नई दिल्ली(एजेंसी):कर्नाटक की सभी 224 विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती जारी है। अभी तक के रुझानों में कांग्रेस, बीजेपी को शिकस्त देते हुए प्रचंड बहुमत के साथ राज्य में सरकार बनाती नजर आ रही है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने हार स्वीकार करते हुए कहा कि इसपर मंथन किया जाएगा। जानते हैं कर्नाटक में भाजपा की हार के पांच बड़े कारण क्या हैं।
भ्रष्टाचार का मुद्दा
कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ शुरुआत से ही ’40 प्रतिशत कमीशन वाली सरकार’ का एजेंडा सेट किया। यह मुद्दा धीरे-धीरे बड़ा मुद्दा बन गया। इस मुद्दे पर ही एस ईश्वरप्पा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा। यही नहीं, एक बीजेपी विधायक को जेल भी जाना पड़ा। बीजेपी अंत तक इसकी काट नहीं तलाश पाई।
‘बजरंगबली’ ने नहीं दिया साथ
कांग्रेस ने बजरंग दल को बैन करने की बात कही। भाजपा ने इसे धार्मिक एंगल दे दिया और बजरंगबली से जोड़ दिया। भाजपा ने कहा कि कांग्रेस ने बजरंगबली का अपमान किया है। लेकिन, बीजेपी के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण का ये दांव काम नहीं आया।
बड़े नेताओं को किया गया नजरअंदाज
पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा कर्नाटक के इस चुनाव में नजरअंदाज किया गया। इसके साथ ही पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का भी टिकट काट दिया। ये तीनों नेता ही लिंगायत समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। ऐसे में इन्हें साइड लाइन या नजर अंदाज करना भाजपा को भारी पड़ा।
आरक्षण विवाद
कर्नाटक विधानसभा चुनाव की तारीखों के एलान के साथ ही मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा जोर पकड़ने लगा था। बीजेपी नेता मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ मुखर रहे। गृहमंत्री अमित शाह ने एक रैली में कहा कि अगर तेलंगाना में बीजेपी की सरकार बनी तो राज्य में मुसलमानों को मिलने वाला आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा। बीजेपी नेताओं का कहना है कि धर्म के आधार पर आरक्षण देना संविधान के खिलाफ है। यही वजह है कि कर्नाटक में इसे खत्म किया गया। कर्नाटक में बीजेपी की हार के पीछे यह भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है।
हिजाब विवाद
बीजेपी राज्य में हिजाब पर बैन लगाना चाहती थी। इसको लेकर कर्नाटक में काफी विवाद हुआ। चुनाव में बीजेपी की हार का एक कारण ये भी माना जा रहा है।