Kanpur: बीमारियों का हमला, हैलट के वार्ड फुल, संक्रमण से डायरिया-गुर्दे हो रहे खराब

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कानपुर (एजेंसी) पिछले करीब एक सप्ताह से वायरल संक्रमण का प्रकोप बढ़ने से मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। मंगलवार को तो हैलट के मेडिसिन विभाग के सभी वार्ड फुल (360 बेड) हो गए। स्थिति नहीं संभली तो शाम को मनोरोग विभाग के वार्ड को खाली कराकर मरीज भर्ती किए गए। इसके अलावा ओपीडी में मरीजों की इतनी भीड़ लगी रही कि नौबत धक्कामुक्की तक आ गई। इसके अलावा इंफ्लूएंजा जैसे लक्षण वाले मरीजों की भी संख्या बढ़ रही है, लेकिन जिले में वैक्सीन नहीं है। वायरल संक्रमण से न्यूमोनाइटिस होने पर सांस के दिक्कत वाले रोगी तो आ ही रहे हैं। वायरल संक्रमण के बाद अस्थमा, सीओपीडी के अलावा गुर्दा, लिवर के रोगियों की संख्या भी बढ़ रही है। वायरल संक्रमण के बाद रोगियों को डायरिया हो जा रहा है। रोगी गंभीर हालत में इमरजेंसी में पहुंचे। इससे इमरजेंसी के मेडिसिन यूनिट में बेड की कमी हो गई है। रोगियों को स्थिर करने के बाद वार्डों में शिफ्ट किया गया।
 हैलट इमरजेंसी में शाम साढ़े चार बजे तक 38 रोगी आए। इनमें आठ रोगी ऐसे हैं, जिन्हें वायरल संक्रमण के बाद सांस की तकलीफ हुई थी। जांच में फेफड़ों में निमोनिया पाया गया। इसके अलावा वायरल संक्रमण के बाद डायरिया, गुर्दा और लिवर के रोगियों की भी हालत बिगड़ गई है। कुछ रोगियों को वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया है।
22 रोगी ऐसे हैं, जिनके लिए बेड नहीं था। इस पर मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. रिचा गिरि ने हैलट के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आरके मौर्या से बात की। इसके बाद मनोरोग विभाग का वार्ड खाली कराकर रोगियों को भर्ती किया गया। डॉ. गिरि ने बताया कि कुछ रोगियों को मैटरनिटी विंग में शिफ्ट किया गया है। पांचों वार्ड (40 बेड) भर गए। इसके बाद मनोरोग वार्ड में रखा है। इमरजेंसी की यूनिट खाली होते ही भर जा रही है। बुधवार को मैटरनिटी विंग के बंद कमरे खुलवाए जाएंगे। इसके अलावा वायरल संक्रमण के बाद हालत बिगड़ने पर गंभीर रोगियों को निजी अस्पतालों से भी हैलट शिफ्ट किया जा रहा है।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग में जांच के लिए किट नहीं
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग में एच3एन2 की जांच के लिए किट ही नहीं हैं। इससे अस्पताल में भर्ती जिन रोगियों को इंफ्लूएंजा के लक्षण हैं, उनकी जांच नहीं हो पा रही है। उप प्राचार्य डॉ. रिचा गिरि ने बताया कि किट के लिए धनराशि आवंटित हो गई है। किट आने में दो-तीन लगेंगे। किट आते ही रोगियों की जांच शुरू कर दी जाएगी। वहीं दूसरी तरफ उर्सला में भी आरटीपीसीआर जांच की व्यवस्था है लेकिन वहां किसी सैंपल की मंगलवार को जांच नहीं हुई। सीएमओ डॉ. आलोक रंजन का कहना है कि अगर कोई रोगी को लक्षण हैं तो मेडिकल कॉलेज और उर्सला प्रबंधन केजीएमयू लखनऊ के माइक्रोबायोलॉजी विभाग सैंपल भेज सकता है।
डफरिन में आइसोलेशन वार्ड बनाया
वायरल संक्रमण को लेकर गर्भवती महिलाओं को सतर्कता बरतने के सुझाव दिए जा रहे हैं। जिला महिला अस्पताल डफरिन में आठ बेड का आइसोलेशन वार्ड बना दिया गया है। अस्पताल की प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सीमा श्रीवास्तव ने बताया कि सभी रोगियों को मास्क लगाने के लिए कहा गया। इमरजेंसी में इंफ्लूएंजा के लक्षण लेकर आने वाली गर्भवतियों और रोगियों को आइसोलेशन वार्ड में रखा जाएगा। इसके साथ ही सैंपल जांच के लिए भेजा जाएगा। इसी तरह जच्चा-बच्चा अस्पताल में आने वाली गर्भवतियों को वायरल संक्रमण से बचाने के लिए एहतियात बरता जा रहा है।

 

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