अगले 6 साल तक हो जाएगी कोयले की 1900 मिलियन टन खपत, लाइन निर्माण में हो रही देरी  रेल लाइन का काम है अधूरा

- Advertisement -

कोरबा@M4S: तेजी से बिजली की मांग बढ़ रही है। कोयला मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार बिजली के कुल उत्पादन में कोयले का योगदान 76.59 फीसदी है। भविष्य में कोयले की मांग बनी रहेगी। 2031- 32 तक जब देश में बिजली मांग 24 लाख 73 हजार 776 मिलियन यूनिट होगी। उस समय देश में कोयले की मांग लगभग 1900 मिलियन टन होगी। दूसरी ओर रेल कॉरिडोर का काम धीमा है। कोरबा को पेंड्रा से जोडऩे वाली कार्य भी इस साल पूरी होने की उम्मीद नहीं है।
वर्तमान में कोलफील्ड्स के पास कार्यशील रेल लाइन बेहद कम है। 10 साल बाद की जरुरत को देखते हुए आज से पांच साल पहले छत्तीसगढ़, झारखंड, एमपी, ओडिशा में कुल 15 नई रेललाइन बिछाने का काम शुरु हुआ था। इन 15 रेललाइन में चार लाइन ही पूरी हो चुकी है। छत्तीसगढ़ में तीन लाइन पर काम चल रहा है। एक रेललाइन खरसिया से धर्मजयगढ़ का काम लगभग पूरा हो चुका है। जबकि गेवरारोड से पेंड्रारोड तक रेललाइन का काम अभी आधा हो सका है। यह जरुरत देशी खदानों से कैसे पूरी होगी? इसे खदान से कोयला थर्मल प्लांटों तक कैसे पहुंचाया जाएगा? इसे लेकर कोल इंडिया ने मंथन शुरू किया है। नेशनल कोल लॉजिस्टिक्स प्लान तैयार किया गया है। ताकि खदान का कोयला थर्मल प्लांटों तक पहुंचाया जा सके। पिछले दिनों इसे लेकर एसईसीएल मुख्यालय में स्टेकहोल्डर्स कॉन्सलटेंशन पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें नीति आयोग और कोल मंत्रालय के साथ- साथ रेलवे के अफसर शामिल हुए। इसमें कोयला परिवहन के लिए परिवहन और लॉजिस्टिक्स के बुनियादी ढांचे में सुधार, दक्षता बढ़ाने, लागत कम करने जोर दिया गया। बताया गया कि साल 2030 तक देशभर में घरेलू कोयला उत्पादन के 1.5 बिलियन (1500 मिलियन) टन तक पहुंचने की उम्मीद है। वहीं कोयले की मांग 1.9 बिलियन (1900 मिलियन) टन तक होगी। गेवरारोड-पेंड्रारोड रेल लाइन निर्माण कार्य धीरे होने का असर यात्री ट्रेनों पर भी पड़ रहा है। कोरबा-चांपा रेलखंड पर कोल परिवहन का दबाव होने से कोरबा-बिलासपुर के बीच नई गाडिय़ां नहीं चल रही हैं।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!