राजीव गांधी हत्याकांड में 6 दोषियों का क्या था रोल, अभी कहां हैं?

- Advertisement -

नई दिल्ली (एजेंसी): राजीव गांधी की आज पुण्यतिथि है। राजीव गांधी पर उग्रवादी संगठन लिट्टे ने आत्मघा Rajiv Gती हमला करवाया था और इस हमले में उनके शरीर के चिथड़े उड़ गए थे। हत्याकांड में छह लोगों को सजा हुई थी। आइए जानें अब सभी दोषी कहां हैं। आज ही के दिन यानी 21 मई, 1991 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। राजीव गांधी पर उग्रवादी संगठन लिट्टे ने आत्मघाती हमला करवाया था और बम विस्फोट से उनका शरीर क्षत-विक्षत हो गया था। आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि पर हम आपको बताएंगे कि उनकी हत्या के पीछे क्या साजिश थी और मामले के 6 दोषियों का इसमें क्या था रोल और वे सभी अभी कहां हैं।

रैली में जोरधार धमाका और राजीव की हत्या

तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर में राजीव गांधी एक चुनावी रैली में हिस्सा ले रहे थे कि तभी धनु नाम की एक आत्मघाती हमलावर स्टेज पर चढ़ती है और जैसे ही वो राजीव को हार पहनाकर पैर छूने को झुकती है जोरदार धमाका होता है। धमाके की गूंज से हर कोई सन्न रह जाता है, घटना में 16 लोगों की मौके पर ही मौत हो जाती है और 45 लोग गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं।

जूते और घड़ी से हुई शरीर के टुकड़ों की पहचान

धमाके के बाद राजीव गांधी के शरीर के इतने टुकड़े होते हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो जाता है। राजीव के शव की पहचान उनके हाथ के टुकड़े पर लगी घड़ी और पैर के जूते से हुई। उनके सिर से मगज तक बाहर आ गया था, कुछ हिस्सों के तो चिथड़े उड़ गए थे।

लिट्टे था साजिशकर्ता

लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (लिट्टे) ने ही राजीव गांधी की हत्या की साजिश रची थी। दरअसल, लिट्टे श्रीलंका का उग्रवादी संगठन था और उसपर लगाम लगाने के लिए राजीव ने भारतीय सेना तक भेजी थी। राजीव के इस फैसले से लिट्टे काफी नाराज था और इसी कारण उसने इस हत्याकांड को अंजाम दिया। मामले में सात लोगों को गिरफ्तार किया गया था और मुख्य अभियुक्त शिवरासन और उसके सहयोगियों ने पहले ही साइनाइड खाकर जान दे दी थी।

26 आरोपियों को मिली थी मौत की सजा

राजीव हत्याकांड में शामिल 26 लोगों को 1998 में टाडा कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी। हालांकि, इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला पटलते हुए 19 लोगों को बरी कर दिया था और केवल 7 दोषियों की सजा बरकरार रखी थी। इसके बाद इन 7 दोषियों की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था।

हत्याकांड में इन लोगों की थी मुख्य भूमिका
मुरुगन और नलिनि 

मुरुगन को लिट्टे ग्रुप का मुख्य ट्रेनर माना जाता है, जो श्रीलंका के जाफना से आया था। मुरुगन ने अपनी पत्नी नलिनि को भी राजीव की हत्या की साजिश में हिस्सा बनाया था। नलिनि चेन्नई में एक प्राइवेट कंपनी में काम करती थी, वहीं से वो लिट्टे के संपर्क में आई और उसकी मुख्य कैडर तक बन गई।

राजीव गांधी की हत्या में आत्मघाती हमलावर धनु और कई और साथियों का ब्रेनवॉश करने का आरोप भी नलिनि पर था। 1999 में मुरुगन और नलिनि को फांसी की सजा मिली थी, लेकिन प्रेगनेंट होने के चलते उसकी सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया था। नलिनि को एक बेटी हुई थी और वो अनाथ न हो जाए इसके लिए सोनिया गांधी ने उन्हें माफ करते हुए उसकी सजा को बदलने के लिए राष्ट्रपति से गुहार लगाई थी।

एजी पेरारिवलन

एजी पेरारिवलन भी राजीव हत्याकांड में शामिल माना गया था और उसे फांसी की सजा हुई थी, जिसे बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी 2014 को उम्रकैद में बदल दिया था। पेरारिवलन को सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद रिहा भी कर दिया था। एजी पेरारिवलन का हत्याकांड में नाम तो आया था, लेकिन वो काफी मेधावी भी था। उसने इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग डिप्लोमा किया था। उसने जेल से ही कंप्यूटर एप्लीकेशन में ग्रेजुएशन की और 90 फीसद तक अंक लाए।

संतन

संतन हमलावर दस्ते का एक प्रमुख सदस्य था। राजीव गांधी की हत्या के समय वो कांग्रेस कार्यकर्ता बनकर छिपा था। सुप्रीम कोर्ट ने उसे भी फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे बाद में उम्रकैद में बदल दिया गया। हालांकि, अब संतन रिहा हो चुका है, लेकिन कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि उसकी भी इस हत्याकांड में सक्रिय भूमिका रही थी।

पी रविचंद्रन

रविचंद्रन लिट्टे का प्रमुख कमांडर था और उसे ट्रेनिंग देकर भारत भेजा गया था। सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा देने के बाद इसे भी रिहा कर दिया है।

जयकुमार और रॉबर्ट पयास

ये दोनों भी लिट्टे के सदस्य थे, जिन्हें हत्याकांड में मदद करने के लिए भारत भेजा गया था। इन दोनों ने हत्याकांड को पूरा शामिल लोगों की सुरक्षित जगह का इंतजाम करने का काम दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इनकी मौत की सजा को भी उम्रकैद में बदलने के बाद आखिर में रिहा कर दिया था।

सभी दोषी हुए रिहा
सुप्रीम कोर्ट ने राजीव हत्याकांड के सभी 6 दोषियों को रिहा कर दिया है। बता दें कि पेरारिवलन ने सुप्रीम कोर्ट में रिहाई की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने अनुच्छेद 142 का हवाला देते हुए बरी कर दिया था। अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट के पास विशेषाधिकार होता है। इसके बाद मुख्य साजिशकर्ता नलिनि समेत सभी 6 दोषियों ने 31 साल की जेल काटने के बाद रिहाई की अपील की, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने आखिरकार 11 नवंबर 2022 को बरी कर दिया।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!