CONGRESS-BJP : नए साल पर भाजपा और कांग्रेस ने बनाया है यह मेगा प्लान, चुनावी साल में बदलेगी तस्वीर

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नई दिल्ली(एजेंसी):नए साल पर भाजपा और कांग्रेस (Congress-BJP) ने अपना ऐसा मेगा प्लान बनाया है कि चुनावी साल उनके लिए यादगार हो। इस मैराथन मेगा प्लान की शुरुआत भाजपा और कांग्रेस उत्तर प्रदेश से करने वाली हैं। दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं को और संगठन से जुड़े पदाधिकारों को इसका संदेश दिया जा चुका है। कांग्रेस इसकी शुरुआत मंगलवार से करने जा रही है, जबकि भाजपा अगले हफ्ते से उत्तर प्रदेश में बड़ा अभियान चलाएगी।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का बड़ा आयोजन

उत्तर प्रदेश में कांग्रेस भारत में यात्रा के माध्यम से अपने संगठन को मजबूत करने के साथ-साथ इस साल होने वाले छह अलग-अलग राज्यों के चुनावों में मजबूती की आधारशिला भी इसी राज्य से रखेगी। कांग्रेस पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता बताते हैं कि पार्टी की ओर से उनको निर्देश मिल चुके हैं कि भारत जोड़ो यात्रा के साथ-साथ किस तरह से उन्हें संगठनात्मक स्तर पर अपने सिस्टम को मजबूत करना है। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के कांग्रेस नेताओं का एक बड़ा दल छत्तीसगढ़ में होने वाले कांग्रेस के बड़े आयोजन में शिरकत करेगा। छत्तीसगढ़ के बाद पार्टी उत्तर भारत के नेताओं को दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर में भी चुनावी अभियान में हिस्सा लेने के लिए भेजेगी।

कांग्रेस पार्टी से जुड़े वरिष्ठ नेता बताते हैं कि क्योंकि इस साल छह राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए पार्टी ने संगठन को मजबूत करने के लिए बीस-बीस नेताओं के चार ग्रुप बनाने के निर्देश दिए हैं। नेताओं और कार्यकर्ताओं के यह ग्रुप जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, वहां जाकर प्रशिक्षण लेंगे। सूत्रों का कहना है कि इनमें छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। पार्टी से जुड़े एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि हिमाचल प्रदेश के नेताओं का भी एक बड़ा दल 26 जनवरी से कांग्रेस की शुरू होने वाली हाथ से हाथ जोड़ो अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है। हाथ से हाथ जोड़ो अभियान के माध्यम से कांग्रेस पार्टी राजनीतिक स्तर पर मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, त्रिपुरा, नगालैंड और मेघालय जैसे राज्यों में सियासी नींव मजबूत करेगी, बल्कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भी की तैयारियों को आगे बढ़ाएगी।

यूपी के दौरे पर अमित शाह

कांग्रेस के साथ भाजपा भी सभी छह चुनावी राज्यों के सियासी समीकरणों को साधने के लिए उत्तर प्रदेश की जमीन को चुन रही है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनावों से पहले भाजपा के कद्दावर नेता उत्तर प्रदेश की सियासी नब्ज को समझेंगे। इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का जल्द ही उत्तर प्रदेश के दौरे पर आने का कार्यक्रम बन रहा है। पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि निकाय चुनावों से पहले होने वाली पार्टी की बड़ी बैठक में कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। ये फैसले संगठनात्मक स्तर पर संदेश देने के लिहाज से भी अहम होंगे। हालांकि बैठकों में मुद्दे सिर्फ निकाय चुनावों पर ही नहीं, बल्कि देश में होने वाले इस साल छह राज्यों के विधानसभा चुनावों पर भी फोकस करते हुए होंगे।

भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जनवरी के दूसरे सप्ताह में उत्तर प्रदेश में केंद्र के कई बड़े नेताओं का जाना होगा। इस दौरान होने वाली बैठकों में भाजपा उत्तर प्रदेश के कार्यकर्ताओं को सिर्फ उत्तर प्रदेश में होने वाले निकाय चुनाव ही नहीं, बल्कि 6 राज्यों के विधानसभा चुनावों में जिम्मेदारियों के लिहाज से भी चर्चा करेगी। पार्टी से जुड़े सूत्र तो यह भी बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में संगठनात्मक स्तर पर कुछ फेरबदल भी किए जाने हैं। हालांकि यह संगठनात्मक स्तर पर फेरबदल कब और कैसे होंगे, इसे लेकर अभी कुछ चर्चा नहीं हुई है।

दोनों दलों को 2023 है बेहद अहम

भाजपा के वरिष्ठ नेता बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के संगठनात्मक स्तर के वरिष्ठ सदस्यों को देश के अलग-अलग राज्यों में होने वाले चुनावों में संगठन को मजबूत करने और चुनावी रणनीति को साधने के लिहाज से भेजा जाएगा। इनमें से कुछ नेताओं को तो पहले से जिम्मेदारियां दी जा चुकी हैं, जबकि कुछ को इसी महीने के अंत में जिम्मेदारियां देकर अलग-अलग राज्यों में रवाना किया जाएगा।

राजनीतिक विश्लेषक हनुमंत प्रसाद कहते हैं कि भाजपा और कांग्रेस पार्टी के लिए यह और अगला साल बहुत महत्वपूर्ण है। खासतौर से केंद्र की सियासत में मजबूती के लिहाज से कांग्रेस जिस तरह से भारत जोड़ो यात्रा चला रही है और हाथ से हाथ जोड़ अभियान चलाने वाली है, वह महत्वपूर्ण है। भाजपा भी विधानसभा ही नहीं बल्कि लोकसभा के चुनावों में कोई कोर कसर छोड़ने वाली नहीं है। हनुमंत कहते हैं कि भाजपा भी उत्तर प्रदेश के साथ अलग-अलग राज्यों में बैठकों के माध्यम से सियासी समीकरण साधेंगे।

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