शासकीय सेवा के दौरान आपसी विवाद का निराकरण संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष द्वारा ही किया जाता है-डॉ किरणमयी नायक शासकीय एवं अर्धशासकीय संस्थाओं में आंतरिक परिवाद समिति का होगा गठन

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राज्य महिला आयोग की सुनवाई के दौरान महिला आयोग अध्यक्ष ने दिये निर्देश

कोरबा@M4S:कोरबा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक एवं सदस्य अर्चना उपाध्याय ने आज कोरबा जिले से प्राप्त प्रकरणों की सुनवाई जिला पंचायत कोरबा के सभाकक्ष में की। आज सुनवाई में 35 प्रकरण थे जिसमें 15 प्रकरण नस्तीबद्ध किया गया शेष अन्य प्रकरण को आगामी सुनवाई में रखा गया है।

महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. नायक ने कोरबा जिले में शासकीय -अर्धशासकीय तथा ऐसे सभी संस्थान जहां दस या दस से अधिक कर्मचारी कार्यरत है, वहां आंतरिक परिवाद समिति का गठन करवाने के निर्देश सीएसपी को दिये। इस कार्य में आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय की निगरानी में पुरे जिले में सघन अभियान, पोस्टर होडिंग के साथ एक माह तक प्रचार-प्रसार करने के भी निर्देश दिये है। साथ ही औचक निरीक्षण करने के लिए भी कहा गया। डॉ. नायक ने कहा कि किसी भी संस्था में आंतरिक परिवाद समिति गठन नहीं होने पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाए जाने का प्रावधान है। आज सुनवाई के दौरान प्रस्तुत एक प्रकरण में आवेदिका किशोर न्यायबोर्ड की पूर्व सदस्य है और अनावेदक बाल संरक्षण अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं। आवेदिका के शिकायत आवेदन अनुसार घटना लगभग 4 वर्ष पूर्व की है, आयोग के द्वारा आवेदिका से विस्तृत जानकारी लिया गया जिसमें आवेदिका ने बताया कि उन्हे किशोर न्यायालय में पन्द्रह सौ रुपये भत्ता मिलता था। आवेदिका ने कहा कि 3 वर्ष के कार्यकाल में विवाद और शिकायतो की वजह से मुझे हटाये जाने के कारण मुझे भत्ता नहीं मिला। जिसकी शिकायत आयोग में किया गया है। महिला आयोग अध्यक्ष डॉ. नायक ने कहा कि इस सम्पूर्ण प्रकरण को देखने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि शासकीय सेवा के दौरान आपसी विवाद का निराकरण संबंधित विभाग के विभागाध्यक्ष के द्वारा किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडन होता है तभी विचार किया जा सकता है। किन्तु इस प्रकरण में ऐसा कोई तथ्य नहीं है और आयोग की सुनवाई के पुर्व उच्च न्यायालय में भी निराकरण हो चुका है। इसकी अभी स्वीकृति हो चुकी है। आवेदिका का कथन है कि हाईकोर्ट में अनावेदक को पक्षकार नहीं बनाया था, शासन को बनाया था। हाईकोर्ट के आदेश से आवेदिका अपनी सेवा में बहाल हुई थी। यह प्रकरण पूर्ण रूप से शासकिय सेवा से संबंधित है इसलिए यह प्रकरण सिविल सेवा आचरण के तहत कार्यवाही की जानी चाहिए। इस प्रकरण को आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हो जाने से नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण अटल बिहारी बाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर का था जिसमे आवेदिका ने बताया कि घटना वर्ष 2021 को अनावेदकगण ने जंतु विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष की कुर्सी पर अनावेदक को बैठाने का आदेश