सशक्त नारी सशक्त समाज,: कु. संघपुष्पा भतपहरी, प्रथम जिला एवं सत्र न्यायाधीश कोरबा

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राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान मंे महिलाओं के अधिकारों के संबंध में विधिक सेमीनार/जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन जिला पंचायत कोरबा के सभागार कक्ष में किया गया। सर्वप्रथम माॅ शारदा की तैल्य चित्र से मुख्य अतिथि एवं विशिष्ट अतिथि के माध्यम से दीप प्रज्जवलन किया गया।

सुश्री संघपुष्पा भतपहरी ने अपने उद्बोधन में कहा कि ‘‘सशक्त नारी सशक्त समाज’’

सशक्त नारी सशक्त समाज, भारत का संविधान महिलाओं को समानता का दर्जा प्रदान करता है। यह महिलाओं को गरिमा प्रदान करता है। संविधान की प्रस्तावना प्रत्येक नागरिक को सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक न्याय प्रदान करती है। महिलाओं को विधिक जानकारी देते हुये अपने उद्बोधन में कहा गया कि घरेलु हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 के तहत् एक पीडि़त व्यक्ति कोई भी महिला है, जो प्रतिवादी के साथ घरेलु संबंध में है या रही है, जिसने प्रतिवादी द्वारा घरेलु हिंसा के किसी भी कार्य का आरोप लगाया गया है। घरेलु हिंसा है। उनके द्वारा लैगिंक उत्पीड़न, दहेज प्रतिषेध अधिनियम 1961, लैगिंक अपराधों से बालको का संरक्षण अधिनियम, महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न, (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष)अधिनियम 2013, महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकार, गिरफ्तार और गिरफ्तार बंदी महिलाओं के अधिकार, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006, माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण, रख-रखाव तथा कल्याण अधिनियम की जानकारी देते हुये । कहा कि महिलाओं को उनके अधिकार के साथ -साथ उनका परिवार के प्रति नैतिक कर्तव्य भी महत्वपूर्ण है। सभी महिलाएंे जो अपना नैतिक कर्तव्य का पालन करेगें तो किसी भी महिलाओं के अधिकार का हनन नहीं होगा।
अर्चना उपाध्याय सदस्य छ0ग0 राज्य महिला आयोग के द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग के कार्यो की जानकारी देते हुये कहा गया कि:- राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना एक संविधिक निकाय के रूप में जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम 1990 के अंतर्गत महिलाओं को संवैधानियक अधिकारों की रक्षा के लिये की गई है। इनका मुख्य कार्य महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देने से संबंधित है। राष्ट्रीय महिला आयोग का उद्देश्य भारत में महिलाओं के अधिकारों का प्रतिनिधित्व करना और उनके मुद्दों के लिये एक आवाज प्रदान करना है।
सरिता पाण्डेय, सदस्य, जिला उपभोक्ता आयोग के द्वारा जानकारी देते हुये कहा गया कि:- महिलाओं को बहुत से कानूनी अधिकार दिये गये है, इन अधिकारों के उपयोग के साथ-साथ परिवार के प्रति नैतिक कर्तव्यों का पालन करना भी अति आवश्यक है, महिलाओं को विशेष कर अपनी बेटी को शिक्षित एवं संस्कारित करना आवश्यक है। आप बेटी को शिक्षित करेंगे तो आपको बहु भी शिक्षित एवं संस्कारित मिलेगी जिससे पारिवारिक कलह को दूर किया जा सकता है।
शीतल निकुंज, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा के द्वारा अपने उद्बोधन में कहा गया कि महिला बाल विकास विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग से जुड़े हुये एक तरह से सामाजिक कार्यकर्ता है, आप विधिक रूप से शिक्षित होंगे तथा समाज भी शिक्षित होगा इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा एवं राष्ट्रीय महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में आज का शिविर का आयोजन किया गया। शिविर में उपस्थिति न्यायिक अधिकारी, रिसोर्स पर्सन, मीडिया, प्रेस एवं आंगनबाड़ी, मितानिन
पैरा लीगल वालंटियर का आभार प्रदर्शन किया गया

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