शासकीय भूमि पे कबीजों को भी मिलेगा मुआवजा और बसावट
एसईसीएल के स्कूल बसों में भू विस्थापितों के और गरीब बच्चों को भी मिलेगी सुविधा
कोरबा@M4S: छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू विस्थापित रोजगार एकता संघ ने बरसों पुराने भूमि अधिग्रहण के बदले लंबित रोजगार प्रकरण, मुआवजा, पूर्व में अधिग्रहित जमीन की वापसी, प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को खदान में काम देने,शासकीय भूमि पे कबीजों को रोजगार-बसावट,मुआवजा, महिलाओं को स्वरोजगार, पुनर्वास गांव में बसे भू विस्थापितों को काबिज भूमि का पट्टा देने आदि 16 मांगो को लेकर पचासों गांवों के हजारों लोगों के साथ एसईसीएल के गेवरा मुख्यालय पर डेरा डाल दिया था।आंदोलनकारियों द्वारा एक गेट को हजारों भू विस्थापितों तो दूसरे गेट में टैक्टर अड़ा कर बंद कर देने से अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में ही फंस गये थे और पूरे दिन एसईसीएल का कोई काम नहीं हो पाया। पहले दौर 2:30 घंटे की वार्ता विफल हो जाने के बाद आंदोलनकारियों द्वारा घेराव जारी रखने की घोषणा और रात में भी आंदोलन जारी रखने पर आंदोलन के 14 घंटे बाद एसईसीएल बिलासपुर मुख्यालय से अधिकारियों को गेवरा घेराव स्थल भू विस्थापितों से बात करने के लिए आना पड़ा।
रात 9 बजे प्रशासन की उपस्थिति में बिलासपुर के अधिकारियों के साथ दूसरे दौर की वार्ता शुरू हुई जो रात 11:30 बजे तक चली।बैठक में कटघोरा एसडीएम कौशल प्रसाद तेंदुलकर,एसईसीएल बिलासपुर से ए.के.संतोषी,मिलिंद देशकर,कोरबा जिले में चारों एरिया के महाप्रबंधक और माकपा जिला सचिव प्रशांत झा,पार्षद राजकुमारी कंवर,किसान सभा से जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू,जय कौशिक रोजगार एकता संघ और प्रभावित भू विस्थापित दामोदर,रेशम,मोहन,बलराम,सुमेन्द्र सिंह, रघु,अमृत बाई, देवेंद्र, देव कुंवर, तेरस बाई, राजकुमारी बिंझवार,बसंत,हरपाल सिंह,लक्षमनिया,चम्पा उपस्थित थे।
बैठक में एसईसीएल के बिलासपुर से आये अधिकारियों ने कहा की पुराने लंबित रोजगार प्रकरण में 10 दिनों के अंदर 13 भू विस्थापितों को रोजगार देने की कार्यवाही पूरी हो जाएगी और पुराने लंबित रोजगार प्रकरणों को 15 दिन के अंदर एरिया से बिलासपुर मुख्यालय रोजगार के कार्यवाही के लिए भेज दिया जायेगा। शासकीय भूमि पर कबीजों को भी परिसंपत्तियों का मुआवजा और बसावट दिया जाएगा,आउट सोर्सिंग कंपनियों में प्रभावित गांव के बेरोजगारों को काम एव 10 जुलाई से बेरोजगारों को खदान के अंदर होने वाले कार्यो के लिए प्रशिक्षण केम्प लगा कर खदान में काम करने के लिए ट्रेंड किया जायेगा। गंगानगर में तोड़े गये मकानों शौचालयों का सर्वे कर क्षतिपूर्ति मुआवजा देने, सुराकछार बस्ती के डिप्लेयरिंग प्रभावितों को जल्द सर्वे कर मुआवजा देने,बांकी माईन्स के पानी को किसानों को सिंचाई और तालाबों को भरने की व्यवस्था करने,कटकीडबरी में शहीद स्टेचु का जीर्णोद्धार करने,गंगानगर नेहरूनगर,विजय नगर एवं अन्य बसावट गांव का पूर्ण विकास करने,एसईसीएल के स्कूल बसों में भू विस्थापित एवं गरीब बच्चों को भी बस सुविधा देने,महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने का आश्वासन दिया साथ ही सभी मांगो पर कार्य की कार्य प्रगति से अवगत कराने के लिए पुनः 18-19 जुलाई को बैठक कर जानकारी देने की बात कही। बैठक में हुई चर्चा की जानकारी किसान सभा के नेता दीपक साहू ने रात 12 बजे भी आंदोलन में डटे हजारों आंदोलनकारियों को दी बैठक में हुये सकारात्मक चर्चा से सभी के सहमति से 14 घण्टे बाद रात 12 बजे गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय का महाघेराव समाप्त हुआ।
