नई दिल्ली(एजेंसी):ऐसा कहा जाता है कि विश्वकर्मा पूजा के बिना कोई भी तकनीकी कार्य शुभ नहीं होता। इसलिए घर हो या दुकान तकनीकी कार्य शुरू करने से पहले इनका पूजन किया जाता है। विश्वकर्मा पूजा इस साल 17 सितंबर को मनाई जा रही है। दरअसल इस बार 16 सितंबर को शाम 7 बजकर 23 मिनट पर संक्रांति है, इसलिए विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को ही मनाई जाएगी।
यह पूजा खासकर देश के पूर्वी प्रदेशों में मनाई जाती है, जैसे असम, त्रिपुरा, वेस्ट बंगाल, ओड़िशा, बिहार, झारखंड। कहते हैं कि विश्वकर्मा ने ही ब्रह्मा जी की सृष्टि के निर्माण में मदद की थी और पूरे संसार का नक्शा बनाया था। शास्त्रों के अनुसार विश्वकर्मा वास्तुदेव के पुत्र हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि पांडवों के लिए माया सभा भी विश्वकर्मा ने ही बनाई थी। ऋग वेद में कहा गया है कि स्थापत्य वेद जो मशीन और आर्किटेक्टर की साइंस है, उसे भी विश्वकर्मा ने बनाया है। एक तरह से इन्हें भगवान विश्वकर्मा को पूरी दुनिया का सबसे पहला इंजीनियर कहा जाता है।
ऐसा भी कहा जाता है कि पांडवों के लिए माया सभा भी विश्वकर्मा ने ही बनाई थी। ऋग वेद में कहा गया है कि स्थापत्य वेद जो मशीन और आर्किटेक्टर की साइंस है, उसे भी विश्वकर्मा ने बनाया है।
दिवाली के बाद गोवर्धन पूजा पर भी इनकी पूजा की जाती है।
प्राचीन काल में जितने भी सुप्रसिद्ध नगर और राजधानियां थीं, उनका सृजन भी विश्वकर्मा ने ही किया था, जैसे सतयुग का स्वर्ग लोक, त्रेतायुग की लंका, द्वापर की द्वारिका और कलियुग के हस्तिनापुर। महादेव का त्रिशूल, श्रीहरि का सुदर्शन चक्र, हनुमान जी की गदा, यमराज का कालदंड, कर्ण के कुंडल और कुबेर के पुष्पक विमान का निर्माण भी विश्वकर्मा ने ही किया था।