सी-2 लागत आधारित एमएसपी देने और कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ कई स्थानों पर हुए प्रदर्शन

- Advertisement -

कोरबा@M4S:अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर मोदी सरकार द्वारा पारित किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ और न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था और खाद्यान्न आत्मनिर्भरता को बचाने और ग्रामीण जनता की आजीविका सुनिश्चित करने की मांग पर आज देश में ” न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिकार दिवस”मनाने की घोषणा की गई थी देशव्यापी आह्वान के तहत जिले के अनेकों गांव में छत्तीसगढ़ किसान सभा के बैनर तले किसानों ने प्रदर्शन किया और कॉर्पोरेटपरस्त कानूनों को वापस लेने की मांग की। प्रदर्शन को जवाहर सिंह कंवर, मुखराम , प्रशांत झा ने संबोधित किया और किसान नेताओं ने आरोप लगाया कि इन कॉर्पोरेटपरस्त और कृषि विरोधी कानूनों का असली मकसद न्यूनतम समर्थन मूल्य और सार्वजनिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था से छुटकारा पाना है। कृषि व्यापार के क्षेत्र में मंडी कानून के निष्प्रभावी होने और निजी मंडियों के खुलने से देश के किसान समर्थन मूल्य से वंचित हो जाएंगे।चूंकि ये कानून किसानों की फसल को मंडियों से बाहर समर्थन मूल्य से कम कीमत पर खरीदने की कृषि-व्यापार करने वाली कंपनियों, व्यापारियों और उनके दलालों को छूट देते हैं और किसी भी विवाद में किसान के कोर्ट में जाने के अधिकार पर प्रतिबंध लगाते हैं, इसलिए ये किसानों, ग्रामीण गरीबों और आम जनता की बर्बादी का कानून है। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को बनाने से मोदी सरकार की स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने और किसानों की आय दुगुनी करने की लफ्फाजी की भी कलई खुल गई है।
उल्लेखनीय है कि आज पूरे देश में किसानों और आदिवासियों के 300 से अधिक संगठनों द्वारा “न्यूनतम समर्थन मूल्य अधिकार दिवस” मनाने की घोषणा की गई थी। इन सभी संगठनों की मांग है कि घोषित समर्थन मूल्य से कम कीमत पर फसल की खरीदी को कानूनन अपराध घोषित किया जाए, न्यूनतम समर्थन मूल्य सी-2 लागत का डेढ़ गुना घोषित करने का कानून बनाया जाए और इस मूल्य पर अनाज खरीदी करने के लिए केंद्र सरकार के बाध्य होने का कानून बनाया जाए। यह आंदोलन संसद से भाजपा सरकार द्वारा अलोकतांत्रिक तरीके से पारित कराए गए तीन किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ चलाये जा रहे देशव्यापी अभियान की एक कड़ी था।
स्वामीनाथन कमीशन के आधार पर किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के दावे को लफ्फाजी और जुमलेबाजी करार देते हुए किसान नेताओं ने कहा है कि अपने सात सालों के राज में कभी भी मोदी सरकार ने सी-2 लागत को समर्थन मूल्य का आधार नहीं बनाया है, जिसकी सिफारिश स्वामीनाथन आयोग ने की है। आज तक जो समर्थन मूल्य घोषित किये गए हैं, वह लागत तो दूर, महंगाई में हुई वृद्धि की भी भरपाई नहीं करते।

किसान नेता जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि धान का अनुमानित उत्पादन लागत 2100 रूपये प्रति क्विंटल बैठता है और सी-2 फार्मूले के अनुसार धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3150 रूपये प्रति क्विंटल होना चाहिए, जबकि मोदी सरकार ने समर्थन मूल्य 1815 रूपये ही घोषित किया है. इस प्रकार, धान उत्पादक किसानों को वास्तविक समर्थन मूल्य से 1430 रूपये और 45% कम दिया जा रहा है। मोदी सरकार का यह रवैया सरासर धोखाधड़ीपूर्ण और किसानों को बर्बाद करने वाला है।

Related Articles

http://media4support.com/wp-content/uploads/2020/07/images-9.jpg
error: Content is protected !!