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कोरबा@M4S:जिले में उच्च शिक्षा का बुरा हाल है। शासन ने एक के बाद एक नए महाविद्यालय तो खोल दिए। लेकिन इन महाविद्यालयों में ना तो पर्याप्त संसाधन है और ना ही पर्याप्त विषय विशेषज्ञ प्राध्यापक। जिन महाविद्यालय में प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक मौजूद थे, उन्हें नए सरकारी महाविद्यालय खुलने के बाद स्थानांतरण कर दिए गए। लेकिन नए प्राध्यापकों के नियुक्ति नहीं की गई। अब इसकी जगह महाविद्यालयों की पढ़ाई अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है।जिले में अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय संबद्ध जिले में 15 सरकारी महाविद्यालय संचालित हैं। बताया जा रहा है कि इन महाविद्यालयों में प्राध्यापकों के लगभग 268 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 149 पदों पर ही प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापक पदस्थ हैं। लेकिन 119 प्राध्यापक और सहायक प्राध्यापकों के पद रिक्त हैं। इस कारण डिग्री संकायों में प्रवेश लेकर भी विद्यार्थी पढ़ाई को लेकर चिंतित हैं। शासकीय पीजी कॉलेज की बात करें तो सेटअप 48 प्राध्यापक व सहायक प्राध्यापक की है। लेकिन वर्तमान में महज एक प्राध्यापक और 30 सहायक प्राध्यापकों के भरोसे विभिन्न संकाय संचालित हो रहीं हैं। जबकि विद्यार्थियों की मानें तो इस महाविद्यालयों में जिले के अन्य सरकारी महाविद्यालयों की अपेक्षा स्थिति बेहतर है। शासकीय इंजीनियर विश्वेशरैया स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोरबा में स्नातक और स्नातकोत्तर संकाय के बीए, बीएससी गणित, बीएससी जीव विज्ञान, बी.कॉम, एमए, एसएससी, एम.कॉम सहित अन्य संकायों के विभिन्न पाठ?क्रम संचालित है। लेकिन विडंबना यह है कि इन पाठ?क्रमों को पढ़ाने के लिए पर्याप्त प्राध्यापक, सहायक प्राध्यापक व संसाधनों की कमी है। इस अव्यवस्था से कॉलेज में प्रवेश लेकन नियमित रुप से पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को परेशान होना पड़ता है। इस कारण जिले के सरकारी महाविद्यालयों में प्रवेश लेकर उच्च शिक्षा की डिग्री हासिल करने में रुचि कम हो गई।डिग्री हासिल करने के लिए विद्यार्थियों को जिला या फिर प्रदेश के बाहर रुख करना पड़ रहा है। हालांकि प्रबंधन का दावा है कि रिक्त पदों पर गेस्ट प्रोफेसरों की भर्ती की गई है। उनकी ओर से पाठ्यक्रमों को पूरा कराया जा रहा है।