विस्थापित ग्रामों के बेरोजगारों को एसईसीएल में रोजगार की मांग
एसईसीएल के असली मालिक भू विस्थापित जिनकी जमीन एसईसीएल में गई उन्हें रोजगार देना होगा:प्रशांत
कोरबा@M4S:कोरबा जिले में एसईसीएल की कोयला खनन परियोजनाओं से विस्थापितों के लिए रोजगार की मांग इस क्षेत्र की एक प्रमुख मांग के रूप में उभर रही है, क्योंकि अपनी जमीन से हाथ धो चुके परिवार आजीविका के साधनों के अभाव में बेरोजगारी का दंश सहने पर मजबूर है। प्रभावित किसानों को रोजगार देने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ किसान सभा ने कुसमुंडा एसईसीएल मुख्यालय का घेराव कर समस्या का समाधान नहीं होने पर 25 मई को खदान बंद करने की चेतावनी भी दी है। मुख्यालय गेट पर प्रदर्शन कर रहे आंदोलकारियों को रोकने के लिए बड़ी संख्या में सीआईएसएफ के साथ पुलिस बल तैनात था सीआईएसएफ बल के साथ प्रदर्शनकारियों की तीखी नोकझोंक भी हुई। प्रदर्शन के दौरान दो घंटे तक मुख्य द्वार बंद रहा जिससे कार्यालय में आवाजाही पूर्ण रूप से बंद हो गया था। किसान सभा के प्रदर्शन को समर्थन करते हुए रोजगार एकता संघ के कार्यकर्ता भी आंदोलन में शामिल हुए।
छत्तीसगढ़ किसान सभा के सचिव प्रशांत झा ने प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि एसईसीएल के असली मालिक सीएमडी या जीएम नहीं भूविस्थापित किसान है और वह जमीन जाने के बाद रोजगार के लिए भटक रहे है जिसका एसईसीएल के अधिकारियों के साथ सरकार में बैठे विधायक और मंत्री भी जिम्मेदार है। विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को सभी आउट सोर्सिंग कंपनियों में 100% रोजगार उपलब्ध कराने की मांग लगातार की जा रही है लेकिन प्रबंधन और आउट सोर्सिंग कंपनी आपस में साठगांठ कर रोजगार बेचने का काम कर रही है।विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के प्रति प्रबंधन गंभीर नहीं है।
किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू,जय कौशिक ने कहा कि एसईसीएल के किसी भी झूठे आश्वाशन में अब प्रभावित गांव के बेरोजगार आने वाले नहीं है अब केवल रोजगार चाहिए और प्रभावितों को रोजगार मिलने तक संघर्ष जारी रहेगा।
प्रदर्शन में शामिल प्रभावित गांव के बेरोजगारों ने एसईसीएल के अधीनस्थ कार्य कर रही सभी आउटसोर्सिंग कंपनियों में 100% कार्य विस्थापित बेरोजगारों को उपलब्ध कराने की मांग की और उन्होंने आरोप भी लगाया कि विस्थापन प्रभावित गांव के बेरोजगारों द्वारा इन कंपनियों में रोजगार के लिए जाते हैं तो उन्हें घुमाया जाता है और अंत मे कहा जाता है यहाँ कोई रोजगार नहीं है, और उन्हें रोजगार उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है। किसान सभा का कहना है कि प्रभावित गांव के बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने की नैतिक जिम्मेदारी एसईसीएल की है, लेकिन वह इसे पूरा करने से इंकार कर रही है, जिसके कारण उन्हें मुख्यालय का घेराव करना पड़ा है और 25 मई को खदान बंदी आंदोलन की तैयारी भी की जा रही है।
रोजगार एकता संघ के राधेश्याम कश्यप, दामोदर श्याम,रेशम यादव,बलराम, नरेंद्र, रघु,ठकराल ने कहा की जिनकी जमीन एसईसीएल में गई उन्हें स्थाई रोजगार की मांग को लेकर 199 दिन से आंदोलन जारी है और ग्रामीण किसान खेती किसानी पर आश्रित थे लेकिन एसईसीएल में जमीन अधिग्रहण के बाद गांव से अधिकांश विस्थापित परिवार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एसईसीएल पर आश्रित है आश्रित परिवार के बेरोजगार युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहे है आस पास एसईसीएल को छोड़कर कहीं रोजगार की व्यवस्था नहीं है कंपनी के अधीनस्थ कार्यरत आउट सोर्सिंग एवं वैकल्पिक कार्यों में भूविस्थापित युवाओं को प्राथमिकता नहीं दिया जा रहा है। अगर भू विस्थापित परिवारों के रोजगार की समस्या का निराकरण जल्द नहीं किया गया तो कोयला उत्पादन को पुनः बाधित किया जाएगा।
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक, दिलहरण बिंझवार,पुरषोत्तम कंवर, संजय यादव, देवेंद्र कुमार, शिवरतन, मोहपाल, राधेश्याम कश्यप, दामोदर, रेशम, बलराम, नरेन्द्र, रघु,अनिल बिंझवार,ठकराल,हेमलाल,बेदराम,बृजमोहन के साथ बड़ी संख्या में प्रभावित गांव के बेरोजगार उपस्थित थे।