कोरबा@M4S:26 फरवरी 2019 कोरबा के भुविस्थापितो के लिए एक इतिहासिक दिन होने जा रहा है जब कोरबा में अपनी मांगों को लेकर अब तक की सबसे लंबी पैदल मार्च कर हुंकार भरी जायेगी,विगत सालो से अखिल भारतीय स्तर पर किसान सभा द्वारा किसानो और जमीन से जुडी समस्याओं पर जो पहलकदमी शुरू किया गया है उसके कारण देश की राजनितिक पटल पर किसानों की बात भी शुरू हुई है । कोरबा और छत्तीसगढ में भी इसका असर देखने को मिला । विस्थापन के सवाल पर लगातार लाल झंडे और अन्य बिरादराना संगठनों के द्वारा किये गए संघर्षो ने भुविस्थापितो की अभिमान और स्वाभिमान जगाने का महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है । पूंजीवादी कारपोरेट परस्त सभी दक्षिणपंथी पार्टियां और सरकारें चुनावी वर्षो में जुमलेबाजी कसीदे गढ़ने का काम करती है । छत्तीसगढ़ में घोर जनविरोधी, किसान विरोधी भाजपा अब सत्ता से बाहर है वर्तमान सरकार पिछली किसान संघर्षो के दबाव में कुछ सकारात्मक फैसले लेने को मजबूर जरूर हुयी किन्तु उसका चरित्र अलग नहीं है उसकी पुरानी कारनामो से इसे समझा जा सकता है । किसानों मजदूरों और आमजनता के लिए नीतियां बने और उसका परिपालन भी इसके लिए जागरूकता जरुरी है ,यह केवल सत्ता परिवर्तन से संभव नहीं है । इसलिए हमें सतत प्रयासों को जारी रखना ही पड़ेगा । सत्ता पक्ष से केवल बातचीत करते रहने से भी समस्याएं निराकृत नहीं होंगे । जब यहाँ सरकार बदली है तो उसे मजबूर भी करना होगा और यह सड़क में होने वाले संघर्ष के रास्ते से ही होगा ।
छत्तीसगढ़ में नयी सरकार के आने के बाद किसानों भुविस्थापितो और आमजनता में कुछ उम्मीदे भी बढ़ी है पुराने योजनाओं और समस्याओं पर नए सिरे से नीतियां और कार्ययोजना बनायी जा रही है ऐसे समय में अपनी दमखम दिखाकर सरकार को हरहाल में जनपक्षीय नीतियां लागू करने के लिए मजबूर करना होगा । कोरबा खासकर आद्योगिक प्रक्षेत्र होने के नाते विस्थापन और उससे जुड़ी समस्या प्रमुख केंद्र में रहा है रोजगार ,मुआवजा और बसाहट की मांग एक बड़ी आंदोलन बनकर सामने आयी है । इसी के साथ शिक्षा और स्वास्थ ,पर्यावरणीय असंतुलन ,सड़क हादसे जैसी बुनयादी जरूरतों पर भी हस्तक्षेप करना आवश्यक हो गया है । पिछले दिनों सिमित क्षेत्र में चलाए गए आंदोलन को विस्तार देकर जिले का आंदोलन बनाना होगा कोयला खदान के साथ बिजली ,बाँध परियोजना ,रेल और सड़क परियोजना ,बालको ,वाशरीजजैसी छोटी बड़ी आद्योगिक (सार्वजनिक और निजी) संस्थानों में हो रहे शोषण के खात्मे के लिए एकजुट संघर्ष छेड़ना होगा । किन्तु स्व और मनोगत स्वार्थ के दायरे में रहकर इस काम को पूरा नहीं किया जा सकता , अलग-अलग क्षेत्र में लड़ रहे संगठनों को एक मंच पर लाना होगा । स्वघोषित सर्वज्ञाता, सर्वशक्तिमान बनकर भी इस काम को पूरा नहीं किया जा सकता । इसे सामूहिक एकजुटता और सामूहिक संघर्षो के साथ ही जीता जा सकता है ।
विगत दिवस जिले के सबसे पुराने पुनर्वास ग्राम गंगानगर में पीड़ित ,विस्थापित किसानों के महाजुटाव में जिले के अलग-अलग संस्थानों से प्रभावित् 1960 के दशक से विस्थापन का दंश झेल रहे और आने वाले समय में विस्थापित हो जाने वाले लोंगो की उपस्थिति में अपनी अपनी मांगों के साथ मुख्यमंत्री तक खरी खरी सन्देश पहुंचाने का निर्णय सर्वसम्मति से पारित किया गया था तथा पहले चरण में कलेक्टर के माध्यम से और वहां पर सकारात्मक प्रतिउत्तर नहीं मिलने पर सीधे मुख्यमंत्री निवास पहुंचकर अपनी बात रखने का प्रस्ताव लिया गया था ।
अपनी बात को सशक्त रूप में रखने के लिए पदयात्रा उचित माध्यम बनते रहा है इसलिए आप सभी संघर्ष मित्रो से विनम्र अपील है कि छत्तीसगढ़ किसान सभा कोरबा की अगुवाई में
दिनांक 26फरवरी2019 को सुबह 8 बजे से गेवरा दीपका के गंगानगर से शुरू होने वाली पदयात्रा जो कुसमुंडा ,सर्वमंगलानगर , ट्रांसपोर्टनगर के रास्ते कलेक्टर कार्यलय तक जायेग.