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नई दिल्ली(एजेंसी):किसी भी डायरेक्टर के लिए उसकी फिल्म को बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिलना सबसे खुशी की बात होती है, लेकिन ऐसा बहुत कम ही सुनने को मिलता है कि किसी को उसकी पहली ही फिल्म के लिए अवॉर्ड मिल जाए। ऐसा हुआ है मणिपुर की राजधानी इम्फाल के रहने वाले अमर माईबाम के साथ। वो एक ऐसे शख्स हैं जो करीब 10 साल तक बस कंडक्टर की नौकरी करते रहे और उसके बाद 2014 से 2018 के बीच करीब चार साल तक वो इम्फाल से मोरे जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रक ड्राइवरों के साथ घूमते रहे और वीडियो शूट करते रहे।
फिर उस वीडियो को उन्होंने एक डॉक्यूमेंट्री का रूप दे दिया और उस डॉक्यूमेंट्री को अब आठवें डॉकफेस्ट अवॉर्ड में इंटरनेशनल कैटेगरी (अंतर्राष्ट्रीय श्रेणी) में बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मिला है। इस फिल्म का नाम है ‘हाईवेज ऑफ लाइफ’, जिसे ‘फिल्म डिवीजन ऑफ इंडिया’ ने प्रोड्यूस किया है जबकि बिज्जू दास ने एडिटिंग की है।
सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि डॉकफेस्ट अवॉर्ड में 124 देशों की 1799 फिल्में शामिल थीं, जिसमें अमर माईबाम की फिल्म ने बाजी मार ली। डॉकफेस्ट अवॉर्ड में शामिल होने वाली यह भारत की इकलौती फिल्म थी और अमर की भी। सिर्फ यही नहीं, इस फिल्म फेस्टिवल में अमर की फिल्म को चार और अवॉर्ड मिले हैं, जिसमें बेस्ट नॉन फीचर फिल्म, बेस्ट डायरेक्शन, बेस्ट सिनेमेटोग्राफी और बेस्ट एडिटिंग शामिल है।
अमर माईबाम की यह डॉक्यूमेंट्री कुल 52 मिनट की है, जिसमें ट्रक ड्राइवरों की जिंदगी के बारे में दिखाया गया है कि किस तरह वो अपनी जान को जोखिम में डालकर डाईवे पर ट्रक चलाते हैं। यहां तक कि वो ट्रक के नीचे ही सो भी जाते हैं और जो मिलता है उसे खाकर संतुष्ट हो जाते हैं।