नई दिल्ली(एजेंसी):अमेरिका के सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) के दिवालिया होने की खबर ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा दिया है। SVB अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा बैंक था। 2008 की मंदी के दौरान वाशिंगटन म्यूचुअल और लेहमन ब्रदर्स के डूबने के बाद इसे सबसे बड़ा आर्थिक संकट माना जा रहा है। ऐसे में अब भारत के लोग भी इसको लेकर चिंतित होने लगे हैं। खासतौर पर उद्योग जगत में हलचल ज्यादा तेज है। दुनियाभर के विशेषज्ञों ने इसके चलते भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय उद्योग जगत पर पड़ने वाले असर के बारे में बताया। आइए जानते हैं विशेषज्ञों ने इसको लेकर क्या-क्या कहा?
अमेरिकी नियामकों ने शुक्रवार को SVB को बंद करने की घोषणा कर दी। कैलफोर्निया में बैंकिंग नियामकों ने बैंको बंद करने के बाद फेडरल डिपॉजिट इन्श्योरेंश कॉरपोरेशन (FDIC) को बैंक के असेट रिसिवर के तौर पर नियुक्त किया है। इस खबर को पूरी दुनिया के बाजार में ग्लोबल मंदी की आहट के रूप में देखा जा रहा है।
दरअसल, सेंटा क्लारा स्थित एसवीबी की परेशानी तब शुरू हुई जब उसकी मूल कंपनी एसवीबी फाइनेंशियल ग्रुप ने अपने पोर्टफोलियो से 21 अरब डॉलर की प्रतिभूतियों को बेचने की घोषणा की। कंपनी ने कहा कि उसकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए 2.25 अरब डॉलर के शेयरों की बिक्री की जा रही है। विश्लेषकों का कहना है कि स्टार्टअप उद्योग में व्यापक मंदी के कारण बैंक में उच्च जमा निकासी की स्थिति बनी जिसके परिणामस्वरूप यह कदम उठाया गया। फेड की ओर से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद एसवीबी ने ब्याज से होने वाली आमदनी में बड़ी गिरावट की आशंका जताई थी। दूसरी ओर फेड की ओर से ब्याज दरें बढ़ने से भी एसवीबी बैंक का गणित गड़बड़ हो गया। आखिरकार SVB के बंद होने का सबसे बड़ा कारण उसके निवेशकों की ओर से एक साथ ही बैंक से पैसा निकालना रहा। माना जा रहा है कि निवेशकों ने बैंक के डूबने के डर से एक साथ ही बड़ी बिकवाली कर दी थी।
SVB के पास 2021 में 189 अरब डॉलर का डिपॉजिट था। बैंक ने इस पैसे से पिछले 2 वर्षों के दौरान अरबों डॉलर के बॉन्ड खरीदे थे लेकिन इस निवेश पर उसे कम ब्याज दरों के कारण पर्याप्त रिटर्न नहीं मिला। इसी बीच फेडरल रिजर्व बैंक ने टेक कंपनियों के लिए ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर दी। इससे बैंक का संकट और बढ़ गया। सिलिकॉन वैली बैंक (एसवीबी) एक हफ्ते पहले दो अरब डॉलर से अधिक की पूंजी जुटाने में असफल रहा था। उसके बाद वह 2008 के वित्तीय संकट के बाद धराशाई होने वाला अमेरिका का सबसे बड़ा बैंक बन गया। संकट के बीच कंपनी के प्रमुख ग्रेग बेकर ने शुक्रवार को कर्मचारियों को एक वीडियो संदेश में “अविश्वसनीय रूप से कठिन” बीते 48 घंटों के बारे में बात की और कर्मचारियों को कंपनी के वर्तमान हालात के बारे में बताया। सिलिकॉन वैली बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बेकर तीन दशक पहले कंपनी में ऋण अधिकारी के रूप में शामिल हुए थे। उन्होंने 2008 के वित्तीय संकट के बाद बैक को चलाने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें 2011 में एसवीबी फाइनेंशियल ग्रुप के अध्यक्ष और सीईओ नियुक्त किया गया।
भारत पर क्या पड़ेगा असर?