प्रभारी प्राचार्य ने निर्देश दिया जिसका विरोध आवेदिका ने वरिष्ठता के वजह से किया इस पर आवेदिका के साथ अनावेदिका ने अभद्र व्यवहार किया। अनावेदकगणों ने बताया कि विभागाध्यक्ष के पद पर किसको बैठाना है यह प्राचार्य का क्षेत्राधिकार का विषय है। अनावेदिका ने बताया कि वर्ष 2007 में सेवा में नियुक्त हुई थी, और परिनियम 28 के तहत उनकी नियमित नियुक्ति हुई है। परन्तु आवेदिका तदर्थ में नियुक्ति हुई है। उभयपक्षों से पुछे जाने पर कमला नेहरू महाविद्यालय ग्रांट पर संचालित है इसके आपसी विवाद और समस्या होने पर कॉलेज गवर्निंग बोर्ड को शिकायत किया जाता है। इसके पश्चात् अटल बिहारी बाजपेयी विश्विद्यालय बिलासपुर में शिकायत की जाती है। यदि कार्यरत महिला के साथ लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत होेने पर आंतरिक परिवार समिति के समक्ष शिकायत किया जा सकता है चुंकि इस प्रकरण में आवेदिका ने किसी प्रकार का लैंगिक उत्पीड़न का उल्लेख नहीं की है। यदि उन्हें विभागीय कार्य में परेशानी है तो कॉलेज की गर्वनिंग बोर्ड आंतरिक परिवार समिति या विश्विद्यालय में शिकायत दर्ज करा सकती है। इस प्रकरण के जांच के दौरान यह पता चला कि कमला नेहरू विश्विद्यालय में आंतरिक परिवार समिति का गठन नहीं किया है। आयोग ने सुनवाई में उपस्थित सीएसपी को तत्काल निर्देश दिया है जिसमे 15 दिवस के भीतर आंतरिक परिवाद समिति का गठन कर आयोग के सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय को सूचना देने कहा गया है। यह प्रकरण को नस्तीबद्ध किया गया।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका सरपंच है जो कि भौतिक सत्यापन नहीं करा रहे हैं ऐसा अनावेदकों का कहना है। जबकि आवेदिका का कथन है कि वह भौतिक सत्यापन करा चुकी है, आवेदिका तीन बार की निर्वाचित सरपंच है आवेदिका को आयोग के समझाइश पर एक बार और भौतिक सत्यापन कराने आवेदिका सहमत हुई। इस स्तर पर आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय एवं कटघोरा सीडीपीओ एवं पुलिस महिला सेल से को आयोग की अध्यक्ष द्वारा निर्देशित दिया कि 25 जून 2022 को ग्राम पाली में पंचायत भवन में प्रातः 11ः30 बजे दोनो पक्षों को सुनकर अपनी रिपोर्ट आयोग को प्रस्तुत करेंगे जिसके आधार पर इस प्रकरण पर अंतिम निर्णय लिया जा सकेगा।
एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने आयोग को बताया कि उन्हें गांव समाज द्वारा बहिष्कृत कर दिया गया है। अनावेदकगण का कहना है कि आवेदिका को बहिष्कृत नहीं किया गया है। इस संबंध में  अर्चना उपाध्याय एवं पुलिस महिला सेल को शनिवार 18 जून 2022 थाना उरगा के ग्राम नवापारा(पकरिया) में प्रातः 11ः30 बजे पंचायत भवन (रामायण मंडली भवन) में सभी अनावेदकगण एवं ग्राम के गणमान्य को एकत्रित कर बैठक रखने के निर्देश दिए गए है। गांव में ही इस प्रकरण की जांच कर इस प्रकरण का निराकरण किया जाएगा।
एक अन्य प्रकरण में बुजुर्ग मां द्वारा अधिवक्ता पुत्र के विरूद्व धोखे से सम्पत्ति हडपने की शिकायत पर आयोग ने सुनवाई की। आयोग ने दोनों पक्षांे का समझाइस दिया। साथ ही दोनों पक्षो के बीच में आपसी राजीनामा के लिए तथा प्रकरण के निराकरण के लिए आयोग की सदस्य श्रीमती अर्चना उपाध्याय एवं सीएसपी को जिम्मेदारी दी गयी।

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