लेटर बम’ पर CWC में हंगामा, सोनिया और आजाद ने की इस्तीफे की पेशकश, भड़के राहुल… जानिए क्या-क्या हुआ

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नई दिल्ली(एजेंसी):कांग्रेस वर्किंग कमिटी की वर्चुअल बैठक में हंगामा होना तो पहले से तय था। दो दर्जन नेताओं की ओर से नेतृत्व परिवर्तन और संगठन चुनाव की मांग को लेकर सोनिया गांधी को लिखे गए लेटर पर खूब बहस हुई। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुरुआत में ही यह साफ कर दिया कि वह इस जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहती हैं, लेकिन पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से लेकर एके एंटनी तक ने उनसे पार्टी की कमान संभाले रखने की गुजारिश की। पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने लेटर की टाइमिंग को लेकर सवाल उठाए तो इसे लिखने में शामिल गुलाम नबी आजाद ने भी इस्तीफे की पेशकश की। जानिए CWC में क्या-क्या हुआ और किसकी क्या राय थी…

सोनिया ने पद छोड़ने की पेशकश की, मनमोहन ने कहा-बने रहें
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पद छोड़ने की पेशकश की और कहा कि सीडब्ल्यूसी नया अध्यक्ष चुनने के लिए प्रक्रिया शुरू करे। सूत्रों के अनुसार, सीडब्ल्यूसी की बैठक आरंभ होने के बाद सोनिया ने कहा कि वह अंतरिम अध्यक्ष का पद छोड़ना चाहती हैं और उन्होंने संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल को विस्तृत जवाब भेजा है। एक सूत्र ने कहा कि इसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कुछ अन्य नेताओं ने उनसे आग्रह किया कि वह पद पर बनी रहें।
राहुल ने टाइमिंग पर उठाए सवाल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी में नेतृत्व के मुद्दे पर सोनिया गांधी को पत्र लिखने वाले नेताओं पर निशाना साधा और कहा कि जब पार्टी राजस्थान और मध्य प्रदेश में विरोधी ताकतों से लड़ रही थी और सोनिया गांधी अस्वस्थ थीं तो उस समय ऐसा पत्र क्यों लिखा गया। सूत्रों के मुताबिक, राहुल गांधी ने पार्टी संबंधित मुद्दों को सार्वजनिक करने के लिए नेताओं की आलोचना की और कहा कि इनपर चर्चा सीडब्ल्यूसी में होनी चाहिए न कि मीडिया में।

गुलाम नबी आजाद की सफाई, इस्तीफे की पेशकश
CWC में शामिल नेताओं ने एक स्वर में लेटर लिखने वालों पर निशाना साधा और इसे पार्टी को कमजोर करने वाला बताया। इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने भी अपना पक्ष रखा और पार्टी को बताया कि किस मकसद से उन्होंने इस खत को लिखा था। गुलाम नबी आजाद ने इस दौरान इस्तीफा देने की भी पेशकश की।

बीजेपी से मिलीभगत पर बवाल…
CWC की बैठक के दौरान सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबर आई कि राहुल गांधी ने आरोप लगाया है कि लेटर लिखने वाले नेता बीजेपी से मिले हुए हैं। इसको लेकर हंगामा खड़ा हो गया। लेटर लिखने वालों में शामिल कपिल सिब्बल ने तुरंत ट्विटर के जरिए राहुल के इस कथित बयान पर पलटवार किया तो खबर आई कि गुलाम नबी आजाद ने भी राहुल के इसी आरोप से आहत होकर इस्तीफे की पेशकश की है। हालांकि, पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सिहं सुरजेवाला ने तुरंत साफ किया कि राहुल गांधी ने इस तरह की कोई बात नहीं कही है। सिब्बल ने अपना ट्वीट हटाते हुए कहा कि राहुल गांधी ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर बताया है कि जो बात उनके हवाले से कही गई है वह उन्होंने नहीं कही है। बाद में गुलाम नबी आजाद ने भी साफ किया कि राहुल गांधी ने ऐसा आरोप नहीं लगाया है। साथ ही कहा कि उन्हें सोनिया गांधी या राहुल गांधी से दिक्कत नहीं है। उन्होंने कुछ और आरोपों की वजह से इस्तीफे की पेशकश की थी।

‘राहुल गांधी संभालें जिम्मेदारी’
CWC एक बार फिर जोरदार ढंग से यह मांग उठी कि राहुल गांधी को दोबारा पार्टी की कमान सौंपी जाए। पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी ने कहा कि यदि सोनिया गांधी पद पर नहीं बने रहना चाहती हैं तो राहुल गांधी को यह जिम्मेदारी संभालनी चाहिए। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी अपील की कि राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाया जाए।

क्या कहा गया है लेटर में?
गुलाम नबी आजाद सहित दो दर्जन कांग्रेस नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से संगठन में बड़े बदलाव की मांग करते हुए उन्हें पत्र लिखा है। इन नेताओं ने शक्ति के विकेंद्रीकरण, प्रदेश इकाइयों के सशक्तिकरण और केंद्रीय संसदीय बोर्ड के गठन जैसे सुधार लाकर संगठन में बड़ा बदलाव करने का आह्वान किया है। वैसे, केंद्रीय संसदीय बोर्ड 1970 के दशक तक कांग्रेस में था लेकिन उसे बाद में खत्म कर दिया गया। इस पत्र में सामूहिक रूप से निर्णय लेने पर बल दिया गया है और उस प्रक्रिया में गांधी परिवार को ‘अभिन्न हिस्सा’ बनाने की दरख्वास्त की गई है। इन नेताओं ने पूर्णकालिक नेतृत्व की नियुक्ति की भी मांग की है, जो सक्रिय हो और जिससे कार्यकर्ता और नेता आसानी से संपर्क कर सकें। समझा जाता है कि सुधार के पक्षधर नेताओं ने पार्टी संगठन में प्रखंड स्तर से लेकर कार्यसमिति के स्तर तक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव की भी मांग रखी है।

इन नेताओं ने की बदलाव की मांग
जिन नेताओं ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं उनमें राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पृथ्वीराज चव्हाण, राजिंदर कौर भट्टल , पूर्व मंत्री मुकुल वासनिक, कपिल सिब्बल, एम वीरप्पा मोइली, शशि थरूर, सांसद मनीष तिवारी, पूर्व सांसद मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद, संदीप दीक्षित शामिल हैं। इस पत्र में पार्टी की इकाइयों के पूर्व प्रमुख राज बब्बर, अरविंदर सिंह लवली, कौल सिंह ठाकुर, अखिलेश प्रसाद सिंह और कुलदीप शर्मा के भी दस्तखत हैं।

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