नई दिल्ली (एजेंसी): 2 June Ki Roti आज 2 जून है और इस तारीख को लेकर कई जोक्स सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि आज 2 जून की रोटी खाना बहुत जरूरी है क्योंकि दो जून की रोटी नसीब वालों को ही मिलती है। आज 2 जून है और इसी दिन एक कहावत काफी इस्तेमाल की जाती है, वो है ‘2 जून की रोटी’। इसको लेकर सोशल मीडिया पर भी काफी जोक्स बनाये जाते हैं। सोशल मीडिया पर आज भी दो जोक्स काफी वायरल हो रहे हैं। एक यूजर कह रहा है कि आज रोटी खाना बहुत जरूरी है, क्योंकि दो जून की रोटी नसीब वालों को ही मिलती है। वहीं, दूसरा यूजर कह रहा है कि 2 जून की रोटी मुश्किल से ओर खुशनसीबों को ही मिलती है।
2 जून की रोटी का असली मतलब
दरअसल, 2 जून की रोटी एक कहावत है और इसका मतलब 2 वक्त के खाने से होता है। अवधि भाषा में जून का मतलब वक्त अर्थात समय से होता है।
इसलिए पूर्व में लोग इस कहावत का इस्तेमाल दो वक्त यानी सुबह-शाम के खाने को लेकर करते थे। इससे उनका मानना था कि गरीबी में 2 वक्त का खाना भी मिल जाये वही काफी होता है।
माता-पिता अपने बच्चों को इससे देते है सीख
आज भी माता-पिता अपने बच्चों को अन्न का अनादर न करने के लिए इस कहावत का इस्तेमाल करते हैं। बच्चों को खाने को बर्बाद करने से रोकने के लिए कहा जाता है कि आजकल लोगों को दो जून की रोटी ही मिल जाए बड़ी बात होती है और कुछ लोग खाना बर्बाद कर रहे हैं। ज्यादातर उत्तर भारत में इस कहावत का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में सबके नसीब में नहीं ‘दो जून की रोटी’
कृषि प्रधान देश होने के बावजूद देश में कई लोग ऐसे हैं जिनको दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं हो पाती है। हालांकि, इन गरीबों के लिए सरकार कई योजनाएं चला रही है और लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर रही है। कोरोनाकाल के बाद से केंद्र की मोदी सरकार गरीबों के लिए मुफ्त अनाज भी उपलब्ध करा रही है, जिससे 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को फायदा हो रहा है।
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