कोलकत्ता(एजेंसी):एक्ट्रेस से तृणमूल कांग्रेस सांसद बनीं नुसरत जहां ने लंदन में भारतीय उच्चायोग से सुरक्षा मांगी है, जहां वह एक बंगाली फिल्म की शूटिंग कर रही हैं। ‘महिषासुर मर्दिनी’ का रूप धारण करके एक वीडियो पोस्ट करने के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर कथित तौर पर जान से मारने की धमकी मिली है। यह जानकारी तृणमूल सांसद के एक नजदीकी सहयोगी ने बुधवार को दी।
नुसरत जहां ने गत 18 सितम्बर को अपने इंस्टाग्राम और ट्विटर अकाउंट पर अपना एक वीडियो पोस्ट किया था जिसमें वह एक त्रिशूल लिए हुए महिषासुर मर्दिनी बनीं दिख रही हैं। इसके बाद इंटरनेट यूजर्स के एक वर्ग द्वारा उन्हें ट्रोल किया गया।
नुसरत जहां के खिलाफ बांग्ला भाषा में लिखी एक टिप्पणी में कहा गया, ”तुम स्वयं को बचा नहीं पाओगी, तुम्हारे पृथ्वी के भगवान तुम्हें बचा नहीं पाएंगे…तुम्हें अपनी मौत के बाद अपनी मूर्खता का अहसास होगा..।”
नुसरत जहां के एक करीबी सहयोगी ने बुधवार को कहा कि नुसरत जहां को एक सांसद के तौर पर नियमित सुरक्षा मिली हुई है। सहयोगी ने बताया कि नुसरत जहां लंदन में 27 सितम्बर से अक्टूबर के मध्य तक शूटिंग के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा का मुद्दा पश्चिम बंगाल सरकार और विदेश मंत्रालय के साथ उठा चुकी हैं। ब्रिटेन में भारतीय उच्चायुक्त को 29 सितंबर को लिखे एक पत्र में नुसरत जहां ने कहा, ”मैं आपको सूचित करना चाहूंगी कि मैं अपने पेशेवर उद्देश्य से दो दिन पहले लंदन पहुंची थी और यहां पहुंचने के बाद मुझे अपने सोशल मीडिया पेजों के माध्यम से कुछ कट्टरपंथियों से जान से मारने धमकी मिली है जो भारत और पड़ोसी देश के हैं।
नुसरत जहां ने सूचित किया कि वह 16 अक्टूबर तक लंदन में रहेंगी। उन्होंने पत्र में कहा, ”मेरे लंदन प्रवास के दौरान मुझे तत्काल पुलिस सुरक्षा की आवश्यकता है क्योंकि यह खतरा बहुत गंभीर है और यह मेरे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि लंदन में जरूरी सुरक्षा प्रदान करने की कृपया व्यवस्था करें।”
उन्होंने अपने मेल बॉक्स पर दो ट्रोल्स के स्क्रीन शॉट्स संलग्न किए। उनमें से एक में लिखा है, ”तुम्हारी मृत्यु का समय आ गया है। तुम अल्लाह से डरती हो लेकिन अपने शरीर को ढंक नहीं सकती। तुम पर शर्म है।” नुसरत जहां की टीम के एक सदस्य ने कहा, ”वह हमेशा धर्मनिरपेक्ष और समावेशी विचारों के लिए खड़ी हुई हैं और ये ट्रोल उन्हें रोक नहीं सकते।” नुसरत जहां की पिछले दिनों सिंदूर खेलने और इस्कॉन रथयात्रा की शुरुआत करने लिए मुस्लिम कट्टरपंथियों के एक वर्ग द्वारा आलोचना की गई थी। उन्होंने पलटवार करते हुए मानवता और धर्मनिरपेक्षता के प्रति अपनी आस्था जतायी थी और कहा था कि यह उन्हें इस्लाम को मानते हुए अन्य धार्मिक त्योहारों में भाग लेने से नहीं रोकता है।