छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के 11वें दिन शून्यकाल में विपक्ष ने राशन दुकानों में चावल आवंटन में गड़बड़ी के मुद्दे को उठाया।
रायपुर@M4S: छत्तीसगढ़ विधानसभा बजट सत्र के 11वें दिन शून्यकाल में विपक्ष ने राशन दुकानों में चावल आवंटन में गड़बड़ी के मुद्दे को उठाया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने कहा कि मंत्री भी स्वीकार कर चुके हैं कि 149 करोड़ का घोटाला हुआ है। गरीबों के मुंह से निवाला छीना जा रहा है। इस पर मंत्री अमरजीत भगत में जवाब दिया। मंत्री अमरजीत भगत के जवाब से विपक्ष असंतुष्ट होकर नारेबाजी शुरू कर दिया।
इससे पहले शुक्रवार को विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह ने प्रदेश के राशन दुकानों से चावल गायब हो जाने का मुद्दा उठाया। डा. रमन ने कहा कि खाद्य विभाग ने प्रदेश की 13 हजार पीडीएस दुकानों की जांच की, जिसमें 68 लाख 930 टन चावल गायब पाया गया। खाद्य विभाग और जिलों के आंकड़ों में इस चावल का रिकार्ड नहीं है। ऐसा करके 500-600 करोड़ का घोटाला किया गया है।
मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि प्रदेश की 13992 दुकानों की जांच कराई गई, जिसमें 41 हजार टन चावल की कमी पाई गई। विपक्षी विधायकों ने कहा कि यह गरीबों के चावल का मामला है। हर जिले की पीडीएस दुकान की विधायकोें की कमेटी से जांच कराई जाए।
मंत्री भगत ने कहा कि सभी राशन दुकानों की जांच 24 मार्च तक पूरा करने का निर्देश दिया गया है। जांच के बाद जिन दुकान संचालकों से एक-एक पैसे की वसूली होगी। जो पैसा जमा नहीं करेगा, वह जेल जाएगा। मंत्री भगत ने कहा कि बोगस राशनकार्ड भाजपा सरकार में बनते थे। अब पीडीएस दुकान का ई-पास मशीन से भारत सरकार तीन बार परीक्षण करती है। बचत स्टाक को घटाकर दुकानों को चावल दिया जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष डा. चरणदास महंत ने कहा कि मंत्री कह तो रहे हैं कि 24 तारीख तक जांच पूरी हो जाएगी और जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। इसके बाद विपक्षी विधायकों नारायण चंदेल, धरमलाल कौशिक, शिवरतन शर्मा, अजय चंद्राकर ने जांच की मांग को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। शोर-शराबे के बीच अध्यक्ष महंत ने सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए स्थगित की। जब दोबारा कार्यवाही शुुुरू हुई, तब विपक्षी विधायकों ने फिर हंगामा और नारेबाजी शुरू कर दी।
चार-पांच महीने तक मिल सकता है गरीबों को चावल
डा. रमन सिंह ने पूछा कि राशन दुकानों में जो अतिशेष स्टाक बचता है, क्या उसके लिए विभाग ने कोई नियम बनाए हैं? उन्होंने कहा कि लगभग 68 हजार 930 टन चावल स्टाक में होना था। यदि ईमानदारी बरती गई होती तो चार से पांच महीने तक यह चावल गरीबोें को मिलता। ग्राम पंचायतों तक में राशन सामग्री का ओवर स्टाक था। 450 दुकानों में गड़बड़ी की बात सामने आ चुकी है। इस मामले की ईओडब्ल्यू मेें भी जांच चल रही है।