कोरबा@M4S:वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में लक्ष्य से पिछडऩे के बाद एसईसीएल ने अब उत्पादन और उठाव बढ़ाने पर जोर दिया है। जिसका असर भी अब देखने को मिल रहा है। इस कड़ी में कुसमुंडा साइलो ने 24 घंटे के भीतर 13 रैक लोडिंग की है। जो स्थापना से लेकर अब तक का सर्वाधिक लोडिंग है।
एसईसीएल द्वारा फर्स्ट माइल कनेक्टिविटी पर विशेष फोकस किया जा रहा है। इस तकनीक की स्थापना कुसमुंडा प्रोजेक्ट में भी किया गया है। कुसमुंडा प्रोजेक्ट में साइलो की स्थापना की गई है। खदान से सीधे कोयला साइलो तक फिर साइलो से मालगाडिय़ों में लोडिंग की जा रही है। 19अक्टूबर को कुसमुंडा साइलो से एक दिन में 13 कोल रैक की लोडिंग की गई है। साइलो की स्थापना को लगभग एक वर्ष से अधिक समय हो चुका है। इस समयावधि में 13 रैक कोल लोडिंग नहीं हुई थी। कुसमुंडा परियोजना द्वारा 19 अक्टूबर को कुल 20 रैक की लोडिंग की गई। जिसमें एनके 2 से 2 तथा गेवरा रोड से 4 रैक लोडिंग की गई।
सर्वाधिक कोयला डिस्पैच का कीर्तिमान
गेवरा परियोजना ने कोयला उठाव में उपलब्धि हासिल की है। 15 अक्टूबर 2022 तक की स्थिति में गेवरा परियोजना से 25.09 मिलियन टन कोयला का डिस्पेच किया जा चुका है। इस वर्ष पिछले साल की तुलना में 9.5 फीसदी का ग्रोथ आया है। यह गेवरा परियोजना का सबसे तेज कोयला उठाव है। उक्त समयावधि में इससे पूर्व वर्ष 2018-19 में गेवरा परियोजना ने 23.98 मिलियन टन कोयला का डिस्पेच किया था।
मेगा परियोजनाओं ने किया निराश
जिले की तीनों मेगा परियोजनाएं उत्पादन लक्ष्य से पीछे चल रही हैं। दीपका एरिया को 38 मिलियन टन का टारगेट दिया गया है। अब तक की स्थिति में 10.88 मिलियन टन कोयला उत्पादन ही हुआ है। जबकि इस अवधि में 18.19 मिलियन टन उत्पादन हो जाना था। गेवरा की 52 मिलियन टन के मुकाबले 23.75 मिलियन टन उत्पादन के साथ दो एमटी पीछे है। कुसमुंडा एरिया 45 मिलियन टन सालाना लक्ष्य के मुकाबले 15.67 मिलियन टन कोयला उत्पादन करने में कामयाब हुआ है। जबकि कुसमुंडा से 21.75 मिलियन टन कोयला उत्पादन हो जाना था।
डिस्पैच और उत्पादन में चल रहे पीछे
एसईसीएल को 182 मिलियन टन कोयला उठाव और उत्पादन का लक्ष्य दिया गया है। इसके मुकाबले एसईसीएल ने अब तक की स्थिति में 70.24 मिलियन टन कोयला का उत्पादन किया है। वहीं 80.87 मिलियन टन कोयला का उठाव पूरा हुआ है। इस अवधि में कंपनी को 91.36 मिलियन टन कोयला का उठाव कर लेना था। इस लिहाज से उत्पादन और डिस्पैच दोनों में ही कंपनी पिछड़ी हुई है।
पावर प्लांट में कोयला सप्लाई बढ़ाने एसईसीएल ने लगाया जोर, साइलो से रैक लोडिंग ने पकड़ी रफ्तार
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