कोरबा@M4S: मार्कफेड की लचर परिवहन व्यवस्था राईस मिलरों पर ढीला नियंत्रण का खामियाजा सहकारी समितियों को भुगतना पड़ रहा। जिले में भले ही 75 फीसदी धान के उठाव के दावे किए जा रहे बावजूद इसके अभी भी 60 उपार्जन केंद्रों में 3 लाख 22 हजार 381 क्विंटल धान जाम पड़े हैं। इनमें 9 केंद्रों में ही 8 -8 हजार क्विंटल से अधिक जाम हैं , पड़ताल में इन केंद्रों में शीघ्र उठाव नहीं होने पर खरीदी पर ही ब्रेक लग जाएगा। साथ ही समितियों को शार्टेज का नुकसान झेलना पड़ेगा।
समर्थन मूल्य में 1 नवंबर से हो रही धान खरीदी अभियान के अंतर्गत अब तक आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के 41 समितियों के 60 उपार्जन केंद्रों में कुल 13 लाख 21 हजार 71 क्विंटल धान की आवक हो चुकी है। समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की कीमत 269 करोड़ 47 लाख 9 हजार 440 रुपए की है। इसमें से मार्कफेड द्वारा 9 लाख 98 हजार 689 क्विंटल (75.60 फीसदी) धान का उठाव कर लिया गया है। लेकिन धान खरीदी के 72 घण्टों के भीतर केंद्रों से उठाव के मार्कफेड के दावों की इस साल भी हवा निकल गई है। अभी भी केंद्रों में 3 लाख 22 हजार 381 क्विंटल धान जाम पड़े हैं। इनमें 9 केंद्रों में ही 8 -8 हजार क्विंटल से अधिक जाम हैं ,हमारी पड़ताल में इन केंद्रों में शीघ्र उठाव नहीं होने पर खरीदी पर ही ब्रेक लग जाएगा। साथ ही समितियों को शार्टेज का नुकसान झेलना पड़ेगा। हमने इन 9 उपार्जन केंद्रों में मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। जहाँ इन केंद्रों में पांव तक नहीं रख पाने की स्थिति निर्मित होती हुई नजर आई। बात करें केन्द्रवार तो भैसमा में सर्वाधिक 11 हजार 788 क्विंटल जाम है। बेहरचुआं में 10 हजार 66 क्विंटल,पाली में 9 हजार 966 क्विंटल ,रामपुर में 9 हजार 686 क्विंटल,सिरमिना में 9 हजार 109 क्विंटल,पोंडी में 8 हजार 999 क्विंटल,बरपाली में 8 हजार 278 क्विंटल एवं अखरपाली में 8 हजार 810 क्विंटल धान जाम है। इनके अलावा भी अन्य केंद्रों में स्थिति अत्यंत खराब मिली। खासकर दूरस्थ अंचल के केंद्रों में मिलर डीओ कटने के बाद भी उठाव में तेजी नहीं ला रहे। शार्टेज की स्थिति निर्मित होने पर इसकी भरपाई समितियों को करना पड़ेगा,जिस आशंका से अभी से समिति के कर्मचारियों की नींद उड़ गई है। कायदे से जिला प्रशासन को इस स्थिति से पूर्व सार्थक पहल करनी चाहिए। मार्कफेड के जिम्मेदार अफसर न तो समितियों को समय पर बारदाना कमीशन,प्रोत्साहन राशि दिला पा रहे न ही धान का उठाव करवा पा रहे। जिसका असर खरीदी व्यवस्था में पड़ रहा।