सचिन पायलट पर एक्शन की इनसाइड स्टोरी, इन तीन मांगों को नहीं मान सकती थी कांग्रेस

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नई दिल्ली(एजेंसी):राहुल गांधी के बेहद करीबी और पार्टी की युवा ब्रिगेड के सबसे चमकदार चेहरों में से एक सचिन पायलट को राजस्थान के उपमुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया है। प्रदेश अध्यक्ष पद से भी उनकी छुट्टी करते हुए कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह उनसे नाता तोड़ने को तैयार है। आखिरी वक्त तक पायलट को मनाने की कोशिश में जुटी पार्टी ने आखिर क्यों और किस तरह यह फैसला लिया? यह जानने के लिए हिन्दुस्तान टाइम्स ने कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से बात की और कड़ियों को जोड़कर इस सवाल का जवाब जुटाने की कोशिश की है।

फैसले की प्रक्रिया में शामिल एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक पायलट ने पार्टी नेताओं के सामने तीन मांगें रखी थीं, जिन्हें माना नहीं जा सकता था। इसमें से पहली मांग यह थी कि चुनाव से एक साल पहले, 2022 में उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया जाए। पहचान गोपनीय रखने की शर्त पर नेता ने बताया, ”वह सार्वजनिक रूप से हमसे वादा चाहते थे कि आखिरी साल में उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। वह चाहते थे कि इसकी घोषणा कर दी जाए।”

दूसरी मांग यह थी कि पायलट के साथ बगावत करने वाले मंत्रियों और विधायकों को उचित स्थान दिया जाए। इसका मतलब यह नहीं कि सभी को मंत्री बनाया जाए, लेकिन उन्हें कॉर्पोरेशन या अन्य बॉडीज का प्रमुख बनाकर सम्मानित किया जाए।

कांग्रेस के मध्यस्थों के सामने तीसरी मांग रखी गई थी कि कांग्रेस महासचिव अविनाश पांडे के राजस्थान का प्रभार वापस ले लिया जाए। पायलट मानते हैं कि पांडे का झुकाव मुख्ममंत्री अशोक गहलोत की तरफ था और स्थिति तभी सामान्य होगी जब किसी अन्य व्यक्ति को लाया जाए।

वरिष्ठ नेता ने कहा, ”हमने उन्हें वापस लाने की कोशिश की, लेकिन हम उनकी शर्तों को नहीं मान सकते थे, यह ब्लैकमेलिंग जैसा है। क्या होगा यदि दूसरे राज्यों में भी ऐसा होने लगे?” पायलट की टीम के एक सदस्य ने इस पर एचटी से कहा, ”लेकिन कांग्रेस दूसरे राज्यों में सत्ता में ही नहीं है। इसलिए उन्हें ऐसा डर क्यों हैं?” पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मध्यस्थता कर रहे नेताओं को पायलट को मनाने और वापस लाने की कोशिश करने को कहा था।

कांग्रेस नेता ने कहा, ”आज सुबह तक, कांग्रेस विधायक दल की बैठक शुरू होने से ठीक पहले तक हम उनसे बात करते रहे। हम सबने, पार्टी के भीतर और बाहर के उनके शुभचिंतकों ने उनसे बात की, लेकिन उन्होंने नहीं सुना।” हिन्दुस्तान टाइम्स को यह भी बताया गया है कि राहुल गांधी ने पायलट से बात नहीं की है, प्रियंका गांधी ने जरूर उन्हें फोन किया, लेकिन पायलट कैंप के मुताबिक यह राहुल या सोनिया गांधी की ओर से नहीं था।

10:30 बजे पायलट को आखिरी बार फोन किया गया, उसके बाद भी वह अडिग रहे तो पार्टी ने विधायक दल की बैठक शुरू की और उनके खिलाफ प्रस्ताव पारित कर दिया गया। वरिष्ठ नेता ने कहा कि बीजेपी ने पायलट से वादा किया है कि यदि वह 30 विधायकों को साथ ला पाते हैं तो बाहर से समर्थन देगी।

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