रायपुर@M4S: कौशल्या बाई कंवर ने चार बकरी खरीदी थी। चारों ने अब बच्चे भी दे दिए हैं। सोच रही थी कि क्यों न और बकरी खरीद ले। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी तमन्ना सुनी तो कलेक्टर से कहा कि कौशल्या को इसके लिए भी शासन की योजना का लाभ जरूर दिलवाएं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्यक्रम के दौरान ही कोरबा जिले के प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कौशल्या बाई कंवर को 6 बकरी खरीदने के लिए 49 हजार रूपए का चेक प्रदान किया।
अभी कुछ साल पहले तक कौशल्या बाई कंवर के परिवार की जैसी माली हालत थी, उसमें बकरी खरीदना भी बड़े सपने जैसा था। पति चरवाहे का काम करते हैं। सुराजी गांव योजना शुरु होने के बाद जब गांव में गौठान खुल गया तो परिवार की किस्मत भी खुल गई। कौशल्या वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने में जुट गई। खाद से 1 लाख 53 हजार की आमदनी उनके समूह को हुई। फिर मुर्गी-पालन शुरु किया। अंडे का उत्पादन भी करती है। इन दोनों उद्यमों से भी अच्छी-खासी कमाई हो रही है। खान-पान पहनावा-ओढ़ावा अब सब बदल गया है। अब वे दूसरों की भी मदद करने में सक्षम हो चुकी है। बड़ा लड़का आईटीआई कर रहा है। परिवार खुशहाल है।
कोरबा जिले की निवासी कौशल्या आज जिले के विकास-कार्यों के लोकार्पण-भूमिपूजन कार्यक्रम में हिस्सा लेने आई थीं। उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को अपनी सफलता की कहानी सुनाई। कौशल्या अपने साथ अपनी मुर्गियों के अंडे लाना भी नहीं भूली थीं और कैमरे पर मुख्यमंत्री को अपनी सफलता के इस सबूत को दिखाते हुए उनका चेहरा दमक रहा है। कौशल्या ने बताया कि आज न सिर्फ वे कमा रही हैं, बल्कि उनके पति ने सिर्फ गोबर इकट्ठा करके ही 9 हजार 400 रुपया कमा लिया है।
कौशल्या कंवर ने बताया कि उनके समूह का नाम हरे कृष्ण स्व-सहायता समूह है। उनके समूह ने 1 लाख 90 हजार रूपए केंचुआ खाद की बिक्री की है। अण्डा उत्पादन से 15 हजार रूपए, केंचुआ के बिक्री से 24 हजार रूपए और 12 हजार रूपए की आय गमला बेचने से हुई है। उन्होंने बताया कि गोधन न्याय योजना और गौठानों में आर्थिक गतिविधियों से जुड़कर उनके समूह को अच्छी आमदनी हो रही है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने श्रीमती कौशल्या कंवर को बधाई देते हुए कहा कि उन्होंने सही मायने में शासन की योजनाओं का क्रियान्वयन किया है। उन्होंने जो अपना अनुभव बताया है जो पूरे प्रदेश के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने यह बताया कि गांवों में ही कैसे रोजगार सृजित किया जा सकता है।
वर्मी खाद उत्पादन, केंचुआ और मुर्गी-पालन से परिवार की माली हालत सुधरी गोबर बेचकर पति की भी हो रही है अच्छी कमाई* बकरियां खरीदने का सपना हुआ पूरा, मुख्यमंत्री के निर्देश पर कार्यक्रम के दौरान ही बकरी खरीदने के लिए मिली 49 हजार रूपए की राशि
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