महाघेराव को संबोधित करते हुये माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने महाघेराव को एकजुटता के साथ सफल बनाने के लिये सभी का आभार प्रकट करते हुए भू विस्थापितों को और बड़े संघर्ष की तैयारी करने का आह्वान किया माकपा नेता ने कहा कि एसईसीएल के अधिकारियों ने मांगो को पूरा करने का आश्वासन जरूर दिया है लेकिन पहले का अनुभव रहा है कि आंदोलन के समय आश्वासन देकर बाद में अधिकारी मुकरते है अगर इस बार एसईसीएल ने 15 दिनों में भू विस्थापितों की समस्या का निराकरण करने की कार्यवाही नहीं किया तो कोरबा जिले में कोयले के उत्पादन को पूर्ण रूप से बंद कर दिया जायेगा।
घेराव कर रहे लोगों में महिलाओं की संख्या बहुत ज्यादा थी।घेराव करने वालों में नरईबोध, गंगानगर, मड़वाढोढा, भठोरा, भिलाईबाजार, रलिया, बरभांठा, गेवरा बस्ती, बरेली, भैसमाखार, मनगांव, रिसदी, खोडरी, सुराकछार बस्ती, जरहाजेल, दुरपा, बरपाली, बरकुटा, बिंझरा, पंडरीपानी, कोसमंदा, खम्हरिया, बरमपुर, दुल्लापुर, सोनपुरी, जटराज, पाली पड़निया, पुरैना, कुचैना, मलगांव, दादरपारा,मोंगरा बस्ती,बांकी बस्ती,रोहिना, कपाटमुड़ा,अवधनगर, एवं अन्य गांव के भूविस्थापित किसान शामिल रहे।
उल्लेखनीय है कि रोजगार और पुनर्वास से संबंधित 16 सूत्रीय मांगों पर छत्तीसगढ़ किसान सभा और रोजगार एकता संघ ने 30 जून से गेवरा महाप्रबंधक कार्यालय पर घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन करने की घोषणा कर आंदोलन को सफल बनाने के लिए पिछले 10 दिनों से अभियान चलाकर गांव गांव में प्रभावितों से समस्याओं को लेकर चर्चा की जिसके नतीजे में गोद में बच्चे लिए महिलाओं सहित हजारों ग्रामीण सड़कों पर उतर पड़े और रैली निकालकर गेवरा मुख्यालय को 14 घंटे तक घेर कर रखा। किसान सभा ने ऐलान किया है कि एसईसीएल प्रबंधन रोजगार, मुआवजा, बसावट के सवाल पर मांगों को 15 दिनों में पूरा करने का प्रयास नही करेगा तो आगे और उग्र आंदोलन होगा।
आंदोलन में प्रमुख रूप से नंदलाल कंवर, सुराज सिंह कंवर,प्रेम पटेल,उत्तम दास, दया दास, इंदल दास,गणेश प्रभु,शिवरतन,मोहपाल,सत्रुहन, दिलहरण बिंझवार,संजय यादव,रघु,पुरषोत्तम, राजकुमारी बींझवार, धीरा बाई, लक्षमानिया,पूर्णिमा, चम्पा, सूरज खूंटे,दिलहरण, जगदीश, राधा बाई, हरिशंकर, छत्रपाल,सावित्री चौहान, परदेश, अमरजीत, प्रवीण राठौर, के साथ हजारों भू विस्थापित शामिल थे।
घेरा डालो, डेरा डालो आंदोलन की प्रमुख मांगों में पुराने-नए रोजगार के सभी लंबित प्रकरणों का निराकरण करने, शासकीय भूमि पर कब्जाधारियों को भी मुआवजा और रोजगार देने, पूर्व में अधिग्रहित जमीन को मूल किसानों को वापस करने, भूमि के आंशिक अधिग्रहण पर रोक लगाने, आऊट सोर्सिंग से होने वाले कार्यों में भू विस्थापितों एवं प्रभावित गांव के बेरोजगारों को 100% रोजगार देने, विस्थापन प्रभावित गांवों के बेरोजगारों को उत्खनन कार्यों का प्रशिक्षण देने, महिलाओं को स्वरोजगार उपलब्ध कराने, पुनर्वास गांवों में बसे भूविस्थापित परिवारों को काबिज भूमि का पट्टा देने, गंगानगर में एसईसीएल द्वारा तोड़े गए मकानों, शौचालयों का क्षतिपूर्ति मुआवजा देने, डिप्लेयरिंग प्रभावित गांव में किसानों को हुये नुकसान का मुआवजा देने, बांकी माइंस की बंद खदान से किसानों को सिंचाई और तालाबों को भरने के लिए पानी देने, पुनर्वास गांवों में बुनियादी मानवीय सुविधाएं मुफ्त उपलब्ध कराने, भू विस्थापित परिवारों को निशुल्क शिक्षा व स्वास्थ्य सुविधाएं तथा स्कूल बसों में फ्री पास उपलब्ध कराने और भठोरा के चौथे चरण 2016-17 से मकानों एवं अन्य परिसंपत्तियों का लंबित मुआवजा तत्काल देने की मांगें शामिल हैं।