रायपुर से शाम 6 की बजाए रात 9 बजे छूटी थी ट्रेन
कोरबा@M4S: रायपुर कोरबा के बीच लोगों को मिलने वाली ट्रेन सुविधा समस्या का सबब बन गई है।हसदेव एक्सप्रेस की लेटलतीफी नए-नए रिकॉर्ड कायम कर रही है। महज 200 किलोमीटर की यात्रा में 7 घंटे का समय लग रहा है ।एक तरफ रेलवे फास्ट ट्रेन वंदे मातरम का परिचालन कर यात्रियों को सुविधा प्रदान कर रही है ,तो दूसरी ओर राजस्व कमाऊ जिला कोरबा के साथ अनदेखी का सिलसिला जारी है।
वैसे तो हसदेव एक्सप्रेस को फास्ट ट्रेन कहा जाता है, पर इन दिनों इसकी चाल इतनी गड़बड़ है, कि रायपुर स्टेशन से निकलकर इसे सिर्फ 200 किलोमीटर दूर कोरबा तक आने में सात घंटे लग गए। इस एक्सप्रेस कही जाने वाली ट्रेन की दशा को यूं देंखें कि 50 किलोमीटर की औसत से दौडऩे की बजाय रविवार को यह मात्र 29 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चली। परिणाम स्वरूप ट्रेन रात दस बजे की बजाय देर रात 1.52 बजे कोरबा स्टेशन पहुंची। अब इतनी रात को स्टेशन पहुंचे यात्री यह सोचकर परेशान रहे कि घर जाएं तो कैसे।रेल प्रशासन की मनमानी का खामियाजा कोरबा के यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है। बीते एक साल से यहां से चलने वाली पैसेंजर, मेमू लोकल के साथ-साथ एक्स्रपेस ट्रेनों की यात्रा करना परेशानियों से भरा हुआ है। पिछले दो तीन महीने से लंबी दूरी की सुपरफास्ट ट्रेनों की सवारी करने वालों की भी रेलवे प्रशासन की उदासीनता से पेरशानी बढ़ गई है। कोई भी सवारी गाड़ी क्यों न हो अपने निर्धारित समय पर पहुंच जाए तो उस दिन यात्रियों की किस्मत अच्छी मानी जाती है। हालांकि ऐसी स्थिति कम ही देखने को मिलती है। कुछ ऐसी ही मुश्किल स्थिति रविवार की रात देखने को मिली, जब रायपुर से कोरबा लौट रही हसदेव एक्सप्रेस अपने निर्धारित समय से करीब तीन घंटे विलंब आई। यात्रियों ने बताया कि ट्रेन रायपुर से ही देर से छूटी। वहां से इसके छूटने का निर्धारित वक्त शाम 6.5 बजे का है, जिसके विपरीत यह रात सवा नौ बजे रायपुर से कोरबा के लिए रवाना की गई। इसके बाद यह ट्रेन लगातार लेट रही और कोरबा पहुंचने के निर्धारित समय रात दस बजे की बजाय यह देर रात 12.52 बजे कोरबा के प्लेटफार्म पर आकर ठहरी। विलंब से चलने के कारण रविवार को हसदेव एक्सप्रेस के यात्रियों को परेशानी उठानी पड़ी। देर रात आने से उन्हें स्टेशन से अपने-अपने घर पहुंचने साधन की मुश्किलों से जूझना पड़ा। कोयला डिस्पैच बढ़ाने की होड़ में यात्री ट्रेन को समय पर नहीं चलाकर ं यात्रियों को लगातार परेशान किया जा रहा है।
उरगा के पास परमानेंट अघोषित स्टापेज
रायपुर या बिलासपुर से रात को यहां आने वाली पैसेंजर, मेमू लोकल व रात की हसदेव एक्सप्रेस को चांपा से उरगा के बीच रोकने का सिलसिले जारी है। लगातार शिकायत के बाद भी समय पर ट्रेनों को नहीं चलाया जा रहा है। इस संबंध में सरगबुंदिया हो या मड़वारानी या फिर उरगा जब भी यात्रियों द्वारा हंगामा किया जाता है तब स्टेशन मास्टरों का एक ही जवाब होता है आगे मालगाड़ी है, प्लेटफार्म खाली नहीं है। यात्रियों की परेशानी से रेलवे का कोई सरोकार नहीं है। लंबी दूरी तय कर आने वाली ट्रेनों को मरम्मत की जरूरत होती है। द्वि-साप्ताहिक चलने वाली दो ट्रेनों का मेंटेनेंस बिलासपुर में किया जाता है, जबकि कोरबा में पिटलाइन निर्माण के लिए रेलवे द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, बावजूद इसके यह उपयोगहीन पड़ी है।