना 32 गांवों में 1400 एकड़ से अधिक भूमि के साथ 2400 किसानों तक अपनी पहुंच बना चुका है। इस परियोजना के तहत 70% से अधिक किसानों ने आधुनिक कृषि तकनीकों को अपनाया है जिसमें सिस्टमेटिक राइस इंटेंसीफिकेशन (एसआरआई), ट्रेलिस, जैविक खेती, जलवायु अनुकूल फसल, सब्जी और गेहूं की खेती आदि जैसी आजीविका बढ़ाने वाली गतिविधियों में लगे हुए हैं। लगभग 15% किसान आजीविका के लिए कृषि से साथ पशुपालन, बागवानी और वनोपज जैसी गतिविधियों से जुड़े हुए हैं। किसानों के औसत वार्षिक आय में वृद्धि के साथ-साथ उत्पादन में लगभग 50 प्रतिशत की वृद्धि और लागत में 40 प्रतिशत की कमी।
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