पाली विकासखंड के ग्राम पंचायत बकसाही का मामला
कोरबा@M4S: पाली विकासखंड के पुराने ग्राम पंचायत में से एक बकसाही में सरपंच श्रीमती गौरी बाई के खिलाफ ग्रामीणों ने अनियमितता व भ्रष्टाचार के आरोप लगाया था। इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने महापंचायत आहूत कर सरपंच से इस संबंध में जवाब तलब किया। पर ग्रामीणों के आरोप का सरपंच के पास कोई जवाब नहीं था। तब ग्रामीणों ने उनसे नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देने को कहा। पंचायत में आयोजित विशेष ग्राम सभा में सरपंच और रोजगार सहायक पर तालाब निर्माण में फर्जी भुगतान का आरोप लगाते हुए राशि के व्यय की जानकारी मांगी गई थी। बैठक में गांव में लगभग 17 लाख रुपये की लागत से निर्मित हो रहे अमृत सरोवर के भुगतान के बारे में ग्रामीणों ने जानकारी मांगी। जवाब नहीं दे पाने की वजह से ग्रामीणों ने अब तक हुए भुगतान को फर्जी मानते हुए वसूली की मांग की। साथ ही सरपंच गोरी बाई व रोजगार सहायक को उनके पद से पृथक करने का निर्णय लिया गया। जन भावना का सम्मान करते हुए सरपंच और रोजगार सहायक ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है।
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इस्तीफा, विधि-संगत नहीं: सीईओ सोनवानी
महापंचायत के इस आन द स्पॉट फैसले पर जनपद पंचायत पाली के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भूपेंद्र सोनवानी ने कहा कि यह विधि संगत नहीं है। इस्तीफा देने के संबंध में जानकारी मिली है और इस पर जांच व अन्य कार्रवाई के पश्चात ही उचित निर्णय किया जाएगा।
क्या है राइट टू रिकाल
राईट टू रिकॉल कानून भारत के कुछ राज्यों में मौजूदा कानून है। इस कानून के तहत आम जनता सरपंच, मुखिया, पार्षद और महापौर पद पर सरकार में जनसेवकों को हटा या बदल सकते हैं। आमतौर पर गांव के पंच या सरपंच के विरुद्ध किसी शिकायत या किसी मुद्दे पर उसके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की मांग करते हैं। जिस पर मतदान होता है या शिकायत आदि पर जांच मे सही पाए जाने पर उच्चाधिकारी धारा 40 के तहत कार्यवाही कर पद से पृथक करने का फैसला करते हैं। ग्राम सभा के निर्णय पर इस्तीफा क्षेत्र का पहला मामला है।
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