जिला पंचायत क्षेत्र क्र. 6 में रीना ने दी करारी मात

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जिला पंचायत क्षेत्र क्र. 6 से कांग्रेस की रीना की जीत

कोरबा@M4S:त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी पार्टी के घोषित प्रत्याशी के विरूद्ध अपने पसंद के प्रत्याशी को उतार कर चुनाव लड़ाने के मामले सामने आए हैं। जिले के पांचों विकासखण्डों में ये हालात देखने को मिले किन्तु कटघोरा विकासखण्ड में कांग्रेस के विधायक ने ही अपने पार्टी के प्रत्याशी के विरूद्ध अपना उम्मीदवार उतार दिया। हालांकि पार्टी प्रत्याशी ने दो अन्य प्रतिद्वंदियों को करारी मात देकर अपनी जीत सुनिश्चित कर ली है परंतु पार्टी लाईन से हटकर प्रत्याशी लड़ाने की कवायद ने अनुशासन पर सवाल भी उठाए हैं।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के तीसरे व अंतिम चरण में 3 फरवरी को कटघोरा व पाली विकासखण्ड के ग्राम पंचायत, जनपद व जिला पंचायत के लिए मतदान कराए गए। चुनाव की कड़ी में कटघोरा विकासखण्ड के अंतर्गत जिला पंचायत क्षेत्र क्र. 6 में भी रोचक मुकाबला रहा। यहां कांग्रेस पार्टी के द्वारा घोषित प्रत्याशी रीना अजय जायसवाल का मुकाबला शिल्पा महंत और योगिता कौशिक से था। रीना जायसवाल जिला पंचायत उपाध्यक्ष अजय जायसवाल की धर्मपत्नी हैं और पूर्व में भी जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। मजे की बात यह रही कि श्रीमती जायसवाल के समक्ष कटघोरा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक और प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री दर्जा पुरूषोत्तम कंवर के द्वारा समर्थित प्रत्याशी योगिता कौशिक को चुनाव लड़ाकर उसके पक्ष में जोर-शोर से प्रचार किया गया। इससे यहां मुकाबला और भी रोचक हो गया था। मतों की गिनती में रीना जायसवाल 16769 मत प्राप्त कर विजयी घोषित हुई है। शिल्पा महंत को 10672 व विधायक श्री कंवर समॢथत योगिता कौशिक को मात्र 7452 वोट ही हासिल हुए। रीना जायसवाल इस क्षेत्र से दूसरी बार जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हुई हैं। निर्वाचन की घोषणा होते ही समर्थकों ने उनका आतिशी स्वागत किया।
घोषित प्रत्याशियों के खिलाफ चुुनाव लड़ने वालों पर कार्यवाही नहीं
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और इससे ठीक पहले संपन्न हुए नगरीय निकाय चुनाव में कोरबा जिले में भी कांग्रेस पार्टी के घोषित प्रत्याशियों के विरूद्ध पार्टी के ही टिकट से वंचित कार्यकर्ताओं ने चुनाव लड़ा। इनके निर्दलीय चुनाव लड़ने से पार्टी के प्रत्याशियों को काफी वोटों का नुकसान भी उठाना पड़ा। हालांकि अनेक प्रत्याशियों ने अपने ही दल के लोगों की भीतरघाती के बावजूद अच्छे वोटों से जीत हासिल की। दूसरी ओर संगठन की ओर से ऐसे बागी व निर्दलीय चुनाव लड़ रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को घोषित प्रत्याशी के समर्थन में नाम वापस लेने और नाम वापस न लेने पर अनुशासनात्मक कार्यवाही / निष्कासन की भी चेतावनी दी गई थी। बावजूद इसके निर्दलीयों ने बेधड़क चुनाव लड़ा और यहां तक कि उनके समर्थकों ने दुष्प्रचार का भी कोई मौका नहीं छोड़ा किन्तु अब तक ऐसे लोगों पर कोई कार्यवाही संगठन की ओर नहीं किये जाने पर उसके ही निर्देशों को लेकर तरह-तरह के सवाल भीतरघात का शिकार हुए प्रत्याशियों में उठने लगे हैं। इस मामले में ये लोग भाजपा की तारीफ जरूर कर रहे हैं जिसने बागियों को निष्कासन का रास्ता दिखाया है।

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