नई दिल्ली(एजेंसी):लोकसभा में गुरुवार को कृषि से जुड़े दो विधेयक पारी हो गए हैं। इन दो विधयकों में एक कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) बिल है और दूसरा मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तीकरण बिल) 2020 है। सरकार को इस इन विधेयक को लेकर लोकसभा में विरोध का भी सामना करना पड़ा है।
यहां तक कि खुद में सरकार में शामिल शिरोमणि अकाली दल की नेता और केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने इन विधेयकों का विरोध करते हुए इस्तीफा दे दिया है। शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने लोकसभा में इन विधेयकों को किसान विरोधी कदम बताया और कहा कि उनकी पार्टी की एकमात्र मंत्री इस्तीफा दे देंगी। इसके फौरन बाद हरसिमरत कौर ने इस्तीफे का ऐलान किया। अब ऐसे में सवाल उठ रहा है कि एनडीए के पुराने घटक दल ने ऐसा कदम क्यों उठाया?
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दरअसल, लॉकडाउन के दौरान 5 जून को कृषि संबंधी तीन अध्यादेश लाए गए थे और संसद सत्र के ऐलान के साथ ही खासकर पंजाब और हरियाणा के किसान इन अध्यादेशों के विरोध में सड़कों पर उतर आए। सरकार संकेत दे चुकी थी कि मॉनसून सत्र में इन अध्यादेशों को द फार्मर्स प्रोड्यूस ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फेसिलिटेशन) बिल 2020; द फार्मर्स (एम्पॉवरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑफ प्राइज एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेस बिल 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिए संसद से पास करवा कर कानून बनाया जाएगा। इनमें से एक बिल मंगलवार को ही पास हो गया था जबकि बचे हुए दो बिल आज पास हो गए।
कांग्रेस ने कृषि से संबंधित विधेयकों को किसान विरोधी करार देते हुए बृहस्पतिवार को संसद के भीतर एवं बाहर इनका पुरजोर विरोध किया और आरोप लगाया कि सरकार किसानों को खत्म करने के साथ ही कुछ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहती है। पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि ये ‘काले कानून किसानों और मजदूरों के शोषण के लिए बनाए जा रहे हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, ”मोदी जी ने किसानों की आय दुगनी करने का वादा किया था।लेकिन मोदी सरकार के ‘काले क़ानून किसान-खेतिहर मज़दूर का आर्थिक शोषण करने के लिए बनाए जा रहे हैं। ये ‘ज़मींदारी’ का नया रूप है और मोदी जी के कुछ ‘मित्र नए भारत के ‘ज़मींदार होंगे। कृषि मंडी हटी, देश की खाद्य सुरक्षा मिटी।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कृषि उपज एवं कीमत आश्वासन संबंधी विधेयकों को ‘परिवर्तनकारी बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि किसानों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का तंत्र जारी रहेगा और इन विधेयकों के कारण तंत्र पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। तोमर ने कहा कि यह किसानों को बांधने वाला विधेयक नहीं बल्कि किसानों को स्वतंत्रता देने वाला विधेयक है। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, किसानों को उनकी उपज के लिए लाभकारी मूल्य दिलाना सुनिश्चित होगा और उन्हें निजी निवेश एवं प्रौद्योगिकी भी सुलभ हो सकेगी।