स्टॉप डेम तो बनाया पर गेट लगाना भूले गर्मियों में सिंचाई के लिए नहीं मिलेगा पानी

- Advertisement -

कोरबा@M4S:गर्मियों में फसलों को सिंचाई के लिए पानी नहीं मिलेगा। खासकर पसान और केंदई वनपरिक्षेत्र में बनाए गए स्टॉप डेम सफेद हाथी साबित हो रहे है। क्योंकि यहां बनाए गए 50 से अधिक स्टॉप डेम में गेट नहीं होने के कारण बरसात का पानी नहीं रूक रहा है।
कोरबा वनमंडल में स्टाप डैम का निर्माण कृषि विभाग की भूमि संरक्षण और जल संवर्धन योजना के तहत किया गया है। प्रत्येक डैम का निर्माण के लिए 12 से 20 लाख जारी किया गया। निर्माण के पांच साल के भीतर विभाग की ओर डैम का निरीक्षण भी नहीं किया गया। स्थानीय ग्रामीणों की ओर सिंचाई के लिए उपयोग नहीं होने की शिकायत कई बार की जा चुकी है। केंदई और पसान रेंज में कई ऐसे डैम हैं जिसका बरसाती नाले में निर्माण किया गया है। निर्माण की बदहाली का आलम यह है कि डैम में गेट तक नहीं लगाया गया है। जल संरक्षण योजना के तहत चेक डैम के निर्माण के पहले जल संरक्षण समिति का गठन करना था, ताकि ग्रामीणों की देखरेख में सिंचाई का सुविधा मिलता रहे। ग्राम पंचायत बर्रा के अंतर्गत वन भूमि में वाटरशेड का निर्माण ग्रामीणों को जानकारी दिए बगैर ही करा दी गई है। जिला प्रशासन की ओर से जांच की जाए तो अनियमितता से जुड़े कई लोगों का नाम सामने आ सकता है। बहरहाल सूखे डैम को उपयोगी बनाए जाने की दिशा में अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। निर्माण में बरती गई अनियमितता की हद यह है कि 100 मीटर के दायरे में तीन स्टाप डैम बनाया गया और तीनों में पानी की सुविधा नहीं है।स्टाप डैम बनाने का उद्देश्य केवल सिंचाई ही नहीं है, बल्कि वन्य जीवों के लिए पानी की सुविधा सुनिश्चत कराना है। पानी की कमी से वन्य जीव आसपास के जंगल से भटक गांव की ओर आते हैं। केंदई और पसान हाथी प्रभावित क्षेत्र में आता हैं। वन विभाग ने भी पेयजल सुविधा के लिए पहल नहीं की है। हाथियों का दल पानी कमी एक से दूसरे वन परिक्षेत्र मे विचरण कर रहे हैं। इस दौरान रास्ते में आने वाले मकान फसल को नष्ट कर रहे हैं। जंगल में पेड़ों की कमी से वर्ष भर चलने बहने वाले नाले भी सूखने लगे हैं। संरक्षण की दिशा में चेक डैम का निर्माण लोगों के लिए अनुपयोगी साबित हा रहा।
सिंचाई की योजना पर लगा पलीता
अब तक बनाए गए स्टाप डैम से ढाई हजार हैक्टेयर कृषि भूमि की सिंचाई हो सकती थी, लेकिन वर्तमान में बमुश्किल 27 हजार हेक्टेयर जमीन में ही सिंचाई हो रही है। खेतों की सिंचित करने की योजना असफल साबित हो रही है। यह सुविधा केवल खरीफ में मिलती है। रबी फसल के लिए पानी देने में एक भी डैम सक्षम नहीं हैं। गर्मी के समय में जल सुविधा वाले नालों में डैम का निर्माण नहीं करने से जल व्यर्थ बह रहा है।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!