कोरबा@M4S: एसईसीएल अपने सालाना 182 मिलियन टन कोयला उत्पादन लक्ष्य को पाने पूरा जोर लगा रहा है। वित्तीय वर्ष की अंतिम तिमाही में लगभग 75.5 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया जाना है। इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को पाने डेली उत्पादन में बढ़ोत्तरी दर्ज होने लगी है। इस कड़ी में एसईसीएल ने एक दिन में 6.5 लाख टन कोयला का उत्पादन किया है, जो इस वित्तीय वर्ष में एक दिन का सर्वाधिक कोयला उत्पादन है।
एसईसीएल के सालाना कोयला उत्पादन लक्ष्य का लगभग 80 फीसदी से अधिक कोयला उत्पादन जिले की कोयला खदानों से किया जाना है। खासकर मेगा परियोजना गेवरा, दीपका, कुसमुंडा पर कोयला उत्पादन का पूरा दारोमदार है। एसईसीएल को जनवरी में लगभग 19 मिलियन टन से अधिक कोयला का उत्पादन करना है। इस मासिक लक्ष्य को पाने खदानों से कोयला उत्पादन बढ़ाने पर जो दिया जा रहा है। इस कवायद में एसईसीएल ने इस वित्तीय वर्ष का सर्वाधिक कोयला उत्पादन करने में सफलता पायी है। 6.5 लाख टन कोयला उत्पादन में अकेले गेवरा प्रोजेक्ट ने 2 लाख टन की भागीदारी की है। इसके अलावा कुसमुंडा परियोजना से 1.7 लाख टन कोयला उत्पादन किया जा रहा है। जिले की तीनों मेगा परियोजनाओं से कोयला उत्पादन बढ़ाने कोल इंडिया व एसईसीएल के आला अफसर लगातार खदानों का दौरा कर रहे हैं। अधिकारियों की बैठक लेने के साथ ही खदानों में उतरकर खनन गतिविधियों का जायजा ले रहे हैं। उत्पादन में आ रही समस्याओं को दूर करने का प्रयास भी किया जा रहा है, जिसका अब सकारात्मक परिणाम सामने आने लगा है। एसईसीएल को कोयला उत्पादन के अलावा 182 मिलियन टन डिस्पैच का भी टारगेट मिला हुआ है। उत्पादन और डिस्पैच दोनों में ही एसईसीएल पीछे चल रही है। ऐसे में खदान से उत्पादन और डिस्पैच बढ़ाने दबाव प्रबंधन पर बना हुआ है।
रोजाना करना है 6 लाख टन से ज्यादा उत्पादन
एसईसीएल को जनवरी में 19.15 मिलियन टन कोयला उत्पादन का टारगेट दिया गया है। इस लक्ष्य के मुकाबले पहले सप्ताह में एसईसीएल ने लगभग 4.26 मिलियन टन कोयला का उत्पादन कर लिया है। रोजाना टारगेट की बात की जाए तो एसईसीएल को लगभग 6 लाख 17 हजार टन कोयला का खनन करना है। वहीं डिस्पैच में एसईसीएल को जनवरी का 17.67 मिलियन टन टारगेट पूरा करने रोजाना 5 लाख 70 हजार टन कोयला का उठाव करना है। जनवरी के पहले सप्ताह में एसईसीएल ने लक्ष्य के मुकाबले 3.5 मिलियन टन कोयला का उठाव किया है।
भूविस्थापित लगातार कर रहे आंदोलन
जिले में भूविस्थापित अपनी लंबित मांगों को लेकर लगातार आंदोलन करते आ रहे हैं। सीजीएम कार्यालय घेराव के साथ ही खदान बंदी आंदोलन भी हो रहे हैं। कई मामलों में जरूर एसईसीएल के आश्वासन पर आंदोलन टला है, मगर पूरी तरह इस समस्या से छुटकारा पाने में प्रबंधन नाकाम ही रहा है। खदानें गांव तक पहुंच रही है। ऐसे में भूविस्थापित विस्तार परियोजना में रोड़ा लटकाए हुए हैं। उनकी रोजगार मुआवजा व पुनर्वास की मांग लंबित है। भूविस्थापितों के आंदोलन के कारण अंतिम तिमाही में जिले की मेगा परियोजनाओं का उत्पादन भी प्रभावित रह सकता है। ऐसे में प्रबंधन व्याप्त समस्याओं व अवरोधों को दूर करने में जुटा हुआ है।
एसईसीएल ने एक दिन में किया 6.5 लाख टन कोयला उत्पादन, इस वित्तीय वर्ष में पहली बार हुआ इतना उत्पादन, गेवरा से अकेले 2 लाख टन उत्पादन
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