Karauli Baba: चढ़ावे को गिनते हैं 50 कर्मचारी, एम्बुलेंस में भरकर जाता है पैसा, भाजी-तरकारी भरकर आती है वापस

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कानपुर (एजेंसी)  कानपुर में करौली बाबा ने भक्तों से हो रही करोड़ों की उगाही को खपाने के लिए भी मायाजाल बुना था। सूत्रों के अनुसार रोज की करोड़ों की कमाई को ठिकाने लगाने के लिए लवकुश आश्रम में एक एम्बुलेंस रखी गई है। इसी एम्बुलेंस में रोज रुपये भरकर भेजा जाता है।

वहीं, जब एम्बुलेंस वापस आती है, तो उसमें सब्जी-तरकारी भरी होती है। आश्रम में काम करने वाले और गांव के सूत्रों ने अमर उजाला से खास बातचीत में इसका खुलासा किया। उन्होंने बताया कि आश्रम में रोज एक हजार से तीन हजार तक श्रद्धालु देश, दुनिया से पहुंचता है।

बाबा के विदेश में भी सैंकड़ों भक्त हैं। आश्रम में प्रवेश शुल्क के नाम पर 100 रुपये की पर्ची कटती है। प्रवेश शुल्क से ही लाखों रुपये रोज आते हैं। हवन किट बेचने में लगे सूत्रों के मुताबिक प्रतिदिन औसतन 25 हवन किट 1.5 लाख वाली बेची जाती हैं।

 

इनसे प्रतिदिन औसतन आश्रम में होने वाली आमदनी ही औसतन 30 से 40 लाख रुपये है। आश्रम के पैसों को गिनने के लिए करौली समेत आसपास गांव के करीब 50 युवकों को प्रति माह 10 हजार रुपये तनख्वाह पर रखा गया है, जो सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में सुबह से शाम तक मशीनों की मदद से रुपये गिनते हैं।

आश्रम परिसर में ही होटल और कैंटीन
सूत्रों ने बताया कि करीब 14 एकड़ में बाबा ने आश्रम फैला रखा है। परिसर में ही रुकने के लिए सामान्य से लेकर उच्च व्यवस्थाओं से लैस होटल है, जिनका किराया 1000 से लेकर ढाई हजार रुपये प्रतिदिन का है। इसके अलावा परिसर में ही बैंक का एटीएम, कैंटीन, आईस्क्रीम पार्लर, ट्रैवल्स एजेंसी आदि की सुविधाएं मिलती हैं।

200 रुपये चुराने पर पीटा गया था युवक
सूत्र बताते हैं कि करीब डेढ़ माह पूर्व गांव के एक युवक ने रुपये गिनने के दौरान 200 रुपये चुरा लिए थे। इसकी जानकारी बाबा को सीसीटीवी कैमरे के फुटेज से हुई, तो युवक को बाउंसरों से पिटावाया था। इसके विरोध में गांव के 20 युवकों ने एक साथ काम छोड़ दिया था। हालांकि, बदनामी के डर से खुद पुलिस से शिकायत नहीं की थी।

दिल्ली से जांच को आने वाली टीम की अधिकारी ने दी थी सूचना
करीब एक साल पहले आश्रम में दिल्ली की एक टीम छापा मारने पहुंची थी। सूत्र बताते हैं कि आश्रम में कोरोना के चलते लॉकडाउन लागू होने की अफवाह फैला कर सभी श्रद्धालुओं को वापस कर दिया गया था। इस बीच जिले के एक बड़े अधिकारी ने खुद आश्रम में पहुंच कर करौली सरकारी को पड़ने वाले छापे की जानकारी दी थी।

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