नई दिल्ली(एजेंसी):देश की उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति फरवरी के 6.4 प्रतिशत से घटकर 5.6 प्रतिशत पर आ गई। सरकार की ओर से बुधवार को जारी आंकड़ों में यह बात सामने आई है। सीपीआई उन वस्तुओं और सेवाओं की खुदरा कीमतों में बदलाव को ट्रैक करता है जिन्हें परिवार अपने दैनिक उपभोग के लिए खरीदते हैं।
आरबीआई के टॉलरेंस बैंड के दायरे में आई महंगाई दर
बता दें कि आरबीआई को मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर रखना होता है, दोनों तरफ 2 प्रतिशत का मार्जिन है। फरवरी में खुदरा मुद्रास्फीति की दर मामूली गिरावट के बावजूद लगातार दूसरे महीने रिजर्व बैंक की छह प्रतिशत की ऊपरी सहनशीलता सीमा से ऊपर बनी रही।
पिछले हफ्ते ही केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का किया था एलान
मार्च के खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े रिजर्व बैंक की ओर से प्रमुख ब्याज दर या रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर बरकरार रखने से बाजार और विश्लेषकों को आश्चर्यचकित करने के एक सप्ताह से भी कम समय बाद आए हैं।
मार्च महीने में 15 महीने के निचले स्तर पर पहुंची खुदरा महंगाई दर
मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 15 महीने के निचले स्तर पर रही। मार्च 2022 में महंगाई दर 6.44 फीसदी रही थी। खाद्य पदार्थों की महंगाई बीते महीने 4.79 फीसदी रही, फरवरी में यह 5.95 फीसदी थी। मासिक आधार पर इसमें बड़ी गिरावट आई है। बता दें कि जनवरी में खुदरा महंगाई दर तीन महीने के उच्चतम स्तर पर 6.52 फीसदी पर पहुंच गई थी।
मार्च में सब्जियों की कीमतों में 8.51 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई
मार्च 2022 में कोर महंगाई दर 6.1 फीसदी से घटकर 5.8 फीसदी पर आ गई। फरवरी में यह 6.1 फीसदी थी। मार्च में सब्जियों की महंगाई दर -8.51 फीसदी, पेट्रोलियम पदार्थों की महंगाई दर 8.91 फीसदी, हाउसिंग क्षेत्र में महंगाई दर 4.96 फीसदी, कपड़ों और जूतों की महंगाई दर 8.18 फीसदी और दालों की महंगाई दर 4.33 फीसदी रही।
FY 24 में खुदरा महंगाई दर (CPI) 5.2 प्रतिशत रह सकती हैः आरबीआई गवर्नर
एमपीसी की बैठक के बाद आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत ने महंगाई पर बोलते हुए कहा था कि FY 24 में खुदरा महंगाई दर (CPI) 5.2 प्रतिशत रह सकती है। उन्होंने कहा कि मीडियम टर्म में महंगाई को तय सीमा के भीतर लाने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि जब तक महंगाई दर तय सीमा के भीतर नहीं आती है तब तक लड़ाई जारी रहेगी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर ने अनुमान जताया था कि FY24 की पहली तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 7.8% रह सकती है। दास ने कहा कि हाल के वर्षों में देश में निगरानी व्यवस्था मजबूत हुई है। लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर आरबीआई की नजर बनी हुई है। रुपये की स्थिरता के लिए भी भारतीय रिजर्व बैंक की कोशिशें जारी हैं।