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कोरबा@M4S: मरीजों की सेवा के लिए काम करने वाली नेशनल एंबुलेंस सर्विस संजीवनी में कई प्रकार की मुश्किल बनी हुई है। वाहन रास्ते में ही खड़े हो रहे हैं और चालक से लेकर मरीज परेशान हो रहे है। ऐसे में समस्या का समाधान करने के बजाय वाहन चालकों को निशाने पर लिया जा रहा है।
इस मामले में एंबुलेंस सर्विस के जिला प्रबंधक की भूमिका को जिम्मेदार बताया जा रहा है।कोरबा जिला मुख्यालय से विभिन्न क्षेत्रों के लिए 108 संजीवनी एंबुलेंस सर्विस लोगों को दी जा रही हैं। अधिकतम 12 हजार रुपए मासिक वेतन पर एंबुलेंस के चालक अपनी सेवाएं उपलब्ध करा रहे हैं। समस्या इस बात की है कि वाहनों में संभावित गड़बड़ी और बाद की परेशानियों को बताने पर भी प्रबंधन ध्यान नहीं दे रहा है। मसला गंभीर होने पर उल्टे वाहन चालकों पर कार्रवाई की जा रही है। एक वाहन के चालक राजेश चौहान के साथ कुछ ऐसा ही किया गया। राजेश ने बताया कि अब तक उसने 3 वाहनों का संचालन किया है और सभी में एवरेज औसत के आसपास रहा फिर भी अनावश्यक परेशान करने के लिए कई प्रकार की बातें की जा रही है। राजेश ने बताया कि सिर्फ परेशानी बढ़ाने के लिए उसे पता रायपुर भेजा गया और फिर बताया गया कि उसका ट्रांसफर कोरिया जिला कर दिया गया है। इससे पहले अलग-अलग मसलों को लेकर भी एम्बुलेंस सर्विस की संचालन एजेंसी विवादों के घेरे में आ चुकी है। इसके साथ कर्मचारियों को हड़ताल पर जाना पड़ा है। हालांकि बाद में बीच का रास्ता निकालने के साथ स्थिति को सामान्य किया