बार-बार निर्णय बदलने की वजह से अर्धवार्षिक परीक्षा में देरी परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र अब राज्य से होंगे जारी

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कोरबा@M4S: छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल ने हाई और हायर सेकंडरी की अर्धवार्षिक परीक्षा को लेकर निर्णय बदल दिया है। परीक्षा के लिए प्रश्न पत्र अब राज्य से जारी होंगे। कुछ दिन पहले प्राचार्यो को स्थानीय स्तर पर अर्धवार्षिक परीक्षा लेने के लिए कहा गया था, प्राचार्यो ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी थी। बार-बार निर्णय बदलने की वजह से परीक्षा में देरी हो रही है।
जिले की हाई और हायर सेकेंडरी की अर्धवार्षिक परीक्षा हर साल शीतकालीन अवकाश के पहले ही पूर्ण हो जाती थी। समय सारणी भी एक माह पहले ही घोषणा हो जाती थी, लेकिन इस बार दिसंबर माह का पहला सप्ताह बीतने के बाद भी अर्धवार्षिक परीक्षा की तिथि तय नहीं हो सकी है। इसकी समय सारणी जारी अभी तक नहीं की गई है।पुराने निर्देश के बाद प्राचार्य अर्धवार्षिक परीक्षा की तैयारी में जुटे हुए थे। प्रश्न पत्र तैयार कर रहे थे कि अब मंडल ने हाल में निर्देश जारी किया गया। अब राज्य से प्रश्न पत्र जारी होने की जानकारी दी गई है। इस कारण प्राचार्य, विद्यार्थी को अब अर्धवार्षिक परीक्षा के समय सारणी की इंतजार है। परीक्षा देरी से होने पर उत्तरपुस्तिका की जांच व परिणाम में विलंब होगी। इससे कमजोर व बेहतर प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थियों को आंकलन के बाद वार्षिक परीक्षा की तैयारी के लिए कम समय मिलेगा।

विशेष सावधानी बरतने की जरूरत
मंडल ने तिमाही परीक्षा के लिए राज्य से प्रश्न पत्र जारी करने की बात कही गई थी, लेकिन परीक्षा के पहले पर्चा सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था। इसके बाद मंडल की ओर से प्रश्न पत्र नहीं भेजे गए। तिमाही परीक्षा की जिम्मेदारी स्थानीय प्रशासन व जिला शिक्षा विभाग को सौंप दी गई थी। ऐसे में छिमाही परीक्षा में मंडल को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत रहेगी।तिमाही परीक्षा में शिक्षकों ने ब्लैक बोर्ड में सवाल लिखकर परीक्षाएं ली। विद्यार्थियों ने ब्लैक बोर्ड पर खिले एक-एक प्रश्न को उत्तरपुस्तिका में लिखना पड़ा था। इस दौरान विद्यार्थियों और शिक्षकों को काफी कठिनाई हुई थी।

अधिकांश स्कूलों में पाठ्यक्रम अधूरे
इधर जिले के अधिकांश स्कूलों में पाठ्यक्रम अब भी अधूरे हैं। इसकी वजह शिक्षकों का हड़ताल और व्यवस्था को बताया जा रहा है। इस सत्र के शुरूआती दौर में लगभग 15 से 20 दिन हड़ताल की वजह से स्कूलों की प्रभावित हुई थी। इस कारण अधिकांश स्कूल पाठ्यक्रम पूरे से अब भी पीछे हैं। यह स्थिति ग्रामीण ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्र के स्कूलों में भी है। बावजूद इसके जिला शिक्षा विभाग की ओर से पाठ्यक्रम को पूरा कराने की तैयारी को लेकर निगरानी को लेकर ध्यान नहीं दिया जा रहा है और न तो अतिरिक्त कक्षाएं लगाई जा रही है। इसका असर विद्यार्थियों के परीक्षा परिणाम पर पड़ेगा।

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