वनों से बेदखली के खिलाफ अभियान-आंदोलन छेड़ेगी माकपा

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कोरबा@M4S:मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने पर्यावरण व वन्य संरक्षण के नाम पर गलत तथ्यों के आधार पर दाखिल एक याचिका के पक्ष में देश के वन-क्षेत्र में रह रहे 50 लाख से अधिक आदिवासी व गैर-आदिवासी गरीबों को बेदखल करने के आदेश की आलोचना की है तथा इस निर्णय को वनाधिकार क़ानून के प्रावधानों के विरूद्ध बताया है. माकपा ने इस याचिका के खिलाफ केंद्र की भाजपा व छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार द्वारा आदिवासियों के पक्ष में उचित पैरवी न करेने की भी तीखी निंदा की है तथा कहा है कि ये सरकारें कॉर्पोरेट लॉबी के दबाव में वनाधिकार मान्यता कानून को ही ख़त्म करने पर तुली हुई है.

रायपुर से जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिवमंडल ने कहा है कि वनाधिकार मान्यता कानून में निरस्त दावाकर्ताओं को उजाड़ने का कोई प्रावधान नहीं है और धारा 4(5) तब तक बेदखली की प्रक्रिया को रोकने का प्रावधान करता है, जब तक कि किसी क्षेत्र-विशेष में इस कानून के पालन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती. इसके मद्देनजर यह निर्णय आदिवासियों के साथ एक दूसरा ऐतिहासिक अन्याय करने जा रहा है.

उल्लेखनीय है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने उन सभी लोगों को वनों से बेदखल करने के आदेश दिए हैं, जिनके दावा-आवेदन निरस्त कर दिए गए हैं. इससे वनों में निवास कर रहे 12 लाख परिवार प्रभावित होने जा रहे हैं.

माकपा जिला सचिव सपूरन कुलदीप कहा है कि छत्तीसगढ़ की नवगठित कांग्रेस सरकार ने आश्वस्त किया था कि वह सुप्रीम कोर्ट में आदिवासियों के पक्ष में जमीनी हकीकत रखेगी. वास्तविकता यह है कि पिछले एक दशक में भाजपा सरकार में इस कानून के क्रियान्वयन के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं थी, दावाकर्ताओं को कोई पावती नहीं दी गई तथा व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकार के दावों को गैर-कानूनी तरीके से, बिना किसी छानबीन के निरस्त किया गया. सरगुजा में तो वितरित वनाधिकार के पट्टे भी छीन लिए गए, ताकि वनों को खनन के लिए अडानी को सौंपा जा सकें. लेकिन इतने अहम सवाल पर कोर्ट से अपनी अनुपस्थिति से कांग्रेस सरकार ने साफ़ कर दिया है कि वास्तव में वह किसके साथ खड़ी है.

माकपा ने मांग की है कि राज्य में वनाधिकार कानून को लागू करने की बतकही से ऊपर उठकर सरकार क्रियान्वित करें और नए दावों को स्वीकार करें. पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के इस निर्णय के खिलाफ अभियान चलाने और बेदखली होने पर आंदोलन करने का भी फैसला किया है.

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