जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कृषि एवं वानिकी के क्षेत्र में कम करने पर होगी चर्चा
कोरबा@M4S: कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र कटघोरा के संयोजन में तीन जुलाई को राष्ट्रीय कृषि वेबीनार का आयोजन किया जा रहा है। कृषि वेबीनार में उत्तराखण्ड, तेलंगाना, लुधियाना एवं दापोली सहित छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। इस राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी में देशभर के कृषि वैज्ञानिक और कृषि विशेषज्ञ जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव के बारे में चर्चा करेंगे। इस वेब संगोष्ठी के तहत किसानों, शोधकर्ता छात्र-छात्राओं एवं प्राध्यापकों को पर्यावरण वन एवं कृषि पर जलवायु परिवर्तन से होने वाले समस्याओं का समाधान के बारे में बताया जाएगा। राष्ट्रीय कृषि वेबीनार का विषय ’जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कृषि एवं वानिकी के क्षेत्र में कम करने के लिए रणनीतियां और चुनौतियां’ रहेगा। इस कार्यक्रम का आयोजन कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र कटघोरा के अधिष्ठाता डाॅ. एस. एल. स्वामी के निर्देशन में किया जाएगा। कार्यक्रम का शुभारंभ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर के कुलपति डाॅ. एस. के. पाटिल के द्वारा किया जाएगा। डाॅ. पाटिल जलवायु परिवर्तन एवं उसके प्रभाव पर उद्बोधन करेंगे।
राष्ट्रीय कृषि वेबीनार में मुख्य वक्ता के रूप में गोविन्द वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंत नगर उत्तराखण्ड के अनुसंधान संचालक डाॅ. अजित सिंह शामिल होंगे। डाॅ. सिंह जलवायु परिवर्तन का कृषि पर प्रभाव तथा अनुकुलन रणनीतियां अपनाने के विषय पर चर्चा करेंगे। केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान हैदराबाद, तेलंगाना के कृषि वैज्ञानिक डाॅ. एम. डी. ओसनान वेबीनार में जलवायु परिवर्तन एवं वर्षा आधारित फसल प्रणाली पर अपना विचार व्यक्त करेंगे। डाॅ. बाला साहेब सावंत कोंकण कृषि विद्यापीठ दापोली के कृषि संकाय निदेशक डाॅ. एस.एस. नारखेड़े के द्वारा जलवायु परिवर्तन एवं वानिकी पर विपरीत प्रभाव पर प्रकाश डाला जाएगा। साथ ही डाॅ. नारखेड़े वनों की जैव विविधता, कार्बन उत्सर्जन, वन संरक्षण, वनों की भूमिका एवं वनों तथा जलवायु का सतत विकास एवं प्रबंधन के बारे में बात करेंगे। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना के वानिकी विभागाध्यक्ष डाॅ. संजीव चैहान कृषि वानिकी पर अपने बहुमूल्य विचार व्यक्त करेंगे। इसी प्रकार राष्ट्रीय कृषि वेबीनार में वानिकी के प्राध्यापक डाॅ. आर. के. प्रजापति के द्वारा जलवायु परिवर्तन का आदिम जनजातियों की आजीविका पर पड़ने वाले प्रभाव एवं समाधान पर विचार व्यक्त किया जाएगा।
राष्ट्रीय कृषि वेब संगोष्ठी का आयोजन आज होगा, देशभर के कृषि वैज्ञानिक होंगे शामिल
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