उद्योग जगत के विशेषज्ञों का कहना है कि स्टार्टअप इकोसिस्टम में सबसे बड़े वेंडर सिलिकॉन वैली बैंक के बंद होने से भारतीय स्टार्टअप परिदृश्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है। इसने इस क्षेत्र में रातों-रात काफी अनिश्चितता पैदा कर दी है। सिलिकन वैली के जाने-माने वेंचर कैपिटलिस्ट और शुरुआती स्तर के निवेशक आशु गर्ग ने कहा, ‘उम्मीद है कि मामला सुलझ जाएगा, लेकिन मुझे लगता है कि यह भारतीय स्टार्टअप्स के लिए बड़ी हिट है।’
आशु आईआईटी दिल्ली के पूर्व छात्र रहे हैं। वह कहते हैं, ‘वास्तविकता यह है कि सिलिकॉन वैली बैंक भारतीय स्टार्टअप दृश्य का वास्तविक समर्थक रहा है और उसने बैंकिंग सेवाएं प्रदान की हैं। अमेरिका में व्यवसाय करने वाले अधिकांश भारतीय स्टार्टअप इस बैंक का उपयोग करते हैं क्योंकि यह उन कुछ संस्थानों में से एक है जो इसके साथ काम करने के इच्छुक हैं।’
आशु ने कहा, ‘पिछले कई वर्षों में SVB सिलिकॉन वैली में स्टार्टअप्स और टेक उद्योग के लिए बैंकिंग के सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक रहा है। इसका मुख्य कारण उद्योग की अपनी समझ और स्टार्टअप इकोसिस्टम के अनुकूल कई पहलुओं में लचीलापन है।’
सिलिकॉन वैली का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय-अमेरिकी कांग्रेसी रो खन्ना ने कहा कि एफडीआईसी को अधिकारियों द्वारा पिछले कुछ महीनों में कम बिक्री की जांच करने की आवश्यकता है और कम से कम मुनाफे के जुर्माने के साथ एक क्लॉबैक होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि यह सनीवेल कम्युनिटी सर्विसेज जैसे गैर-लाभकारी संस्थाओं को जाना चाहिए जो एसवीबी जमा खोने और बंधक भुगतान करने के बारे में चिंतित हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार विवेक रामास्वामी ने कहा कि अमेरिकी करदाताओं को प्रिंस हैरी और मेघन मार्कल जैसे लोगों को जमानत नहीं देनी चाहिए।
रामास्वामी ने कहा, ‘अगर आप सिलिकॉन वैली बैंक में जमा करना चाहते हैं तो यह आपका व्यवसाय है। लेकिन मैंने तकनीकी उद्योग के बुद्धिजीवियों को पिछले महीने पूर्वी फिलिस्तीन के बेलआउट के लिए कॉल करते नहीं सुना।’
- सिलिकॉन वैली में हर तीसरा स्टार्टअप भारतीय-अमेरिकियों द्वारा स्थापित किया गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि बुनियादी भुगतान करने और अपने कर्मचारियों को तनख्वाह की समस्या आने वाले दिनों में शुरू हो सकती है।
- स्टार्टअप्स में काम करने वाले कर्मचारियों की छंटनी भी शुरू हो सकती है।
- बड़ी संख्या में भारतीय स्टार्टअप्स हैं, जिनके पास अमेरिका में एक कर्मचारी या कार्यालय भी नहीं है। ऐसे स्टार्टअप्स ने सिलिकॉन वैली बैंक में अपना खाता खोला था, क्योंकि ये बैंक बहुत अधिक नियामक प्रश्नों के बिना और ग्राहक-अनुकूल दृष्टिकोण के साथ ऐसी सुविधा देते हैं।
- स्टार्टअप्स को लोन लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सिलिकॉन वैली बैंक आसानी से अच्छे और नए स्टार्टअप्स को लोन दे दिया करता था।
- स्टार्टअप्स के विस्तार कार्यक्रमों को भी नुकसान पहुंच सकता है।