GOOD NEWS:जिले के 280 गांव कोविड संक्रमण से हुए मुक्त,

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ग्रामीणों तक दवाइयों, जांच और उपचार की पर्याप्त सुविधाओं की पहुंच ने संक्रमण से उबरने में की मदद
कोविड अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक विकसित स्वास्थ्य सुविधाओं से मिल रही सफलता
मितानिनों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों की मेहनत भी रंग ला रही
कोरबा@M4S:कोरोना वायरस के जानलेवा नए स्वरूप से कोरोना संक्रमण की दर देश भर में तेजी से बढ़ने से लोगों के लिए बहुत ही घातक तथा हानिकारक साबित हुई। देशभर में कोरोना-संक्रमण ने गांवों तक भी आसानी से अपने पैर पसारे। संक्रमण के इस दौर में कोरबा जिले के लिए यह एक राहत भरी खबर है कि जिले के 280 गांव कोविड संक्रमण से पूरी तरह मुक्त हो चुके हैं। जिले के इन गांवों तक या तो संक्रमण नही पहंुच पाया है, या फिर उन्हें संक्रमण से जल्द मुक्ति मिल चुकी है। वर्तमान में इन गांवों में एक भी संक्रमित व्यक्ति नही है। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा गांव-गांव तक दवाईयों, कोरोना जांच की सुविधाओं तथा कोविड मरीजों के ईलाज के लिए मुहैया करवाई गई स्वास्थ्य सुविधाओं के कारण जिले के गांव तेजी से संक्रमण मुक्त हो रहे हैं। जिले के कुल 716 गांवो में से 280 गांव पूरी तरह से कोरोना संक्रमण से मुक्त हो गए हैं। कोरोना संक्रमण मुक्त होने वाले गांवों में विकासखण्ड कटघोरा के 60 गांव, पाली के 27 गांव, कोरबा के 72 गांव, करतला के 79 गांव और विकासखण्ड पोड़ी-उपरोड़ा के 42 गांव शामिल हैं।
कलेक्टर किरण कौशल द्वारा कोरोना की दूसरी लहर की शुरुआत में ही ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण की रोकथाम के लिए हर जरूरी कदम उठाए गए। पहली लहर के दौरान गांवों में स्थापित क्वारंटाइन सेंटरों को पहले से अधिक मजबूत व्यवस्थाओं के साथ फिर से सक्रिय किया गया। अन्य राज्यों अथवा शहरी क्षेत्रों से गांव लौटने वाले व्यक्तियों तथा परिवारों को इन सेंटरों में ठहराने, उनकी जांच तथा उपचार की व्यवस्था की गई। घर-घर तक सर्वेक्षण कर संक्रमितों का पता लगाने के लिए मितानिनों, तथा स्वास्थ्य अमले के साथ-साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और शिक्षकों को भी सक्रिय किया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं तथा मैदानी अधिकारी-कर्मचारियों ने सर्दी-बुखार के मरीजों की पहचान करने के साथ-साथ उनके उपचार में भी अपनी भागीदारी निभाई। कोरोना से बचाव एवं उपचार के प्रति जागरुकता लाने में भी उन्होंने अपनी भूमिका निभाई।
कलेक्टर श्रीमती कौशल के निर्देश पर समय रहते गांव-गांव तक आवश्यक दवाइयों के किट की आपूर्ति और उसका वितरण सुनिश्चित किया गया। ग्राम पंचायत तक के नेटवर्क के जरिये कोरोना नियंत्रण के लिए किए जा रहे उपायों की मानिटरिंग का काम भी स्वयं कलेक्टर श्रीमती कौशल ने किए। जिले में टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने के लिए आरटीपीसीआर पद्धति से कोरोना जांच के लिए अत्याधुनिक लैब की भी स्थापना की गई। इससे सेंपलों की रोज होने वाली टेस्टिंग की संख्या भी बढ़ी और आरटीपीसीआर जांच के लिए दूसरे जिलों के लैबों पर निर्भरता पूरी तरह से खत्म हो गई। जिले के सभी कोविड अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों तक स्वास्थ्य अधोसंरचनाओं को मजबूत किया गया तथा सभी जगह कोविड मरीजों के ईलाज के लिए उचित और बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया गया। कोविड अस्पतालों में आॅक्सीजीनेटेड बिस्तरों की संख्या में बढ़ोतरी के साथ-साथ अस्पतालों में आईसीयू बिस्तर और वेंटिलेटर की भी सुविधाओं का विस्तार किया गया है। जिले के छोटे जगहों में भी आईसोलेशन सेंटर की स्थापना कर उपचार सुविधाओं को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाया गया। ग्रामीण क्षेत्र के गंभीर मरीजों को जल्दी से जल्दी अस्पतालों तक पहुंचाया जा सके इसके लिए एंबुलेंस तथा अन्य वाहनों की संख्या में बढ़ोतरी की गई। जिले में स्थापित होम आईसोलेशन और कोविड कंट्रोल रूम से लगातार होम आईसोलेटेड मरीजों की निगरानी की गई। डाॅक्टरों द्वारा मरीजों की लगातार निगरानी और उचित परामर्श से कोविड मरीजों को संक्रमण से उभरने में भी सहायता मिली और गांव के कोविड संक्रमित मरीज जल्दी से ठीक होते गए।

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