कोरबा@M4S: वनकर्मियों की सूझबूझ और साहस के कारण बुजुर्ग दंपत्ती की जान बच गई। दरअसल 6 हाथियों का झुंड आबादी वाले क्षेत्र के बाहर बने मकान में जा घुसा। हाथियों ने खलिहान में रखे धान का निवाला बनाना शुरू कर दिया। बुजुर्ग दंपत्ती वन अमले के पहुंचने तक बरामदे में दुबक सबकुछ देखते रहे। सूचना मिलने पहुंचे वन कर्मियों ने पति पत्नी को कंधे पर बिठाकर करीब सात सौ मीटर दूर बस्ती पहुंचाया।
यह वाक्या कटघोरा वनमंडल के पसान वन परिक्षेत्र अंतर्गत ग्राम बनखेता की है। दरअसल गांव से दूर जंगल में घर बनाकर 80 वर्षीय छोटेलाल अपनी पत्नी नानबाई 70 वर्ष के साथ निवास करता है। वे प्रतिदिन की तरह रविवार की रात भी घर के बरामदे में सोए हुए थे। इसी दौरान उन्हें हाथियों के चिंघाड़ सुनाई दी। बुजुर्ग दंपत्ती की चिंघाड़ सुन नींद टूट गई। उन्होंने खलिहान की ओर देखा तो छह हाथी धान की खरही को निवाला बनाने में लगे हुए थे। एक साथ छह हाथियों को देख दंपत्ती के होश उड़ गए। उनके लिए घर छोडक़र भाग पाना संभव नही थी। ऐसे में दंपत्ती ने वन अमले के पहुंचने तक बरामदे में ही दुबकना बेहतर समझा। इधर वन परिक्षेत्र अधिकारी धर्मेंद्र चौहान को बनखेता में हाथी घुसे होने की सूचना मिली। उन्होंने हाथियों की निगरानी में लगे वन कर्मियों को मामले से अवगत कराया। सूचना मिलते ही वन रक्षक ईश्वर दास मानिकपुरी सुरक्षा श्रमिक तिलक राम व भीमसेन के अलावा ग्रामीण ज्ञानसिंह के साथ गांव पहुंचे। इस दौरान वन अमले को बुजुर्ग दंपत्ती के घर में फंसे होने की जानकारी मिली। जब वन अमला मौके पर पहुंचा तो हाथी धान को निवाला बना रहे थे। ऐसे में वन अमले ने सूझबूझ से काम लिया। पहले तो अमले ने हाथियों को खदेडऩे का प्रयास किया, इसके बाद अपनी जान की परवाह किए बिना घर तक पहुंच गए। जहां दुबककर बैठे वयोवृद्ध दंपत्ती को किसी तरह घर से बाहर निकाला। उनके लिए रात के अंधेरे में चल पाना मुश्किल था। ऐसे में वन अमले ने दंपत्ती को कंधे में बिठाकर करीब सात सौ मीटर दूर सुरक्षित आबादी वाले क्षेत्र में पहुंचाया। यदि वन कर्मी समय रहते नही पहुंचते तो बड़ी अनहोनी घटित हो सकती थी।
वनकर्मियों ने सूझबूझ से बचाई दंपती की जान कंधे पर बिठाकर सात सौ मीटर दूर बस्ती पहुंचाया
- Advertisement -