कोरबा@M4S: महामाया बहुद्देश्यीय सहकारी समिति के 882 नवाचारी किसानों को इस बार भरपूर कमाई देने वाली स्ट्राबेरी की फसल ने नई उम्मीद जगा दी है। सामूहिक खेती के लिए प्रसिद्ध इस समिति की मेहनत भी रंग लाने लगी है।करतला के नवाचारी किसानों ने इस बार स्ट्राबेरी की प्रायोगिक फसल ली है। नवापारा के प्रशिक्षण केंद्र के चार डिस्मिल जमीन में इसकी खेती की गई है।
मैदानी व अपेक्षाकृत उष्ण जलवायु में भी इन्होंने बिना पालीहाउस बनाए ही सफल खेती कर ली है। सितंबर महीने में इन्होंने पौधे लगाए थे और अब फल लगने के साथ ही अधिकांश पक भी चुके हैं।स्ट्राबेरी के फल भी अब पौधों में लग गए हैं। धान, गेहूं, मक्का जैसी फसलों के लिए पहचान रखने वाली छत्तीसगढ़ी की मिट्टी में ठंडी जलवायु वाले प्रदेश हिमाचल, असम और देहरादून में तैयार होने वाली फसलों की भी खासी संभावनाएं है। इन्हीं संभावनाओं को नवागांव के किसानों ने टटोलने की कोशिश की। केवल ठंडे प्रदेश में होने वाली स्ट्राबेरी की फसल कोरबा में भी लिया जा सकता है। यह शायद ही किसान ने सोंचा रहा होगा पर नवागांव के किसानों ने इसे साकार कर दिया है। अब तक छत्तीसढ़ के ठंडे क्षेत्र जशपुर, अंबिकापुर व बलरामपुर में ही स्ट्राबेरी की खेती की जाती रही है।
इस बार 5 एकड़ में खेती की योजना
किसानों ने बताया कि नवापारा में उनका डेढ़ एकड़ में प्रशिक्षण केंद्र है। यहां लगाए गए स्ट्राबेरी की फसल में अब फल आ गए हैं और हमारा प्रयोग सफल रहा है। अब समिति के सौ किसान इसका फसल करीब पांच एकड़ में अगले सत्र में लेंगे। अब इन रसीली स्ट्राबेरी के फलों को उपयोग करने के बजाय इन्हें सूखाकर बाकी किसानों में भी बीजों का वितरण किया जाएगा, जिससे इस खरीफ के सीजन में ज्यादा पैमाने पर स्टाबेरी की फसल ली जा सके।
करतला के किसानों का नवाचार, की स्ट्राबेरी की खेती प्रशिक्षण केंद्र के चार डिस्मिल जमीन में की है खेती
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