जिले में विशेष पिछड़ी जनजातियों का हो रहा है उत्थान

- Advertisement -

 

किराना दुकान,बकरी पालन,मुर्गीपालन बना आजीविका के साधन

कोरबा@M4S:   राष्टीय आजीविका मिशन अंतर्गत कोरबा जिला के विकासखण्ड कोरबा मे संचालित उत्थान परियोजना के तहत विशेेष पिछड़ी जनजाति वर्ग के लोगों को समाज की मुख्यधारा मे जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है । प्रोजेक्ट उत्थान के तहत वह अब खेती,किराना दुकान और पशुपालन को आजीविका के रूप मे अपना रहे है। कलेक्टर श्री संजीव झा द्वारा विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा एवं बिरहोर जाति के परिवारों के उत्थान ,विकास के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। श्री झा ने विशेष पिछड़ी जनजाति क्षेत्र छातासरई,गढ़उपरोड़ा,नकिया, देवपहरी,लेमरु मे सघन दौरा करके उनके बीच जा कर चौपाल लगा कर,उन्हे मिलने वाली सुविधाओ की बेहतरी के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया था। इसके फलस्वरूप प्रथम चरण मे कोरबा विकासखण्ड मे विशेष पिछड़ी जनजाति परिवारों की महिलाओं को स्वसहायता समूह से जोड़ा गया है। दूसरे चरण मे शासकीय योजनाओ का लाभ दिलाने के लिए आधारकार्ड,वोटर आईडी कार्ड,राशनकार्ड,प्राथमिकता से उपलब्ध कराए गये है। अब इन परिवारों को बिहान से चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश कोश, बैंक लिंकेज,ऋण उपलब्ध कराकर आजीविका गतिविधियो बकरीपालन, मुर्गी पालन, किराना दुकान,सूअरपालन,आदि से जोड़ा जा रहा है. विशेष पिछड़ी जनजाति समुदाय की 08 महिलाओं का सक्रिय महिला के रूप मे चयन किया गया है ताकि वे उनकी वास्तविक परिस्थिति के अनुरूप कार्य कर सकें। इन्हे प्रशिक्षित किया गया है। अब यह सक्रिय महिलाएं समुदाय के अन्य महिलाओं को आजीविका गतिविधियों से जोड़ने का कार्य कर रही है, ताकि उनका विकास हो सके।
एरिया कार्डिनेटर एनआरएलएम श्रीमती अलका आदिले ने बताया कि श्रीराम महिला स्व सहायता समूह तीतरडांड ग्राम पंचायत सिमकेंदा को चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश कोश की राशि दी गयी। जिससे वह किराना दुकान, बकरी पालन, सुअर पालन का कार्य कर रही है। किराना दुकान में महुआ फूल खरीदने से 10 हजार रूपये का फायदा हुआ है। जिससे यह कोरवा महिलाएं अपनी आजीविका गतिविधि आगे बढ़ा रही है। फुलवारी स्व सहायता समूह की तीतरडांड की महिलाएं बकरी पालन एवं सुअर पालन कर रही है। जिससे उन्हे पांच हजार रूपये का लाभ मिला है। समूह की महिलाएं आपस में 10 रूपये प्रति सप्ताह बचत भी कर रही है। श्यांग की एफएलसीआरपी लता मरकाम ने बताया कि हरियाली स्व सहायता समूह की महिलाएं चक्रीय निधि, सामुदायिक निवेश कोश से प्राप्त राशि से बकरी पालन, मुर्गी पालन कर रही है। विगत माह मुर्गी बेचकर उन्होने एक हजार 800 रूपये कमाये है। इस प्रकार विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा परिवार की महिलाएं विभिन्न गतिविधियां अपनाकर आजीविका संवर्धन कर रही है। आजीविका संवर्धन में उत्थान परियोजना की अहम भूमिका है।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!