कोरबा@M4S: खदानों से कोयला उत्पादन और उठाव बढ़ाने पर पूरा जोर लगाया जा रहा है, ताकि वित्तीय वर्ष की समाप्ति तक लक्ष्य को पूरा किया जा सके। इस कवायद में हादसे भी होते हैं। सुरक्षा के नाम पर भारी-भरकम का फंड जारी किया जाता है ।फंड खर्च भी होते हैं मगर इसके बाद हादसों का क्रम बना हुआ है।
खदानों में हादसों को रोकने और सुरक्षा के मापदंडों को बढ़ाने के लिए बीते छह वर्षों में एसईसीएल ने करीब 1067 करोड़ खर्च किए। उसके बाद भी इन छह वर्षों में खदानों में 80 से अधिक हादसे हुए और 50 लोगों की जानें चली गई। इस वित्तीय वर्ष में कंपनी ने 216 करोड़ सेफ्टी के लिए बजट रखा है, लेकिन आठ महीने में खर्च सिर्फ 97 करोड़ ही किया है।खदानों में कोल कर्मियों की सुरक्षा के लिए खान अधिनियम 1952 के तहत उपाए करने होते हैं। खदानों के भीतर हादसे के कारण, खान प्रबंधन को बेहतर बनाने, अस्थायी अवरोधों पर ध्यान देने के लिए हर साल बजट जारी किए जाते हैं। एसईसीएल की ओपन और अंडरग्राउंड कुल 65 खदानें हैं। इन खदानों में सुरक्षा के मापदंडों के पालन कराने के लिए 2017 : 18 से लेकर अब तक एसईसीएल ने कुल 1477 करोड़ का बजट रखा, लेकिन खर्च सिर्फ 1067 करोड़ ही किया जा सका है। करीब चार सौ करोड़ से अधिक का बजट खर्च ही नहीं किया जा सका। इस भारी भरकम बजट के बीच जिस तरह से लगातार हादसे हो रहे हैं उससे सवाल उठना लाजिमी है।कोयला खान में काम करने वाले कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर पिछले हफ्ते एसईसीएल मुख्यालय में एक बैठक आयोजित की गई थी। इसमें श्रमिक संगठनों की ओर से सुरक्षा का मामला उठाया गया था। बताया गया था कि खदान में काम करने वाली ठेका कंपनियां सुरक्षा मानकों को पालन नहीं कर रही हैं। अपने कर्मचारियों को सेफ्टी जूते, जैकेट या हेलमेट नियमित तौर पर उपलब्ध करा रही हैं। ठेका कंपनियां लाभ कमाने के लक्ष्य को ध्यान में रखकर सुरक्षा नियमों की अनदेखी कर रही हैं। इससे खदानों में दुर्घटनाएं बढ़ रही है। बैठक में उपस्थित निदेशक तकनीकी (योजना परियोजना) एसएन कापरी ने सुरक्षा समिति के सदस्यों को बताया था कि कंपनी शून्य दुर्घटना लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने सुरक्षा मानकों व उपायों के संबंध में कोयला कामगारों को जागरुक करने की बात भी कही थी। बैठक में एसईसीएल सुरक्षा समिति के सदस्य आनंद मिश्रा (एचएमएस), बी, धर्माराव (एटक), इंद्रदेव चौहान (सीटू), संजय सिंह (बीएसएस), कमलेश शर्मा (इंटक) एवं अजय पंडित (सीएमओएआई) ने खदान में सुरक्षा के मापदंडों को पालन कराने के लिए कंपनी को कहा था।