वनकर्मियों ने जान पर खेलकर बचाई नन्हें हाथी की जान, एनएच में पुल के समीप पानी से भरे गड्ढे में गिरा था बच्चा,चारों ओर मंडरा रहे थे 21 हाथी. वनकर्मी ने गड्ढे में उतरकर रस्सी से बांध धकेलारेस्क्यूू ऑपरेशन सफल होने पर मिठाई बांट मनाई खुशी

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कोरबा@M4S: वैसे तो कोरबा जिला हाथियों की दहशत के लिए बफर जोन बन चुका है, लेकिन गुरूवार की शाम कुछ ऐसा हुआ, जो निश्चित तौर पर हाथी और मानव के बीच मानवता का नया संबंध कायम करने मददगार साबित होगा. अपनी ही चाल में मदमस्त हाथियों का एक झुंड उस वक्त परेशान हो गया, जब हाथी का एक बच्चा पानी से भरे गड्ढे में जा गिरा. हाथी तो परेशान थे ही नन्हें बच्चे की जिंदगी बचाने वन अमले ने भी अपनी जान जोखिम में डाल दी. चारों ओर हाथी मंडरा रहे थे, पर वनकर्मी नन्हें हाथी को बचाने गड्ढे में उतर गया. अपने हाथों से न केवल रस्सी बांधी, पीछे से धक्का देते हुए उसे उपर आने का सहारा भी दिया. ढाई घंटे की मशक्कत से मिली सफलता के बाद वनकर्मियों ने मिठाई बांटकर खुशियां मनाई.यह वाक्या कटघोरा-अंबिकापुर नेशनल हाइवे में मड़ई घाट के समीप सामने आया. दरअसल कटघोरा वनमंडल के वन परिक्षेत्र एतमानगर में बीते दो दिनों से 21 हाथियों का झुंड डेरा डाला हुआ था. यह झुंड गुरूवार की शाम करीब 6 बजे एतमानगर व केंदई रेंज की सरहद पर मड़ईघाट के समीप सड़क पार कर रहा था. इस झुंड में शामिल सभी व्यस्क हाथी सड़क को पार कर चढ़ाव पर चढ़ गए, लेकिन नन्हा हाथी चढ़ाव चढ़ते समय पुल के समीप पानी से भरे गड्ढे में गिर गया. जिसकी सूचना तत्काल वन परिक्षेत्र अधिकारी एतमानगर मनीष सिंह वे केंदई रेंजर अभिषेक दुबे अपनी टीम के साथ मौके पर जा पहुंचे. इस दौरान हाथियों का झुंड चारों ओर मंडरा रहा था. उनकी मौजूदगी में वन कर्मियों ने लिए नन्हें हाथी को बाहर निकालना संभव नही था. इसके बावजूद वन अफसरों ने अपनी टीम के साथ खुद की जान जोखिम में डाल दिया. वे नन्हे हाथी को बाहर निकालने रैस्क्यू आॅपरेशन में जुट गए. इसके लिए दो जेसीबी की व्यवस्था की गई. जिसकी मदद से हाथी के बच्चे को निकालने का प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नही मिली.आखिरकार हाथियों के थोड़ी दूर जाते ही वनकर्मी मंगल सिंह को गड्ढे में उतारा गया. उन्होनें साहस का परिचय देते हुए न सिर्फ नन्हें हाथी को रस्सी से बांधा बल्कि धक्का देते हुए जेसीबी की मदद से हाथी को उपर चढ़ाने सहारा दिया. तब कही जाकर ढाई घंटे बाद नन्हें हाथी को बाहर निकाला जा सका. उसके सुरक्षित बाहर निकलते ही वन अफसर और कर्र्मियों ने खुशियां मनाई. उन्होंने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया.

एनएच निर्माण में लापरवाही की फिर खुली पोलकटघोरा- अंबिकापुर नेशनल हाइवे निर्माण में एक बार फिर लापरवाही की पोल खुल गई. बताया जा रहा है कि चउरधोवा व मड़ई के बीच पुल का निर्माण कराया गया है. इस पुल के समीप से हाथियों के अलावा अन्य वन्यप्राणियों की आवाजाही होती है. इसके बावजूद पुल के समीप असुरक्षित तरीके से गड्ढा खोदकर छोड़ दिया गया. इस गड्ढै में पानी भरा हुआ है. संभावना जताई जा रही है कि नन्हा हाथी पानी देखकर गया होगा या फिर फिसलकर गिरा होगा.
पूरे समय डटे रहे वन अफसरनेशनल हाइवे में नन्हें हाथी की खबर मिलते ही रेंजर मनीष सिंह और अभिषेक दुबे अपनी टीम के साथ पहुंच गए. इस टीम में वनकर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष प्रीतम पुराइन के अलावा मंगल सिंह सहित अन्य कर्मी भी शामिल थे. जिन्हें नन्हे हाथी को बाहर निकालने अलग अलग जवाबदारी सौंपी गई थी. वन कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई. खास तो यह है कि पूरे समय दोनों वन परिक्षेत्र अधिकारी मौके पर डटे रहे.
नेशनल हाइवे में आवाजाही रही ठपनेशनल हाइवे को पार करते समय नन्हा हाथी पानी से भरे गड्ढे में गिर गया. उसके चारों ओर 21 हाथियों का झुंड मंडरा रहा था. चूंकि घटना सड़क से ज्यादा दूर नही था, ऐसे में हाथियों को देख वाहनो के पहिए थम गए. सड़क के दोनों ओर दो पहिया के अलावा चार पहिया और भारी वाहनों की लंबी कतार लग गई. वन कर्मी भी सुरक्षा के मद्देनजर आवाजाही करने वाले राहगीरों की निगरानी करते रहे, ताकि किसी प्रकार की अनहोनी न हो.

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