सोमवार से शुरू होगी ग्रामीणों से गोबर खरीदी की गोधन न्याय योजना गौ पालकों से दो रूपये किलो में खरीदा जायेगा गोबर, हर 15 दिन में मिलेगा भुगतान गोबर खरीदी के लिए बनेगा कार्ड, हर दिन होगी इंट्री, गौ पालकों के हस्ताक्षर भी लिये जायेंगे

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कोरबा@M4S:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना सोमवार 20 जुलाई से कोरबा जिले में भी शुरू हो जायेगी। हरेली के पवित्र त्यौहार के दिन से जिले की 197 गोैठान ग्राम पंचायतों में पशु पालकों से दो रूपये किलो में गोबर खरीदा जायेगा। राज्य सरकार के कृषि विभाग ने जिला कलेक्टरों को इस योजना के सफल संचालन के लिए जिम्मेदारी सौंपी है। साथ ही मंत्रालय महानदी भवन रायपुर से योजना के क्रियान्वयन के संबंध में स्पष्ट दिशा निर्देश भी जारी कर दिये गये हैं। कलेक्टर किरण कौशल ने भी हरेली त्योैहार के दिन 20 जुलाई से इस महत्वाकांक्षी योजना के शुभारंभ के लिए जरूरी तैयारियां समयय रहते पूरे करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए हैं।
गोधन न्याय योजना के तहत जिले के पूरी तरह स्थापित हो चुके 197 गौठानों में गोबर खरीदी कर वर्मी कम्पोस्ट एवं गोबर के अन्य उत्पाद तैयार किये जायेंगे। गौ पालकों से खरीदे गये गोबर से तैयार किये गये वर्मी कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पादों को शासन द्वारा निर्धारित दर पर बेचा जायेगा। गौ पालकों से गोबर की खरीदी गौठान समितियों द्वारा परिवहन शुल्क सहित दो रूपये प्रति किलो के हिसाब से की जायेगी। गौठान समिति अपने ग्राम पंचायत में शामिल गांव के ही गौ पालकों से गोबर खरीदेगी। गोबर खरीदने के लिए गांव में जाने की समय सारिणी निर्धारित की जायेगी। गौठान समितियों द्वारा गौवंशीय एवं भैंस वंशीय पशुओं का ही गोबर पशु पालकों से खरीदा जायेगा। अपने पशुओं द्वारा उत्पादित गोबर की बिक्री पशुपालक के लिए पूरी तरह से स्वैच्छिक होगी। गौठान समितियां हाथ में उठाये जाने लायक अर्द्ध ठोस प्रकृति का ही गोबर खरीदेंगी। कंाच, प्लास्टिक, मिट्टी आदि अपशिष्टों वाला गोबर नहीं खरीदा जायेगा। पशु पालकों से केवल गोबर खरीदा जायेगा, गोबर से बने अन्य उत्पाद जैसे कंडा आदि नहीं खरीदे जायेंगे।
गौठान समितियां पशुपालकों से खरीदे गये गोबर का पूरा लेखा-जोखा भी रखेंगी। हरेक पशुपालक के लिए गोबर खरीदी कार्ड या क्रय पत्रक बनाया जायेगा। प्रतिदिन खरीदे गये गोबर की मात्रा की इस कार्ड में इंट्री की जायेगी और इस पर पशुपालक के भी हस्ताक्षर लिये जायेंगे। गौठानों में रहने वाले पशुओं से मिले गोबर का स्वामित्व गौठान का होगा और उसके लिए पशुपालक को कोई राशि नहीं दी जायेगी। गौठानों में आने वाले पशुओं के लिए पहले की तरह ही हरे चारे की यथासंभव व्यवस्था गौठान समितियों द्वारा की जायेगी। पशुपालकों से खरीदे गये गोबर को गौठान में लाकर सीपीटी में रखा जायेगा और 15-20 दिन के बाद वर्मी कम्पोस्ट बनाने के लिए उपयोग किया जायेगा। पशुपालकों से खरीदे गये गोबर की मात्रा अनुसार भुगतान हर 15 दिन में होगा। गोबर को तौलने के लिए तराजू या कैलिबे्रटेड फर्मा का उपयोग किया जायेगां। गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाने का काम स्थानीय स्व सहायता समूह करेंगे। इस काम में चरवाहों को भी जोड़ा जायेगा। जिला कलेक्टर के नेतृत्व में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों की सभी गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाने की काम की निगरानी करेंगे।

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