नई दिल्ली(एजेंसी):कोरोना संक्रमण काल के बीच नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से 13 सितंबर को नीट-यूजी परीक्षा होगी। इसमें करीब 16 लाख अभ्यर्थी परीक्षा देंगे। वहीं, 1 से 6 सितंबर तक जेईई मेन्स कराए जाने की तैयारी है। एक ही दिन में नीट होने से सोशल डिस्टेंस का पालन सुनिश्चित नहीं हुआ तो बच्चों की सेहत के लिए खतरा हो सकता है।
सवाल यह भी उठ खड़ा होता है कि जब पहले भी कई मौकों पर यह परीक्षा अलग-अलग समय पर कराई गई है, तो इस बार एक ही दिन में कराने का क्या औचित्य है क्योंकि, अलग-अलग दिन कराने से कुछ हद तक सोशल डिस्टेंस का पालन संभव हो पाएगा।
एम्स एकेडमिक के डीन डॉ कुलदीप सिंह का मानना है कि कोरोना काल में सबसे अहम बच्चों की सेफ्टी है। उन्हें ट्रेवलिंग से बचाने के लिए एक शहर में एक से अधिक सेंटर और एक से अधिक शिफ्ट में एग्जाम कराना चाहिए। सेंटर बढ़ेंगे तो बच्चों के बीच फिजिकल डिस्टेंसिंग भी बनी रहेगी। हर सेंटर पर बच्चों की संख्या भी कम होगी।
पहले हुआ ऐसा तो अब क्यों नहीं…!
विशेषज्ञों के अनुसार, वर्ष 2013 में कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के कारण नीट 10 से 15 दिन बाद हुआ था, जबकि बाकी राज्यों में पहले ही एग्जाम ले लिया गया। वर्ष 2016 में नीट-1 व नीट-2 अलग-अलग हुए थे। पिछले साल 2019 में पूरे देश में पेपर हुआ, लेकिन ओडिशा में आए चक्रवात के कारण वहां परिस्थितियां सामान्य होने पर पेपर का आयोजन हुआ।
जिलों में करें कोरोना की स्थिति का पता-
एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि एनटीए को राज्यों से संपर्क करना चाहिए और वहां के जिलों में कोरोना की स्थिति का पता करना चाहिए। कोरोना से अधिक प्रभावित क्षेत्रों में परीक्षा अन्य तारीखों पर करवाई जाएं। इसके लिए एनटीए को अधिक पेपर जरूर सेट करने पड़ेंगे, लेकिन अलग अलग दिनों में हुए पेपर में छात्रों द्वारा हासिल किए गए अंकों का नार्मेलाइजेशन करके रिजल्ट तैयार किया जा सकता है।