इंडस पब्लिक स्कूल द्वारा जल बचाव थीम पर पेंटिंग, ड्राइंग प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन किया गया

- Advertisement -

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डाॅ. संजय गुप्ता ने बताया जल संरक्षण के प्रति संदेश
वैश्विक महामारी के बीच जल बचाव के प्रति जन जागरूकता फैलाने का दिया इंडस के बच्चों ने महत्वपूर्ण संदेश ।
जल ही जीवन है इसे व्यर्थ न बहाएँ -डाॅ. संजय गुप्ता
व्यर्थ बहाएंगें जल तो नहीं होगा कल -डाॅ. संजय गुप्ता

कोरबा@M4S:जल के संरक्षण के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए सांकेतिक उपलक्ष्य है, परंतु यह तभी सार्थक हो सकता है जब हम जल के संरक्षण का असली महत्व समझकर उसे अपने जीवन में शामिल करें और उसके प्रति कृतज्ञ रहें। प्रत्येक वर्ष पूरा विश्व और जल संरक्षण के प्रति जागरुकता फैलाता है, तीन आधारभूत बिंदुओं पर जल संरक्षण दिवस नींव है, लेकिन शायद यह नींव उतनी भी मजबूत नहीं है। पानी का व्यर्थ बहाव इस बात की ओर इशारा करता है। पूरा विश्व जल संरक्षण के मुद्दे पर एकजुट है, क्योंकि जल ही जीवन है, और यह जीवन जीने के लिए बुनियादी आवश्यकता है । लेकिन इसके बावजूद पानी का व्यर्थ बहाव इस ओर इशारा करता है कि हम अब भी उसके असली महत्व को समझ नहीं पाए हैं । प्रतिवर्ष जल संरक्षण के उपलक्ष्य में पानी बचाओ अभि‍यान से जुड़े विभिन्न जागरुकता कार्यक्रम और अन्य गतिविधि‍यां की जाती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कैसे पृथ्वी पर जीवन की निरंतरता के लिए पानी आवश्यक है। यह सभी ;मनुष्य पशु.पक्षी पेड़.पौधे और अन्य सूक्ष्म जीवद्ध की आधारभूत आवश्यकता है। जल जीवन का अद्वितीय स्रोत है, यहाँ पानी के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं।

अन्य ग्रहों पर जीवन सिर्फ पानी के अभाव की वजह से संभव नहीं है। पृथ्वी अन्य ज्ञात खगोलीय पिंडों के बीच सबसे महत्वपूर्ण ग्रह मानी जाती है। पृथ्वी का लगभग तीन चौथाई क्षेत्र पानी से घिरा हुआ है और आवासीय विश्व का लगभग 60.70 प्रतिशत भाग को पानी घेरे हुये है। यह दिखाता है कि पानी पृथ्वी पर नवीनीकृत स्रोत है क्योंकि यह पृथ्वी पर वाष्पीकरण और बारिश के माध्यम से पुनःउत्पादित और पुनःवितरित किया जाता है। यह हमारे दिमाग में एक सवाल को जन्म देता है कि यदि पानी नवीनीकृत स्रोत है तो फिर क्यों हम पानी के लिए चिन्तित हो रहे हैं और इसको संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के द्वारा जल बचाव थीम पर पेंटिंग, ड्राइंग प्रतियोगिता का ऑनलाइन आयोजन किया गया । इसमें बच्चे बड़े उत्साह के साथ भाग लिये और अपने पेंटिंग के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने के लिए दिए संदेश ।
इंडस पब्लिक स्कूल प्राचार्य डाॅ. संजय गुप्ता ने जन मानस में जागरूकता फैलाने जल बचाव के प्रति बताया कि इस वैश्विक महामारी में लोगों में कोरोना के प्रति भय व्याप्त है, ऐसा भविष्य में जल संकट के रूप में समस्या उभर कर सामने आ सकती है, वैसे में मनुष्य के पास कोई उपाय नहीं होगा । ऐसे कई देश हैं जहां पीने योग्य पानी तक नसीब नहीं हो रहा, वे लोग एक कुँए के भरोसे हैं । जल बचाव के लिए लोगों में हमेशा जागरूक होने चाहिए । लोग एक-दूसरे के सचेत करे कि जल के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं किया जा सकता अतः भविष्य में जल संकट पर भी विचार करें । जल बचाव पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर समाज में जल बचाव के प्रति जागरूकता लाए । पृथ्वी पर सभी जीव जल पर ही निर्भर है यदि मनुष्य स्वार्थपूर्वक इसे अनचाहे तरीकों से इस्तेमाल करे तो भविष्य में जरूर जल संकट की समस्या आ सकती है । जल संकट एक बहुत बड़ा विषय है इसे सभी व्यक्ति को गहराई से समझना होगा उन्हे यह ज्ञात होना चाहिए कि भविष्य में पृथ्वी पर जीवन रहे तो कोशिश करें कि पानी हमेंशा जरूरत के चींजों पर ही खर्च करें, इसे व्यर्थ ना बहाएं और औरों को भी इसके प्रति सचेत करें ।


पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों का जीवन पानी पर निर्भर करता है, तब तो यह परिदृश्य बहुत बदतर हो जाएगा जब उपयोग करने योग्य पानी गंदा हो जाए या कम होना शुरु कर हो जाए। बाहर से देखने पर पानी साफ और पीने योग्य लगता है उसमें उद्योगों व कारखानों सीवर जैसे आदि विभिन्न स्रोतों के माध्यम से हानिकारक और विषैले तत्वों का मिश्रण हो सकता है और यदि यह पशुओं पेड़.पौधों या मनुष्य द्वारा निगल लिया जाए तो यह बीमारी और मृत्यु का कारण हो सकता है। कुछ सुझाव है जो वास्तव में जल बचाने में मदद करेंगे
पृथ्वी पर पीने योग्य पानी का स्तर गिरता जा रहा है, और बहुत से औद्योगिक स्रोतों के कारण दिन प्रति दिन गंदा हो रहा है। यह बहुत गंभीर विषय है, कि हम धरती पर उपयोगी पानी को खत्म कर रहे हैं। प्रत्येक मनुष्य के शरीर में 75 प्रतिशत पानी होता है जो यह स्पष्ट करता है कि पानी हमारे लिए एक प्राथमिक तत्व के रुप में कितना उपयोगी है और धरती पर जीवन के लिए जिम्मेदार है। पानी वाष्पीकरण और बारिश के माध्यम से पूरे विश्व में स्वंय को संचालित करता है ।
धरती पर पीने योग्य पानी का स्तर केवल 1प्रतिशत है, जोकि बहुत कम है और अन्य पानी के स्रोत खारे व अधिक लवणता का स्तर लिए हुये हैं जो सजीवों के लिए प्रयोग रहित है। सभी के लिए शरीर की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पानी की जरुरत है जैसे पेड़.पौधे पशु पक्षी सूक्ष्म जीव मनुष्य आदि। क्या हम उस दिन की कल्पना कर सकते हैं यदि पीने योग्य पानी खत्म हो जाए या पूरी तरह से प्रदूषित हो जाए। हाँ यही वो मुख्य सवाल है, जिसने सभी की आँखें खोल दी और सभी स्थानों जो हमसे संबंधित हैं जैसे घर आसपास के क्षेत्र ऑफिस स्कूल कॉलेज आदि पर जल बचाओ शुरु कर दिया है।
हमें पीने योग्य पानी के अतिरिक्त खर्च के साथ ही साथ जल बचाओ की विभिन्न तकनीकों के द्वारा पानी को प्रदूषित होने से रोकना चाहिए। आज कल औद्योगिकीकरण और तकनीकी रुप से सुधरते संसार में सुरक्षित पानी बड़े स्तर पर सैकड़ों टन विषाक्त पदार्थों और मिलावट के साथ ;औद्योगिक कचरे से प्रदूषित होता जा रहा है। गंदे पानी को स्वच्छ और जैविकरुप से सुरक्षित बनाने के लिए बहुत से जल बचाओ के उपाय प्रयोग किए जाते हैं, हालांकि बहुत बार ये परीक्षण के बाद भी कुछ रोगजनक बैक्टीरिया ;जिराडिया और क्रिप्टोस्पोरिडियम के पाये जाने के बाद विफल हो गए। कभी.कभी जहरीले रसायन और अकार्बनिक खनिजों की उपस्थिति भी विभिन्न रोगों का कारण बनती है। बीमारियों से बचने के लिए बहुत अधिक संख्या में लोगों ने मिनरल वाटर पीना शुरु कर दिया है। यदि हम प्रतिदिन पीने योग्य पानी को ऐसे ही बरबाद और प्रदूषित करते रहेंगे तो निश्चित ही वो दिन दूर नहीं जब हमें शुद्ध पानी, ऑक्सीजन युक्त निशुल्क विषाक्त रसायन रेडियोधर्मी और रासायनिक यौगिकों के रुप में लगे लेबल के साथ प्राप्त होगा।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!