बालको ने आयोजित किया हिंदी सप्ताह समारोह
कोरबा@M4S:‘हिंदी मातृभाषा और राजभाषा होने के साथ ही राष्ट्रभाषा है। यह सहजग्राही है। यह दूसरों पर थोपी नहीं जाती। हिंदी ऋषि परंपरा से निकली जीवंत भाषा है। इसे हम आजीविका की भाषा बनाएं।’ ये उद्गार छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. विनय पाठक ने बालको आयोजित हिंदी सप्ताह समारोह में व्यक्त किए। कार्यक्रम बालकोनगर के सेक्टर-1 स्थित प्रगति भवन में आयोजित हुआ। डॉ. पाठक ने कहा कि हिंदी के प्रचार-प्रसार में अहिंदी भाषियों का बड़ा योगदान रहा है। दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी और सुभाषचंद्र बोस जैसे महापुरूषों ने देश के नागरिकों से जुड़ने के लिए हिंदी भाषा का प्रयोग किया। महात्मा गांधी टूटी-फूटी हिंदी में भी संवाद कर खुद को गौरवान्वित महसूस करते थे। लोक आश्रय के कारण हिंदी निरंतर आगे बढ़ रही है। आज इस भाषा में दुनिया के अनेक विश्वविद्यालयों में अध्ययन-अध्यापन का कार्य किया जा रहा है। डॉ. पाठक ने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि बालको प्रबंधन की ओर से प्रति वर्ष हिंदी सप्ताह समारोह आयोजित किया जाता है। विशिष्ट अतिथि बालको के मानव संसाधन प्रमुख श्री देबब्रत मिश्रा ने हिंदी के गौरवशाली इतिहास पर अपने विचार रखे। श्री मिश्रा ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में हिंदी को मंदारिन और अंग्रेजी की तरह मान्य बनाने के लिए हमें एकजुट होकर काम करना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वैज्ञानिक और तकनीकी विषयों की पढ़ाई हिंदी मंे होने से इसकी व्यापकता बढ़ेगी। विशिष्ट अतिथि बालकोनगर दिल्ली पब्लिक स्कूल के प्राचार्य श्री कैलाश पवार ने बताया कि दुनियाभर में मंदारिन बोलने वाले नागरिकों की संख्या 11 फीसदी है जबकि अंग्रेजी और हिंदी 5 फीसदी और 4.5 फीसदी के साथ क्रमशः दूसरे व तीसरे स्थान पर हैं। जनगणना के आंकड़ें बताते हैं कि हिंदी बोलने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। सोशल मीडिया में हिंदी का प्रयोग बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा की स्पर्धा दूसरी भाषाओं से करने की आवश्यकता नहीं है। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार श्री माणिक विश्वकर्मा ‘नवरंग’ ने हिंदी के इतिहास पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि भाषा से हमारी पहचान है। श्री विश्वकर्मा ने कहा कि कोरबा जिले में बालको एकमात्र औद्योगिक संस्थान है जहां हिंदी दिवस को उत्सव की तरह मनाया जाता है। हिंदी के विशेषज्ञों की उपस्थिति में भाषा के प्रचार-प्रसार के स्वरूप पर चिंतन-मनन किया जाता है और जो निष्कर्ष निकलते हैं उन पर अमल किया जाता है। उन्होंने कहा कि हिंदी भाषा को विश्वव्यापी बनाने के लिए रचनात्मक आंदोलन की जरूरत है। बालको के कंपनी संवाद एवं सी.एस.आर. प्रमुख आशीष रंजन ने स्वागत उद्बोधन दिया। उन्होंने हिंदी भाषा एवं संस्कृति के उत्थान में बालको के योगदान से श्रोताओं को अवगत कराया। बालकोनगर के हिंदी शिक्षकों का हुआ सम्मान – कार्यक्रम में मुख्य एवं विशिष्ट अतिथियों ने बालकोनगर क्षेत्र के हिंदी शिक्षकों का सम्मान किया। सम्मानित शिक्षकों में श्रीमती राजेश्वरी साहू, बाल सदन, श्रीमती नीलम राठौर, एम.जी.एम., श्रीमती ज्योति चौबे, चंद्रोदय ज्ञान मंदिर, श्रीमती शशिप्रभा दुबे, मिनीमाता, श्री अभिराम शर्मा, दिल्ली पब्लिक स्कूल, श्रीमती सुषमा त्रिवेदी, बी.टी.एस., श्रीमती सविता साहू, पुष्पराज बाल सदन, श्रीमती क्षमता जायसवाल, आदर्श बाल मंदिर, श्रीमती निहारिका शुक्ला, शासकीय बालक स्कूल, श्री सुभाष डडसेना, शासकीय कन्या शाला और श्रीमती संध्या सिंह, डी.ए.व्ही. शामिल थीं। पुस्तक विमोचन – कार्यक्रम में युवा साहित्यकार सुरेश रोहरा के उपन्यास ‘मैं जीना चाहता हूं, मैं मरना चाहता हूं-काले धब्बे’ का विमोचन किया गया। विद्यार्थियों को मिले पुरस्कार – हिंदी सप्ताह समारोह-2019 के दौरान बालको आयोजित काव्य पाठ और भाषण प्रतियोगिता में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले विद्यार्थी पुरस्कृत किए गए। इसके साथ ही निर्णायक मंडल के सदस्यों सुभाष डडसेना, शासकीय कन्या शाला, श्रीमती सुषमा त्रिवेदी, बी.टी.एस. और जयकुमार साहू, दिल्ली पब्लिक स्कूल, बालको को स्मृति चिह्न भेंट किए गए। देबब्रत मिश्रा ने मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथियों को शॉल, श्रीफल व स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ सरस्वती साहित्य समिति के संरक्षक एवं कोरबा प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष श्री गेंदलाल शुक्ला सहित बड़ी संख्या में बालकोनगर एवं कोरबा के नागरिक मौजूद थे। रचनाकारों ने किया काव्य पाठ – समारोह के दूसरे सत्र में कोरबा के अनेक रचनाकारों ने काव्य पाठ किए। कवियों ने अपनी पंक्तियों के माध्यम से हिंदी भाषा के महत्व, देश की राजनीति सहित अनेक मुद्दों पर अपनी रचनाएं पेश कर खूब वाहवाही बटोरी। सभी रचनाकारों ने समवेत स्वर में कहा कि बालको भाषा, साहित्य एवं संस्कृति को बढ़ावा देने के प्रति कटिबद्ध कंपनी है। अपनी विकास यात्रा के दौरान बालको ने अनेक साहित्यकारों को उनकी रचनाओं के प्रकाश में मदद दी। सभी साहित्यकारों ने दिल खोलकर बालको के आयोजन की प्रशंसा की। कार्यक्रम में क्षेत्रीय रचनाकारों श्री युनुस दानियालपुरी, श्री हरगोविंद ताम्रकार, श्री नरेश चंद नरेश, श्री उमेश अग्रवाल, श्रीमती दीप दुर्गवी, श्रीमती गिरिजा शर्मा, श्री जे.पी. श्रीवास्तव, श्री महावीर प्रसाद चंद्रा, श्री मुकेश चतुर्वेदी और श्री भास्कर चौधुरी का सम्मान शॉल व श्रीफल से किया गया। कंपनी संवाद प्रबंधक सुश्री मानसी चौहान ने आभार जताया। कार्यक्रम का संचालन बालको के पर्यावरण सहायक प्रबंधक प्रियरंजन त्रिवेदी ने किया।
हिंदी को बनाएं आजीविका की भाषा: डॉ. विनय पाठक
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