RAHAT INDORI: शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे….पढ़ें मशहूर शायर राहत इंदौरी के ये फेमस शेर

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नई दिल्ली(एजेंसी):Rip Rahat Indori: जाने माने शायर और गीतकार राहत इंदौरी का आज दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया है। राहत इंदौरी कोरोना संक्रमित होने के बाद इंदौर के एक अस्पताल में भर्ती थे। राहत इंदौरी ने अपनी शायरी और गजलों से इश्क को जहां एक अलग अंदाज़ में बयां किया वहीं उनके सियासी शेर ने व्यवस्था को आइना दिखाने का काम भी किया। आइए एक नजर डालते हैं राहत इंदौरी के उन फेमस शेर पर जिन्हें लोगों ने कई बार दोहराया।

-दो गज सही ये मेरी मिलकियत तो है
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।

-शाखों से टूट जाएं वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधी से कोई कह दे कि औकात में रहे

-अपनी पहचान मिटाने को कहा जाता है
बस्तियां छोड़ के जाने को कहा जाता है।

-जिस दिन से तुम रुठीं
मुझ से रुठे-रुठे हैं
चादर-वादर,तकिया-वकिया,
बिस्तर-विस्तर सब

-इबादतों की हिफाजत भी उनके जिम्मे हैं,
जो मस्जिदों में सफारी पहन के आते हैं।

-अफवाह थी की मेरी तबियत खराब है
लोगों ने पूछ-पूछ के बीमार कर दिया।

-अब कहां ढूढने जाओगे हमारे कातिल
आप तो तत्ल का इल्जाम हमीं पर रख दो।

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