दो, पांच और तीस किलो की आकर्षक पैकिंग में आठ रूपये किलो बिकेगी गौठानों की वर्मी कम्पोस्ट लैम्पस से वर्मी कम्पोस्ट के लिये किसानों को लोन भी मिलेगा, शासन ने जारी किए निर्देश

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कोरबा@M4S:सोमवार 20 जुलाई से हरेली त्यौहार के दिन शुरू हो रही गोबर खरीदी की गोधन न्याय योजना से छत्तीसगढ़ की ग्रामीण अर्थव्यवस्था और मजबूत होने वाली है। इस योजना के तहत गौठान समितियों द्वारा गांव-गांव में पशुपालकों से खरीदे गये गोबर से तैयार वर्मी कम्पोस्ट को आठ रूपये प्रति किलो की दर से बेचा जायेगा। गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम स्थानीय स्व सहायता समूह करेंगे। इन समूहों को कृषि विज्ञान केंद्र और राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत वर्मी कम्पोस्ट बनाने का विशेष प्रशिक्षण भी दिया जायेगा। गौठानों में बनी खाद दो, पांच और तीस किलो की आकर्षक पैकिंग में बिक्री के लिए उपलब्ध होगी। राज्य शासन ने गौठानों में खाद उत्पादन और उसकी मार्केटिंग के संबंध में भी जरूरी दिशा निर्देश जारी किये हैं।

ग्राम पंचायत के गांवों में पशुओं की संख्या और गोबर की उपलब्धता के आधार पर संबंधित गौठान में वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए वर्मी टंाके बनाये जायेंगे। वर्मी टंाके बनाने के काम में भी स्थानीय ग्रामीणों को मनरेगा और आरईएस के माध्यम से रोजगार मिलेगा। वर्मी टंाका 3.6 मीटर लंबा, डेढ़ मीटर चैड़ा और लगभग पौन मीटर गहरा होगा। जिसे मनरेगा के प्राक्कलन अनुसार तैयार किया जायेगा। गौठान समिति द्वारा खरीदे गये तथा गौठान में एकत्रित किये गये गोबर से प्राथमिक तौर पर स्वसहायता समूह वर्मी कम्पोस्ट बनायेंगे। स्थानीय मांग और जरूरत के हिसाब से ही गोबर के अन्य उत्पाद तैयार होंगे। वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए टांकों की भराई कृषि विभाग के विशेषज्ञ मैदानी अमले की देखरेख में होगा। वर्मी टंाके में 15 से 20 दिन तक अपगठित गोबर का ही उपयोग किया जायेगा ताकि गोबर की गर्मी और मिथेन गैस से खाद बनाने वाले केचुआंे पर विपरीत प्रभाव न पड़े।
वर्मी टांके में तैयार कम्पोस्ट खाद को छानकर केचुओं को अलग कर उसका उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशाला में प्रमाणीकरण कराया जायेगा। गौठानों में बनी वर्मी कम्पोस्ट की पैकेजिंग तथा उसकी गुणवत्ता जांच कृषि विभाग की देखरेख में स्वसहायता समूह द्वारा की जायेगी। प्रयोगशाला परीक्षण और अन्य व्यय के लिए गौठान समितियां 25 पैसे प्रतिकिलो की दर से पर्यवेक्षण शुल्क का प्रावधान रखेगी। प्रमाणित खाद की पैकेजिंग के लिए पैकिंग बैग, बैग प्रिंटिंग, वजन मशीन आदि की व्यवस्था गौठान समितियों द्वारा की जायेगी। गुणवत्ता नियंत्रण के परिणाम अनुसार मानक स्तर की खाद को दो किलो, पंाच किलो और 30 किलो के पॅाली पैक में स्वसहायता समूहों द्वारा पैक कराया जायेगा। पैकिंग बैग के उपर वर्मी कम्पोस्ट की पूरी जानकारी और विवरण प्रिंट कराया जायेगा। प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग के लिए 65 पैसे प्रतिकिलो की दर से स्वसहायता समूहों द्वारा व्यय किया जायेगा।
पॅालीबैग में पैक गौठान की वर्मी कम्पोस्ट को आठ रूपये प्रति किलो की दर से बेचा जायेगा। किसानों को खेती और उद्यानिकी फसलों में उपयोग के लिए खाद विक्रय पर प्राथमिकता दी जायेगी। किसान गौठानों से सीधे वर्मी कम्पोस्ट नहीं खरीद सकेंगे। किसानों को वर्मी कम्पोस्ट प्राथमिक सहकारी समितियों या लेम्पस के माध्यम से मिलेगा। वर्मी कम्पोस्ट खरीदने के लिए प्राथमिक सहकारी समितियों एवं लेम्पस के माध्यम से किसानों को ऋण भी दिया जायेगा। राज्य शासन ने निर्देश जारी कर गौठानों में निर्मित वर्मी कम्पोस्ट को प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों एवं लेम्पसों से किसानों को खेती के लिए दिये जाने वाले अल्पकालिक कृषि ऋण के ऋणमान में शामिल कर लिया है। किसान लेम्पसों से बीज-खाद की तरह ही लोन लेकर वर्मी कम्पोस्ट भी प्राप्त कर सकेंगे। किसानों को वर्मी कम्पोस्ट प्राप्त करने के लिए लेम्पस या सहकारी समिति में परमिट कटाकर गौठान समिति में जाना होगा। गौठान समिति द्वारा निर्धारित मात्रा में वर्मी कम्पोस्ट देकर परमिट पर प्रमाणीकरण किया जायेगा। किसानों द्वारा प्रमाणित पर्ची सोसायटी में जमा की जायेगी। इसके बाद वर्मी कम्पोस्ट की राशि किसानों के ऋण खाते में समायोजित की जायेगी। प्राथमिक सहकारी समितियों एवं लेम्पसों को 50 पैसे प्रतिकिलो के हिसाब से वर्मी कम्पोस्ट कमीशन मिलेगा। हर हफ्ते शुक्रवार को सोसायटी या लेम्पस द्वारा गौठान समिति को कम्पोस्ट खाद की राशि का आॅनलाईन ट्रांसफर खाते में किया जायेगा। स्वसहायता समूह तथा गौठान समितियां शुद्ध लाभ को 75 अनुपात 25 के मान से आपस में साझा करेंगे।

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