POLLUTION EFFECT:जिले की आबोहवा प्रदूषित, अस्थमा का खतरा

- Advertisement -

कोरबा@M4S: जिले में प्रदूषण का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। खासकर गर्मी के दिनों में प्रदूषण की समस्या और अधिक परेशान करने लगी है। प्रदूषित आबोहवा के कारण लोगों में अस्थमा का खतरा बढ़ गया है, ऐसे मरीजों का लगातार चिन्हांकन भी हो रहा है।
अब गर्मी बढ़ती जा रही है। दोपहर का तापमान 42 डिग्री के करीब पहुंच रहा है। सुबह 35 डिग्री के बाद बढ़ता ही जाता है। न्यूनतम तापमान भी 25 से अब 26 डिग्री के करीब पहुंच रहा है।मौसम विभाग के अनुसार मोका तूफान का जिले में कोई असर नहीं पड़ेगा। आगे अभी तापमान में लगातार बढ़ोतरी होने से गर्मी और बढ़ेगी। मौसम विभाग के पूर्वानुमान की तरह ही रोज शाम के समय हल्के बादल छा रहे हैं। लेकिन इससे गर्मी कम नहीं हो रही है। हवा में अभी 60 से 65 प्रतिशत तक नमी है। से ही दिन का तापमान बढ़ रहा है। दूसरी ओर प्रदूषण के क्षेत्र में काम करने वाली संस्था ने दिल्ली और कोरबा के प्रदूषण का अध्ययन किया। जिसमें संस्था ने यह पाया कि कोरबा और दिल्ली में पार्टिकुलैट मैटर (पीेएम) का स्तर एक जैसा है, जिसका असर यहां के लोगों की सेहत पर प? रहा है। कोरबा का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूयू) लगातार बिगड़ रहा है। जिससे यहां के जनजीवन पर भी काफी बुरा असर पड़ रहा है।लगातार दमा के मरीज भी कोरबा जिले में बढ़ रहे हैं। कोरबा में अप्रैल के आखिर में एक्यूआई दिल्ली के एक्यूआई के काफी करीब रहा। इससे पहले भी ऐसा होता रहा है। पिछले दिनों मौसम के हिसाब से कुछ राहत मिलती है, लेकिन प्रदूषण फिर बढ़ जाता है। यानी लगातार शहर की हवा खराब हो रही है। जिले में वायु प्रदूषण खतरनाक होता जा रहा है। स्थिति यह है कि अस्थमा के औसतन 5 नये मरीज रोजाना जिले में सामने आ रहे हैं। प्रदूषण की बात करें तो हालत यह है कि कोरबा की हवा की तुलना दिल्ली की हवा से हो रही है।लगभग उतनी ही प्रदूषित हवा कोरबा में भी है, हालांकि इसके कारण अलग हैं। पिछले करीब सात महीनों से एक्यूआई और पीएम के आंकड़े चिंताजनक बने हुए हैं।
ऊर्जाधानी हैं कोरबा इसलिए प्रदूषण
कोयला खदानों और बिजली उत्पादन के कारण कोरबा को प्रदेश की ऊर्जाधानी कहा जाता है। कोरबा के प्रदूषण पर चर्चा करने के पहले यहां के पर्यावरणीय परिदृश्य को जान लेना भी जरूरी है। कोरबा जिले में कोयले पर आधारित दर्जन भर पावर प्लांट हैं, जिनसे लगातार बिजली का उत्पादन हो रहा है। पावर प्लांटों से हजारों मेगावाट बिजली का उत्पादन होता है। जिसका धुंआ और राख प्रदूषण का प्रमुख कारण है।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!