कोरबा@M4S:ग्राम नराइबोध गोलीकांड की 25 वी बरसी के अवसर पर 11 अगस्त को भूविस्थापित एकजुटता दिवस का आयोजन करते हुए किसान सभा ने नरईबोध में हुए गोलीकांड स्थल जो की अब गेवरा खदान क्षेत्र के अंदर है खदान के अंदर आम पेड़ के पास उपस्थित होकर गोपाल एवं फिरतु दास को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए रोजगार और बसावट की मांग को लेकर संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव प्रशांत झा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि 11अगस्त 1997 में एसईसीएल कुसमुंडा खदान के लक्ष्मण परियोजना के लिए जमीन अधिग्रहण का ग्रामीणों द्वारा शांति पूर्ण विरोध किया जा रहा था। विरोध कर रहे ग्रामीणों और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच शांतिपूर्ण वार्तालाप के दौरान चुपचाप और निहत्थे बैठे किसानों के उपर दमनात्मक कार्यवाही करते हुए एसईसीएल को जमीन सौंपने के लिए पुलिस ने गोली चलवा दी थी जिसमें दो भूविस्थापित गोपाल एवं फिरतु दास की मौत हो गयी और दर्जनों गंभीर रूप से घायल हो गए थे। शासक वर्ग की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर कार्यवाही के बदले गांव के ही निर्दोष 29 लोगों के उपर कार्यवाही कर दीं थी। गोलीकांड में एसईसीएल प्रबंधन,प्रशासन और
तत्कालीन कांग्रेस सरकार का हाथ था।
किसान सभा के नेता जवाहर सिंह कंवर और दिपक साहू ने कहा कि विकास के नाम पर अपनी गांव और जमीन से बेदखल कर दीये गए विस्थापित परिवारों की जीवन स्तर सुधरने के बजाय और भी बदतर हो गई है। 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जाने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की किसी सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय ही नहीं है।विकास की जो नींव रखी गई है उसमें प्रभावित परिवारों की अनदेखी की गई है। खानापूर्ति के नाम पर कुछ लोगों को रोजगार और बसावट दिया गया।आज भी हजारों भूविस्थापित किसान जमीन के बदले रोजगार और बसावट के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं।
नरईबोध गोलीकांड और भू विस्थापित गोपाल- फिरतु दास के शहादत दिवस के 25 साल पूरा होने पर भू विस्थापितों ने एकजुटता दिवस बनाते हुए रोजगार, पुनर्वास बसावट की मांगो को लेकर संघर्ष तेज करने का संकल्प लिया।
सभा मे प्रमुख रूप से जवाहर सिंह कंवर, दिपक साहू,जय कौशिक, मोहन,नरेंद्र यादव, दिलहरण बींझवार,कन्हैया दास, हरनारायण, कृष्णा वस्त्रकार, प्रकाश भारद्वाज, पूर्णिमा महंत,गीता बाई, लता बाई,देव कुंवर, राममती, जान कुंवर, जीरा बाई, अमृता बाई, राम कुंवर, नीरा बाई, कनकन बाई, अघन बाई,के साथ बड़ी संख्या में भू विस्थापित उपस्थित थे।